सनातन संस्कृति के धार्मिक शास्त्रों में देवी गायत्री को बहुत महत्व दिया गया है। मान्यता है कि गायत्री मंत्र को समझने मात्र से ही चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। देवी गायत्री की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी गायत्री को चारों वेदों की माता माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इसी कारण गायत्री मंत्र को वेदों का सार भी माना जाता है। मान्यता है कि चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त करने से मनुष्य को जो पुण्य फल मिलता है, वही गायत्री मंत्र को समझने मात्र से प्राप्त हो जाता है। गायत्री माता को सनातन संस्कृति की जननी भी माना जाता है। मान्यता है कि देवी गायत्री चारों वेदों, शास्त्रों और श्रुतियों की माता हैं। वेदों की माता होने के कारण इन्हें वेदमाता भी कहा जाता है। इन्हें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य देवी भी माना जाता है, इसलिए देवी गायत्री वेदमाता ही नहीं बल्कि देवमाता भी हैं। गायत्री माता ब्रह्माजी की दूसरी पत्नी हैं, इन्हें पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी का अवतार भी कहा जाता है।
ऐसे हुआ था देवी गायत्री का विवाह
शास्त्रों में कथा है कि एक बार ब्रह्माजी किसी यज्ञ में भाग लेने जा रहे थे। यदि कोई अपनी पत्नी के साथ यज्ञ जैसे धार्मिक कार्य में भाग लेता है, तो उसे उसका पूरा फल मिलता है, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नहीं थीं, इसलिए अपनी पत्नी के साथ यज्ञ में भाग लेने के लिए उन्होंने देवी गायत्री से विवाह किया।
गायत्री मंत्र का अवतरण
मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी को गायत्री मंत्र का ज्ञान हुआ था। इसके बाद ब्रह्माजी ने अपने चारों मुखों से देवी गायत्री की कृपा से गायत्री मंत्र की चार वेदों के रूप में व्याख्या की। आरंभ में गायत्री मंत्र केवल देवताओं के लिए था। बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपनी कठोर तपस्या से गायत्री मंत्र को आम लोगों तक पहुंचाया।
ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं।भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है। इस मंत्र के जाप से कई तरह के पाप और कष्ट नष्ट होते हैं। गायत्री मंत्र के जाप से पुण्य बढ़ता है और कार्यों में सफलता मिलती है। इसलिए शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप का विधान बताया गया है। विशेष अवसरों पर इसका जाप करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। व्यापार, नौकरी, संतान प्राप्ति और कष्टों से मुक्ति पाने में गायत्री मंत्र का जाप लाभकारी हो सकता है।
गायत्री मंत्र के लाभ
1. इस मंत्र के जाप से विद्यार्थियों को पढ़ाई में बड़ी सफलता मिलती है। उनका ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित होता है और उनकी याददाश्त तेज होती है, जिससे परीक्षा में सफलता मिलती है। विद्यार्थी जीवन में सफलता के लिए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।
2. व्यापार में सफलता के लिए भी गायत्री मंत्र बहुत कारगर है। व्यापारियों द्वारा इस मंत्र का जाप करने से खर्चे नियंत्रण में रहते हैं और आय में वृद्धि हो सकती है। इसके लिए शुक्रवार के दिन हाथी पर बैठकर गायत्री मंत्र का ध्यान करते हुए 'श्रीं' प्रत्यय लगाकर जप करने से धन की प्राप्ति होती है।
3. संतान प्राप्ति के लिए दंपत्ति को सफेद वस्त्र धारण करके 'यौं' प्रत्यय लगाकर गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इस उपाय से संतान प्राप्ति के साथ-साथ यदि दंपत्ति की संतान है और वह बीमार है तो वह रोग मुक्त हो सकता है।
4. शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए अमावस्या, रविवार या मंगलवार को लाल वस्त्र धारण करके देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए 'क्लीं' प्रत्यय लगाकर गायत्री मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
5. विवाह में सफलता के लिए विवाह योग्य युवक-युवतियां पीले वस्त्र धारण करके देवी पार्वती का ध्यान करते हुए 'ह्रीं' प्रत्यय लगाकर गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।
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