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गुरुग्राम में भव्यता से शुर हुआ जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत समाराेह

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-शास्त्रीय गायन, गजल और लोकसंगीत, मुशायरा और कवि सम्मेलन, रक्स, पैनल चर्चाएं, कव्वाली, वाद्य और शास्त्रीय नृत्य आदि की दमदार प्रस्तुतियां

गुरुग्राम, 24 मई . सुर, शायरी, कथक और कहानियां यहां एक मंच पर सजे. जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत विषयक साहित्योत्सव में यह सब देखने को मिला. इसकी शुरुआत शनिवार को गुरुग्राम के द एस्प्लेनेड मॉल सेक्टर 37सी में शुरुआत हुई.

उद्घाटन के साथ ही शुरू हुई कथक-कथा, जहाँ रिचा जैन और उनके ग्रुप के थिरकते पैरों और घुंघरुओं की आवाज में इतिहास और नृत्य की मधुर मिलन गाथा सुनाई दी. रिचा जैन और उनके ग्रुप ने अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम पर शानदार परफॉरमेंस दी. इसके बाद लेखक डॉ. महेन्द्र भीष्म अपनी चर्चित कृति कहानी एक किरदार अनेक के बहाने भारती जी के साथ संवाद में भारतीय समाज की परतें खोली. शाम को महफिल में कवियों और शायरों-गुलजार वानी (आईआरएस), मीनाक्षी जिजीविषा, रंजन निगम, अनस फैजी, इमरान राही, शाकिर देहलवी, हमजा बिलाल और नितिन कबीर जैसी नामचीन हस्तियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों के दिलों को छू लिआ.

शाम ढलते-ढलते मंच पर पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा और स्वरांश मिश्रा ने शास्त्रीय गायकी से मन को वृंदावन की गलियों में पहुंचा दिया. फिर डॉ. ममता जोशी और उनके ग्रुप की सूफियाना पेशकश मोहे लागी लगन के साथ पहले दिन का समापन किया. सुरों, शब्दों और संस्कृति का महासंगम कल भी जारी रहेगा. इस अवसर पर जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को, हमारी विरासत को अगली पीढिय़ों तक पहुंचाना है. जश्न-ए-अदब उसी भावना का विस्तार है, जहां शब्दों और सुरों से हम एक साझा सांस्कृतिक मंच रचते हैं, जो देश को संस्कृति और साहित्य की विरासत से जोड़ता है.

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