नई दिल्ली/जयपुर, 2 जून . सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने शहर के टाउन हॉल यानि पुराने विधानसभा भवन, पुराना पुलिस मुख्यालय व पुराना होमगार्ड महानिदेशालय तथा जलेब चौक स्थित पुराने लेखाकार कार्यालय परिसर से जुडे मामले में राज्य सरकार से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने यह आदेश जयपुर की पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मिनी देवी व अन्य की एसएलपी पर दिया. आगामी सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट विस्तृत सुनवाई कर यह जांच करेगा कि अनुच्छेद 363 की सीमा और पूर्व-संविधान कालीन करारों के तहत उत्पन्न अधिकारों की संवैधानिक स्थिति क्या है.
एसएलपी में पूर्व राजपरिवार सदस्य ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पुराने विधानसभा भवन, पुराना पुलिस मुख्यालय व पुराना होमगार्ड महानिदेशालय तथा जलेब चौक स्थित पुराने लेखाकार कार्यालय परिसर की करीब 2500 करोड़ रुपए की संपत्ति को सरकारी संपत्ति माना था. वहीं पूर्व राजपरिवार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में कोई सिविल कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता. सुनवाई के दौरान पूर्व राजपरिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि यह विवाद एक निजी संपत्ति के स्वामित्व और सिविल अधिकारों से जुड़ा हुआ है. इस संपत्ति को साल 1949 में भारत सरकार और जयपुर के शासक के बीच हुए कोवेनेंट के तहत केवल सरकारी कार्यों हेतु राज्य को सौंपा गया था. अब पुरानी विधानसभा सहित अन्य कार्यालय वहां से स्थानांतरित हो गए हैं. ऐसे में यदि सरकार इस संपत्ति का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन विशेषकर व्यावसायिक या पर्यटन के लिए करती है, तो यह करार की शर्तों की अवहेलना है. इसके जवाब में राज्य के एएजी शिवमंगल शर्मा ने कहा कि यह विवाद पूर्व-संविधान कालीन करारों से संबंधित है. इन पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत अदालतों का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. हाईकोर्ट का पूर्व राजपरिवार की रिवीजन याचिकाओं को खारिज करने का फैसला सही है. इसलिए हाईकोर्ट का आदेश बहाल रखा जाए. दरअसल हाईकोर्ट ने माना था कि यह संपत्तियां राज्य की हैं और किसी भी व्यक्तिगत लाभ या व्यावसायिक उपयोग के लिए सरकार या पूर्व राजपरिवार की ओर से इसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.
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