उज्जैन, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के उज्जैन की विक्रम उद्योगपुरी में 97 करोड़ का निवेश होने के बाद उज्जैन शहर खाद्य प्रसंस्करण में नई पहचान बना रहा है. अब यहां से यूरोप के देशों में चना, मूंग,मटर से बना प्रोटीन निर्यात होगा. जैविक खेती से पूरे क्षेत्र का विकास होने से किसानों को फसल की सही कीमत मिलेगी.
यह जानकारी शुक्रवार को म.प्र. औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौड़ ने दी. उन्होने बताया कि देश की अग्रणी खाद्य प्रसंस्करण कंपनी रेलसस इंडिया ने विक्रम उद्योगपुरी में उत्पादन शुरू कर दिया है. कंपनी ने यहां 97 करोड़ का निवेश किया है और 180 लोगों को सीधा रोजगार देगी. साथ ही सैकड़ों किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. इनकी यूनिट में चना, मूंग, मटर जैसी फसलों से प्रोटीन और स्टार्च बनाया जा रहा है. ये चीजें यूरोपीय देशों में निर्यात होंगाी. इससे क्षेत्र और प्रदेश के किसानों को उनकी फसलों का अच्छी कीमत मिलेगी.
जैविक खेती की संभावनाएं बढ़ी
राठोड़ ने बताया कि रेलसस इंडिया सर्वोच्च मानक के प्रोटीन बनाती है, जिनकी उच्च गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभ के कारण यूरोप और इंग्लैंड में इनकी काफी मांग है. ये प्रोटीन पशु-आधारित प्रोटीन के मुकाबले कहीं ज्यादा स्वास्थवर्धक और पर्यावरण के लिए बेहतर माना जाता है. इसके उत्पादन के लिए जो फसलें ली जाती हैं, वे कीटनाशकों और रसायनिक खाद से मुक्त पूरी तरह जैविक खेती पर आधारित होती हैं. भारत में जैविक खेती की अपार संभावनाएं हैं. अगर किसान जैविक खेती अपनाएं, तो उनकी फसलों की मांग तेजी से बढ़ेगी.
गांवों की अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. मध्यप्रदेश में चना, मूंग और मटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. रेलसस इन फसलों को सीधे किसानों से खरीदेगी. कंपनी को इस समय हर साल 1000 से 2000 टन चने की जरूरत रहेगी. अगले साल तक इन फसलों की मांग 10 हजार टन तक हो जाएगी. जैविक खेती करने वाले किसानों को मौके मिलेंगे और खेती में रोजगार बढ़ेगा.
जैविक खेती सिखाएगी कंपनी
रेलसस किसानों किसानों को जैविक खेती सिखाएगी और उन्हें बीज, खाद, तकनीकी मदद देगी. किसान एक समझौते के तहत खेती करेंगे, जिसमें उनकी फसल के दाम पहले तय हो जाएंगे. कंपनी उनकी पूरी फसल खरीदेगी. इससे किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं रहेगी. कंपनी ऐसी फसलें चाहती है, जिनमें कीटनाशक न हों. इससे मिट्टी की ताकत बढ़ेगी, पानी कम लगेगा. ये जैविक खेती का तरीका किसानों के लिए फायदेमंद होगा. कंपनी किसानों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण देगी.
कंपनी के सीईओ विनीत सिंघल के अनुसार उन्हे किसानों के लिए बेहतर नीतियां, फसलों की सप्लाई, गुणवत्ता और ट्रांसपोर्ट की सुविधा चाहिए. उनका मकसद साफ-सुथरा और स्वस्थ खाना दुनिया तक पहुंचाना. इस प्रोजेक्ट से गांवों में पैसा आएगा और युवा भी खेती की ओर आकर्षित होंगे. जैविक खेती से न सिर्फ किसानों को फायदा होगा, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा. राठौड़ ने उन्हे आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार हर तरह से मदद करेगी.
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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