लो कर दिया सब कुछ विदा अब
यादें तुम्हारी, प्रेम अपना,
आज से विस्मृत किया सब।
शून्य पथ के मौन तारों में तुम्हीं थे।
मौज जीवन की बहारों में तुम्हीं थे।
हृदय में दीप बनकर विराजे
नेह के नूतन नज़ारों में तुम्हीं थे।
बातें तुम्हारी, नेह सपना,
आज से विस्मृत किया सब।
दूरियां इतनी हैं कि अब आहें न पहुंचें।
अब कभी तुम तक ये राहें न पहुंचें।
वह हंसी, वह स्पर्श, वह बातें पुरानी।
अब गले तक वो तुम्हारी बाहें न पहुंचें।
दर्द तुमने दिया, सहूं कितना ,
आज से विस्मृत किया सब।
लो विसर्जन आज उस मधुमास का भी।
साथ में विसर्जन तुम्हारे साथ का भी।
जो कभी था प्यार से भी मुझे प्यारा
विसर्जन उस सुहाने हाथ का भी
खो गया जो था कभी अपना,
आज से विस्मृत किया सब।
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
You may also like
कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ भाजपा मंत्री को टिप्पणी करनी पड़ी महंगी, हाईकोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने का के दिए आदेश
फूलों की नहीं बल्कि 'चप्पलों की माला' चढ़ाते हैं भक्त, होती है हर मुराद पूरी,जाने वजह
IPL 2025: सभी टीमों के लिए खुशखबरी, BCCI ने खिलाड़ियों के रिप्लेसमेंट को लेकर नए नियम किए लागू
मुंद्रा ड्रग्स प्रकरण: दिल्ली के व्यवसायी को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत, याचिका खारिज
अमेरिका के ये अरबों डॉलर के हथियार क्या सऊदी अरब को बड़ी सैन्य ताक़त बना पाएंगे?