भोपाल, 30 मई . अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) भोपाल द्वारा विश्व आपातकाल दिवस पर जीवन रक्षक मोबाइल एप्लीकेशन ‘कोड इमरजेंसी’ लॉन्च किया है. अब आनेवाले समय में वन स्टेट, वन हेल्थ और वन इमरजेंसी नीति पर आधरित यह मोबाइल ऐप मेडिकल इमरजेंसी में संजीवनी साबित होगा, यह उम्मीद लगाई जा रही है. वहीं यह ऐप डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आमजन के लिए भी बेहद उपयोगी बताया जा रहा है.
इस संबंध में एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने शुक्रवार को बताया कि यह ऐप आम जनता और चिकित्सा पेशेवरों दोनों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है. इसकी मदद से आम व्यक्ति भी मेडिकल इमरजेंसी में पीड़ित की जान बचाने में सक्षम बन सकता है. अभी यह दो भाषाओं खासकर हिंदी और अंग्रेज़ी में उपलब्ध है. इसे आप चिकित्सा पेशेवरों के लिए क्रांतिकारी ऐप मान सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि कोड इमरजेंसी मोबाइल ऐप निर्माण के आरंभिक चरण की शुरूआत पिछले साल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी. जो कि इंटरनेट-फ्री और द्विभाषी (हिंदी और अंग्रेजी) है. ऐप में ऑडियो-विजुअल निर्देशों के ज़रिए सीपीआर (Cardio-Pulmonary Resuscitation) सिखाया जाता है. सभी आयु समूहों के लिए अलग-अलग निर्देश उपलब्ध हैं. इसका ऑफलाइन उपयोग एक बार डाउनलोड करने के बाद बिना इंटरनेट के भी होता रहता है. जिसमें कि समझाने के लिए सीपीआर गाइडेंस उपलब्ध है, जहां वीडियो व ऑडियो के ज़रिए स्टेप-बाय-स्टेप आप समझ सकते हैं . ऐप में ड्रॉपडाउन मेनू के जरिए विभिन्न आपात स्थितियों के लिए आसान जानकारी उपलब्ध कराई गई है .
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/ डॉ. मयंक चतुर्वेदी
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