नई दिल्ली, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि वो टेरर फंडिंग मामले के आरोपित एवं सांसद इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के दौरान मांगे गए खर्चे की गणना कैसे की। जस्टिस विवेक चौधरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर हुए खर्चे की गणना उन्होंने कैसे की है। दरअसल, इंजीनियर रशीद ने याचिका दायर कर कहा है कि कस्टडी पेरोल पर संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए काफी बड़ी रकम मांगी जा रही है। ऐसा करना अनुचित है। 06 अगस्त को इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वकील एन हरिहरन ने कहा था कि कस्टडी पेरोल के लिए भारी रकम चुकाने के आदेश की वजह से वो संसद सत्र में अपने लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने 25 मार्च के हाईकोर्ट के उस आदेश में बदलाव करने की मांग की थी जिसमें संसद के सत्र में हिस्सा लेने के लिए मिले कस्टडी पेरोल के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए चार लाख रुपये जेल प्रशासन को देने की बात कही गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि आम तौर पर कस्टडी पेरोल के लिए सुरक्षा का खर्चा याचिकाकर्ता को ही वहन करना होता है। तब हरिहरन ने कहा कि रोजाना के कस्टडी पेरोल के लिए पैसे वसूलना अन्याय होगा क्योंकि याचिकाकर्ता एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि है। अगर वो पैसा नहीं देने की वजह से संसद सत्र में हिस्सा नहीं ले पाएंगे तो ये देश के लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने 25 जुलाई को एनआईए को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा था कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 29 जुलाई से 04 अगस्त तक संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए सुरक्षा के नाम पर 17 लाख रुपये देने को कहा है। इतनी बड़ी रकम लोगों का प्रतिनिधित्व करने की सजा हो गई है। उन्होंने कहा था कि इंजीनियर रशीद को पहले भी संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मिली है लेकिन वे काफी ज्यादा पैसा मांगने की वजह से सत्र में हिस्सा नहीं ले पाते हैं।
बतादें कि 22 जुलाई को पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद को संसद के आगामी सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर रिहा करने की इजाजत दे दी थी। इंजीनियर रशीद ने 21 जुलाई से शुरु होने वाले संसद के मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल की मांग की थी। इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वकील ने कहा था कि इंजीनियर रशीद बारामूला से सांसद हैं और बारामूला की आबादी जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी का 45 फीसदी है। उन्होंने कहा था कि इतनी बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व खाली नहीं रखा जा सकता है। रशीद फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इसके पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंजीनियर रशीद को 26 मार्च से 4 अप्रैल तक संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी।
इंजीनियर रशीद ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी। राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को इंजीनियर रशीद के अलावा हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने , सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
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