नई दिल्ली, 29 अप्रैल . संस्कृति मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) पहली बार वियतनाम में सारनाथ के पवित्र बुद्ध अवशेष की प्रदर्शनी आयोजित करेगा. बुद्ध के पवित्र अवशेष को 01 मई को राष्ट्रीय संग्रहालय से वरिष्ठ भिक्षुओं द्वारा पूर्ण धार्मिक पवित्रता और प्रोटोकॉल के साथ भारतीय वायु सेना के विशेष विमान द्वारा हो ची मिन्ह सिटी ले जाया जाएगा.
महासचिव वेन शार्त्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चोएडेन के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें गवर्निंग काउंसिल के सदस्य शामिल हैं, वियतनाम में पवित्र प्रदर्शनी समारोहों और वेसाक समारोहों में भाग ले रहे हैं. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे.
संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दिवस वेसाक के अवसर पर आयोजित होने वाली इस प्रदर्शनी के लिए पवित्र अवशेष को 30 अप्रैल को सारनाथ में मूलगंध कुटी विहार (मठ) वाराणसी से दिल्ली लाया जाएगा. कुटी विहार में शाक्यमुनि बुद्ध के पवित्र अवशेष रखे गए हैं. दिल्ली पहुंचने पर पवित्र अवशेष को 30 अप्रैल को शाम साढ़े पांच बजे राष्ट्रीय संग्रहालय में एक विशेष संरक्षित स्थान पर रखा जाएगा, जहां धम्म के अनुयायी प्रार्थना, मंत्रोच्चार और ध्यान करेंगे, जिसमें समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य और बौद्ध देशों के राजनयिक प्रतिनिधि शामिल होंगे. अगले दिन, 1 मई को बुद्ध के पवित्र अवशेष को राष्ट्रीय संग्रहालय से वरिष्ठ भिक्षुओं द्वारा पूर्ण धार्मिक पवित्रता और प्रोटोकॉल के साथ भारतीय वायु सेना के विशेष विमान द्वारा हो ची मिन्ह सिटी ले जाया जाएगा.
मंगलवार को राष्ट्रीय संग्रहालय के अतिरिक्त महानिदेशक आशीष गोयल ने बताया कि बुद्ध के पवित्र अवशेष को वियतनाम के चार शहरों में रखा जाएगा. 22 दिनों तक वियतनाम के चार स्थानों पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. पहले वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर में हान ताम मठ में 2-8 मई तक, इसके बाद 9-13 मई, तक बा डेन माउंटेन, ताई निन्ह प्रांत में (दक्षिणी वियतनाम का राष्ट्रीय आध्यात्मिक तीर्थ स्थल), यहां से पवित्र अवशेष को 14-18 मई तक क्वान सू मठ, हनोई (वियतनाम बौद्ध संघ का मुख्यालय) में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा. अंत में 18-21 मई तक ताम चुक मठ, हा नाम प्रांत में (दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध केंद्र) प्रदर्शित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि यह महत्वपूर्ण प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वेसाक दिवस 2025 के अवसर पर शुरू हो रही है क्योंकि इस बार यह वियतनाम में मनाया जा रहा है, जो न केवल वियतनाम के नागरिकों के लिए पवित्र अवशेष का आशीर्वाद लेने का अवसर है, बल्कि 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के लिए भी है, जो वेसाक दिवस समारोह में भाग लेने पहुंच रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि मूलगंध कुटी विहार में स्थापित बुद्ध के पवित्र अवशेषों की खुदाई आंध्र प्रदेश के एक प्रमुख स्थल नागार्जुन कोंडा में की गई थी. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तत्कालीन अधीक्षक ए.एच. लॉन्गहर्स्ट ने 1927-31 तक बड़े पैमाने पर खुदाई की थी. इस स्थल पर अधिकांश स्मारक तीसरी-चौथी शताब्दी ई. में निर्मित किए गए थे. यहां तीस से अधिक बौद्ध प्रतिष्ठानों के अवशेष पाए गए थे.
शिलालेखों के अनुसार सबसे पुराना महान स्तूप लगभग 246 ई. का है, लेकिन पुरातत्वविदों का कहना है कि स्तूप इससे भी पुराना हो सकता है.
खुदाई के बाद इन्हें 27 दिसंबर, 1932 को एएसआई के महानिदेशक राय बहादुर दयाराम साहनी द्वारा भारत के वायसराय की ओर से बौद्धों की एक प्रतिष्ठित सभा के समक्ष महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया को भेंट किया गया. यह स्थान बौद्ध धर्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में ऐतिहासिक महत्व रखता है और दूसरी शताब्दी के भिक्षु, दार्शनिक नागार्जुन से जुड़ा हुआ है. बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद से ही इनकी पूजा और आराधना की जाती रही है.
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/ विजयालक्ष्मी
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