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महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग में 'अंतरराष्ट्रीय मदर अर्थ डे' का आयोजन

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बरेली, 23अप्रैल। महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के मानविकी विभाग में कल 22 अप्रैल 2025 को ‘रीबूट अर्थ’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय मदर अर्थ डे कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, नवाचार तथा विद्यार्थियों की रचनात्मक अभिव्यक्तियों को मंच प्रदान करना रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 9:00 मानविकी भवन के समीप एक वाटिका के निर्माण से हुई, जिसकी आधारशिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० के० पी० सिंह एवं कुलसचिव श्री संजीव सिंह द्वारा पौधारोपण कर रखी गई। कार्यक्रम के दौरान 100 से अधिक फल एवं फूलों के पौधों का रोपण किया गया। इसके उपरांत ‘प्लेज वॉल’ का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों के साथ साथ कुलपति एवं कुलसचिव ने भी भाग लिया। सभी ने पृथ्वी की रक्षा, पर्यावरण की स्वच्छता तथा हरियाली बनाए रखने हेतु विविध शपथें लिखकर दीवार पर अंकित कीं जो विद्यार्थियों की गहन सहभागिता का प्रतीक बनी तथा पूरे परिसर में प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरी।
दिनभर विद्यार्थियों के लिए पाँच रचनात्मक प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। जिसमें पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता,स्लोगन लेखन प्रतियोगिता, पृथ्वी माता को पत्र लेखन प्रतियोगिता, रंगोली निर्माण प्रतियोगिता और री-यूस क्राफ्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।


इन सभी प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से आमंत्रित वरिष्ठ प्राध्यापकों द्वारा किया गया, जिनमें प्रो० संतोष अरोरा, प्रो० त्रिलोचन शर्मा, प्रो० अर्चना गुप्ता, डॉ० रीना पंत, डॉ० अतुल कटियार, डॉ० पवन कुमार सिंह, डॉ० मीनाक्षी द्विवेदी, डॉ० सुष्मिता गुप्ता, डॉ० छवि शर्मा, डॉ० अमित सिंह, डॉ० अभय त्रिवेदी, डॉ० हेमा वर्मा सम्मिलित रहे। मूल्यांकन का आधार रचनात्मकता, सन्देश की स्पष्टता, प्रासंगिकता एवं प्रस्तुति रहा।
दोपहर 3:00 बजे पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित हुआ, जिस कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो० के० पी० सिंह जी द्वारा कि गई जिसमे कुलसचिव भी उपस्थित रहे। कुलपति महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा – “पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है, इसकी रक्षा करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। यह आयोजन पर्यावरणीय चेतना को जाग्रत करने की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है, और हमें इसे जीवन की स्थायी आदत में बदलना होगा।”

मानविकी विभाग की अध्यक्ष डॉ० अनीता त्यागी ने कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की और सभी का स्वागत करते हुए कहा– “पृथ्वी केवल एक ग्रह नहीं, अपितु हमारी मां है, जिसकी रक्षा हम सबका नैतिक और सांस्कृतिक दायित्व है।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीन, एफएटी प्रो० शोभना सिंह ने कहा – “तकनीक और पर्यावरण में संतुलन स्थापित कर ही हम एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं। आज के विद्यार्थी केवल तकनीकी दक्षता नहीं, अपितु संवेदनशील नागरिक भी बनें – यही हमारी अपेक्षा है।”
डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो० पी० बी० सिंह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा – “प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए छात्र-छात्राओं की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि युवा पीढ़ी पर्यावरण के प्रति जागरूक है और सकारात्मक परिवर्तन की वाहक बन सकती है।”
कुलसचिव श्री संजीव सिंह ने अपने संबोधन में कहा –”पृथ्वी से हमारा संबंध केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि आत्मिक है। इस धरती पर संतुलन बनाए रखना, हमारी नीति, नियति और नैतिकता – तीनों का समन्वय है। विश्वविद्यालय परिवार द्वारा किया गया यह प्रयास निश्चित ही पर्यावरणीय चेतना को एक नई दिशा देगा।”
समापन सत्र में डॉ० अनीता त्यागी ने विशेष संबोधन में कहा – “प्रकृति के साथ संवाद की यह यात्रा केवल एक दिवस तक सीमित न रह जाए, बल्कि यह हमारे आचरण का स्थायी अंग बने। मानविकी विभाग की ओर से यह आश्वासन है कि हम भविष्य में भी पर्यावरण संबंधी कार्यक्रमों को सशक्त रूप में आगे बढ़ाते रहेंगे।”
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन फंक्शनल हिन्दी के आचार्य कृष्ण केतन ने किया गया । उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन, सभी निर्णायकों, प्रतिभागियों, और विभागीय टीम का आभार प्रकट करते हुए कहा – “यह आयोजन हम सभी के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है, और इसने यह दिखा दिया कि पर्यावरणीय चेतना हमारे शैक्षणिक जीवन का अनिवार्य अंग बन चुकी है।” कार्यक्रम का संचालन दीपांशु पांडे ने किया।
इस आयोजन में मानविकी विभाग के समस्त शिक्षकगण, शोधार्थी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे और अपनी सक्रिय सहभागिता से इस कार्यक्रम को एक स्मरणीय और प्रेरणादायक आयोजन बना दिया।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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