नई दिल्ली, 15 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूर्ण होने पर संगठन और उसके स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प तक, मां भारती के कल्याण का लक्ष्य लेकर मातृभूमि को जीवन समर्पित किया है।
प्रधानमंत्री ने गर्व के साथ कहा कि सेवा, समर्पण, संगठन और अप्रतिम अनुशासन, संघ की पहचान रहे हैं। उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताते हुए कहा कि 100 वर्षों में देश की सेवा करने वाले लाखों स्वयंसेवकों ने राष्ट्रहित में अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की प्रेरणा और कार्यशैली ने समाज में एकता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत किया है, जो समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना विजयादशमी के दिन 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इसका मूल उद्देश्य व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण है। संघ अनुशासन, सेवा, समर्पण और संगठन को अपने कार्य का आधार मानता है। इसकी शाखाओं में शारीरिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से स्वयंसेवकों में राष्ट्रभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित की जाती है। आरएसएस शिक्षा, ग्रामीण विकास, आपदा राहत, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता के क्षेत्रों में कार्यरत है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है, जिसने पिछले सौ वर्षों में राष्ट्रहित में व्यापक योगदान दिया है।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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