नई दिल्ली: हर साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने की परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार भी बखूबी निभाया। लेकिन इस बार उनके भाषण के बाद एक सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है- क्या ये उनका आखिरी संबोधन था? अगले महीने उनकी उम्र 75 साल की होने वाली है, और बीजेपी के उस नियम की चर्चा फिर से शुरू हो गई है, जिसमें 75 साल से ज्यादा उम्र के नेता को बड़े पदों से हटने की बात कही जाती है।
भाषण में क्या था खास?15 अगस्त 2025 को लाल किले से पीएम मोदी ने अपने 11वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कई अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को दोहराया और आत्मनिर्भर भारत के लिए नए कदमों का ऐलान किया। पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, और डिजिटल इंडिया जैसे विषयों पर उनके विचारों ने लोगों का ध्यान खींचा। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस नियम की हो रही है, जो बीजेपी में 75 साल की उम्र सीमा को लेकर है।
75 साल का नियम और सियासी गलियारों में हलचलबीजेपी में एक अघोषित नियम है कि 75 साल की उम्र के बाद नेता बड़े पदों पर नहीं रहते। इस नियम के तहत लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेताओं ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी। अब जब पीएम मोदी सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे, तो क्या वो भी इस नियम का पालन करेंगे? या फिर उनके लिए कोई खास अपवाद बनाया जाएगा? राजनीतिक गलियारों में ये सवाल गूंज रहा है।
जनता की नजर में मोदी का करिश्मापीएम मोदी का करिश्मा और जनता से उनका जुड़ाव अब भी बरकरार है। उनके समर्थक कहते हैं कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और मोदी का नेतृत्व देश के लिए अब भी जरूरी है। वहीं, विपक्ष इस मौके का फायदा उठाकर सवाल उठा रहा है। कुछ का मानना है कि बीजेपी में अगली पीढ़ी के नेताओं को मौका देने का समय आ गया है। लेकिन क्या मोदी इतनी आसानी से सत्ता की बागडोर छोड़ देंगे?
भविष्य की तस्वीर क्या कहती है?2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, फिर भी गठबंधन के साथ सरकार बनी। ऐसे में अगर पीएम मोदी की जगह कोई नया चेहरा आता है, तो क्या गठबंधन की गाड़ी पटरी पर रहेगी? अमित शाह, जेपी नड्डा, या फिर योगी आदित्यनाथ जैसे नाम चर्चा में हैं, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। अगले कुछ महीने भारतीय राजनीति के लिए बेहद अहम होने वाले हैं।
देशवासियों का इंतजारलाल किले से पीएम मोदी का भाषण हमेशा की तरह जोश से भरा था, लेकिन इस बार उनके शब्दों में भविष्य की एक झलक दिखी। क्या ये उनका आखिरी संबोधन था? या फिर वो 2026 में फिर से लाल किले की प्राचीर पर खड़े होंगे? ये सवाल हर भारतीय के मन में है, और इसका जवाब समय ही देगा।
You may also like
फास्टैग वार्षिक पास की प्री-बुकिंग शुरू, सिर्फ 2 मिनट में ऐसे करें प्रोसेस
स्वतंत्रता दिवस पर बोले रजा मुराद- 'हमें वतन की मिट्टी से प्यार'
किश्तवाड़ में मचैल माता यात्रा रूट पर बादल फटने से 48 लोगों की मौत, अब तक क्या-क्या पता है?
इंडियन आर्मी में जाना चाहती थीं भूमि पेडनेकर की मां, इस वजह से अधूरी रह गई इच्छा
जीएसटी रिफॉर्म का व्यापारियों ने किया स्वागत, कहा-इससे उद्योगों को होगा फायदा