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'वंदे मातरम' गान के 150 वर्ष पूर्ण होने पर राजभवन में हुआ सामूहिक गायन

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लखनऊ, 07 नवम्बर (Udaipur Kiran) . प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को राजभवन में “वंदे मातरम” गान के गौरवशाली 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर राजभवन परिवार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामूहिक रूप से “वंदे मातरम” का गायन किया.

इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि “वंदे मातरम” केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है, जिसने गुलामी के अंधकार में भी राष्ट्रभक्ति, एकता और जागरण का प्रकाश फैलाया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन के कठोर काल में जब खुलकर कुछ नहीं कहा जा सकता था, तब हमारे नागरिक, साधु-संत और स्वतंत्रता सेनानी इस गीत के माध्यम से जन-जन में आज़ादी की अलख जगाते थे.

राज्यपाल ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय एक राष्ट्रवादी लेखक और चिंतक थे, उनके घर में देश की आज़ादी के लिए रणनीतियों पर चर्चा होती थी. उन्होंने बताया कि जब उनकी बालिका पुत्री ने जिज्ञासा प्रकट की कि “भारत माता कौन है?”, तब उसी प्रेरणा से उन्होंने “वंदे मातरम” की रचना की. यह रचना “आनंदमठ” में प्रकाशित हुई और शीघ्र ही स्वतंत्रता आंदोलन का सूत्र बन गई.

उन्होंने बताया कि अंग्रेजों द्वारा इस गीत पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, यह गीत देश के विद्यालयों, सड़कों और सार्वजनिक आयोजनों में गूंजता रहा. कांग्रेस अधिवेशनों में भी यह गीत स्वरित हुआ. उन्होंने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने भी फांसी पर चढ़ते समय “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” का उद्घोष करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए.

राज्यपाल ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना होगा कि वह जो भी कार्य करे, वह केवल अपने लिए नहीं बल्कि 140 करोड़ Indian ों के हित में करे.

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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