नई दिल्ली, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कमी के जरिए जीएसटी में सुधार से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा। दूसरी तरफ केंद्र सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का शुद्ध राजकोषीय प्रभाव सालाना आधार पर 48 हजार करोड़ रुपये होगा।
स्टेट बैंक ने शुक्रवार को जारी अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा है कि विकास और उपभोग में वृद्धि को देखते हुए न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने से लागत दक्षता में सार्थक सुधार के कारण बैंकिंग क्षेत्र पर काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे प्रभावी भारित औसत दर भी इसके 2017 में लागू होने के समय 14.4 फीसदी से घटकर 9.5 फीसदी हो गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि आवश्यक वस्तुओं (लगभग 295) की जीएसटी दर युक्तिकरण 12 फीसदी से घटकर पांच फीसदी या शून्य हो गई है। इसलिए चालू वित्त वर्ष 2025-26 में इस श्रेणी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर यानी मुद्रास्फीति भी 0.25 फीसदी से 0.30 फीसदी तक कम हो सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अगामी वित्त वर्ष 2026-27 तक 0.65 फीसदी से 0.75 फीसदी अंकों के बीच नियंत्रित रह सकती है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में इसी हफ्ते जीएसटी के मौजूदा चार स्तरीय ढांचे को बदलकर दो स्तरीय कर दिया गया है। जीएसटी के नए स्लैब में अब 18 फीसदी एवं पांच फीसदी और कुछ चुनिंदा वस्तुओं तथा सेवाओं पर 40 फीसदी की दर शामिल है। नई दरें नवरात्रि के पहले दिन 22 सितंबर से लागू होंगी।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
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