अहमदाबाद, 18 मई . केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में 2029 तक सभी पंचायत में पैक्स रजिस्ट्रेशन हो और 2 लाख नई सेवा सहकारी मंडलियों और डेयरियों को रजिस्ट्रेशन कराने का अभियान चलाया गया है. परंतु, यह पैक्स पहले की तरह बीमार नहीं हो, इसके लिए 22 प्रकार की गतिविधियों को पैक्स से जोड़ने का काम केन्द्र सरकार ने किया है. विश्वास है कि आगामी दिनों में एक भी पैक्स आर्थिक रूप से बीमार नहीं होंगे. इसके अलावा जल्द ही केन्द्र सरकार लिक्विडेशन में गई पैक्स का जल्द निपटारा कर इनकी जगह नए पैक्स के रजिस्ट्रेशन के लिए नीति लाएगी.
अमित शाह रविवार को अहमदाबाद के सोला स्थित साइंस सिटी में गुजरात राज्य सहकारी संघ की ओर से आयोजित विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका महा सम्मेलन में बोल रहे थे. इसमें देशभर के करीब 4 हजार सहकारी अग्रणी शामिल हुए. इस महा सम्मेलन में देश के सहकारी क्षेत्र में हुई 57 नई पहल और प्राकृतिक खेती के संबंध में भी चर्चा होगी.
इससे पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यूनाइटेड नेशन ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय किया है. सहकारिता समग्र विश्व के अंदर आज इतनी प्रासंगिक है जितना 1919 वर्ष के दौरान था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2021 से भारत में सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करने का बहुत बड़ा प्रयास यहां से शुरू हुआ. इसका अनुमोदन करने के लिए देश के अंदर सहकारिता वर्ष मनाने की शुरुआत करने का निर्णय हुआ. इसके तहत दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सम्मेलन हुआ जिसमें सहकार से समृद्धि और विकसित भारत में सहकारिता की भूमिका इन दोनों स्लोगन देश के सहकारिता नेताओं के समक्ष रखा गया.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज गुजरात में सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया है. वर्ष 2021 से लेकर 2025 तक देश के सहकारिता के क्षेत्र में जो-जो परिवर्तन हुए, इसे वक्ताओं ने यहां रखा. परंतु्, जब तक यह परिवर्तन नीचे पैक्स और पैक्स के सदस्यों और किसानों तक नहीं पहुंचता है, तब तक यह परिवर्तन भी सहकारी क्षेत्र को मजबूत नहीं कर सकता है. सहकारी संस्थाओं को आगे बढ़ाने के लिए सभी तरह की मंडलियों के अंदर जागरूकता, सहकार का प्रशिक्षण और पारदर्शिता यह तीनों लाने का प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार का सहकार विभाग सहकारिता वर्ष का लक्ष्य भी यही रखा है.
अमित शाह ने कहा कि साइंस ऑफ कॉरपोरेशन और साइंस इन कॉरपोरेशन यानी सहकारिता के विज्ञान को पुनर्जीवित कर आधुनिक बनना और विज्ञान का सहकारिता में उपयोग करने पर केन्द्र सरकार ने बल दिया है. अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि आजादी के आंदोलन के समय खड़ा हुआ यह सहकारिता आंदोलन 75 साल की आजादी में एक प्रकार से लकवाग्रस्त हो गया. देश के सहकारी नक्शे पर नजर डालें तो देश के बड़े हिस्से पर से सहकारिता आंदोलन समाप्त हो चुका है. गुजरात में इसका अधिक असर नहीं हुआ है. परंतु, गुजरात के सहकारी नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि इसका समान रूप से विकास हो. सभी जिले और राज्य सहकारिता आंदोलन से युक्त बनें. प्राथमिक मंडलियों की स्थिति सुधरे और प्राथमिक मंडलियों से जिला स्तर की संस्था और जिला स्तर की संस्था से राज्य और राज्य से राष्ट्रीय स्तर की संस्था मजबूत हो. इसके लिए वर्षों से त्रिस्तरीय सहकारी संरचना की कल्पना थी, इसमें हमने चतुष्स्तरीय सहकारी संरचना को जोड़ा है. उन्होंने सहकारी अग्रणियों से अपील की कि सभी प्रकार की सहकारी गतिविधि राष्ट्र की संस्था, राज्य की संस्था, जिला की संस्था और सभी क्षेत्र की प्राथमिक मंडलियों को वे मजबूत करे. यह पूरा अभियान तीन स्तंभों पर आधारित है.
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक 57 पहल की शुरुआत की है. देशभर में एक प्रयोग गुजरात में प्राथमिक स्तर से शुरू की गई. इसके अनुसार सहकारिता में सहकार के तहत सभी सहकारी संस्थाओं अपने कामकाज सहकारी संस्थाओं के साथ मिलकर करें. इसके तहत प्राथमिक मंडली, एपीएमसी, हाउसिंग मंडली, डेयरी, ऋण के लेनदेन आदि सभी में डिस्ट्रिक्ट कॉरपोरेटिक बैंक में खोला जाए. पंचमहाल और बनासकांठा के साथ इसकी शुरुआत हुई जिसमें गुजरात स्टेट कॉरपोरेटिव बैंक और अमूल जुड़ा और गति आई. अभी तक महज 60 फीसदी काम हुआ है, लेकिन सहकारी क्षेत्र की पूंजी में 11 हजार करोड़ रुपये पूंजी में इजाफा हुआ है. उन्होंने सहकारी मंडली के सदस्यों, एपीएमसी के व्यापारियों समेत अन्य सभी के अकाउंट डिस्ट्रिक्ट कॉरपोरेटिव बैंक में करने की अपील की.
त्रिभुवन कॉरपोरेटिव यूनिवर्सिटी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है. विशेषज्ञों को यहां कॉरपोरेटिव के तहत पढ़ाने की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि गुजरात में डेयरी के अंदर सर्कुलर अर्थव्यवस्था शुरू की गई है. सभी सहकारी डेयरी में दाना सिर्फ उन पशुओं को दिया जाता है, जिसका दूध डेयरी में आता है. पशुओं के स्वास्थ्य की भी देखभाल की जाती है. गोबर-मूत्र की भी सम्पूर्ण इकोनॉमी कॉरपोरेटिव सेक्टर के अंदर लाना है. डेयरी से संबंधित सभी आधुनिक मशीन भी सहकारी कंपनियों के जरिए खरीदने की व्यवस्था करनी है.
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/ बिनोद पाण्डेय
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