राजस्थान की राजधानी जयपुर को यूं ही 'गुलाबी नगर' नहीं कहा जाता। इसकी ऐतिहासिक हवेलियों, किलों और महलों में समाहित शाही शान-शौकत और रहस्य हमेशा ही देश-विदेश से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन ऐतिहासिक धरोहरों में एक प्रमुख नाम है सिटी पैलेस का, जो जयपुर शहर के बीचों-बीच स्थित है। हर साल लाखों लोग इस महल को देखने आते हैं, इसकी खूबसूरती और वास्तुकला से मोहित होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिटी पैलेस के अंदर कई ऐसे रहस्य और कहानियां हैं, जो आज भी आम पर्यटकों की नजरों से छुपी हुई हैं? आज हम आपको जयपुर सिटी पैलेस से जुड़े 7 अनकहे और रहस्यमयी पहलुओं के बारे में बताएंगे, जो इसके हर कोने को और भी खास बनाते हैं।
1. दो विशाल चांदी के कलश - सिर्फ बर्तन नहीं, गहरी आस्था का प्रतीक
सिटी पैलेस के दीवान-ए-खास में गंगाजली नामक दो विशाल चांदी के कलश रखे हुए हैं। इन्हें दुनिया के सबसे बड़े चांदी के बर्तन माना जाता है। इनका इस्तेमाल महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय ने इंग्लैंड की अपनी यात्रा के दौरान गंगाजल ले जाने के लिए किया था। माना जाता है कि वे विदेशी धरती पर भी पवित्रता बनाए रखना चाहते थे। यह सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं था, बल्कि राजसी गौरव और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक था।
2. चंद्र महल - आम जनता के लिए बंद रहने वाला हिस्सा
सिटी पैलेस का सबसे खास और सबसे ऊंचा हिस्सा चंद्र महल है, जिसमें सात मंजिलें हैं। इनमें से ज्यादातर हिस्से आम जनता के लिए बंद रहते हैं, क्योंकि आज भी जयपुर का राजपरिवार यहीं रहता है। हर मंजिल का अपना नाम और उद्देश्य है- जैसे मुकुट महल, सुंदर महल, रंग मंदिर आदि। इनके अंदर की साज-सज्जा, राजसी अंदाज और नियम-कायदे आम नजरों से दूर हैं।
3. सिटी पैलेस की गुप्त सुरंगें
कहा जाता है कि सिटी पैलेस के नीचे भूमिगत सुरंगों का जाल है, जो आमेर किले और अन्य सुरक्षित स्थानों तक जाती थीं। आपातकाल के समय राजा और राजपरिवार इन सुरंगों के जरिए बचकर दूसरी जगहों पर पहुंच सकते थे। ये सुरंगें अब बंद या छिपी हुई हैं, लेकिन इनका रहस्य आज भी चर्चा का विषय है।
4. ऋतुओं के अनुसार बनाए गए चार द्वार - एक आध्यात्मिक रहस्य
महल के अंदर स्थित पृथ्वी द्वार, लोटस गेट, लेहरिया गेट और रोज गेट सिर्फ खूबसूरत नक्काशी ही नहीं हैं, ये चारों ऋतुओं और देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक द्वार का आकार, रंग और नक्काशी किसी खास ऋतु और हिंदू देवता से संबंधित है। जैसे मयूर द्वार - शरद ऋतु और भगवान विष्णु से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि ये द्वार महल की ऊर्जा को संतुलित करने का भी काम करते हैं।
5. गुप्त राजसी पूजा - परंपरा आज भी निभाई जाती है
हालांकि ज्यादातर लोग यह नहीं जानते, लेकिन राजपरिवार द्वारा सिटी पैलेस के अंदर आज भी कुछ विशेष पूजा और अनुष्ठान गुप्त रूप से किए जाते हैं। विशेष अवसरों पर चंद्र महल के अंदर पारंपरिक तरीके से देव पूजा की जाती है, जिसमें बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित होता है। यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। 6. दीवान-ए-आम की दीवारों पर छिपी पेंटिंग्स - इतिहास की एक झलक
दीवान-ए-आम में मौजूद पेंटिंग्स और भित्ति चित्र सिर्फ सजावट नहीं हैं, बल्कि वे उस समय के समाज की घटनाओं, युद्धों, त्योहारों और जीवनशैली को दर्शाते हैं। अगर गौर से देखा जाए तो इनमें कई गुप्त संकेत, प्रतीक और कहानियां छिपी हैं, जो इतिहासकारों के लिए शोध का विषय रही हैं।
7. मयूर द्वार के पीछे छिपा एक गुप्त कक्ष
मयूर द्वार को सबसे खूबसूरत और पवित्र द्वार माना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके पीछे एक खास कक्ष है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ राजपरिवार के सदस्य ही करते थे। कहा जाता है कि राजा यहां ध्यान और एकांत साधना के लिए आते थे। यह कक्ष आज भी आम लोगों के लिए बंद है और इसके रहस्य आज भी अनकहे हैं।
निष्कर्ष: एक महल, कई कहानियां
जयपुर का सिटी पैलेस सिर्फ एक शाही इमारत नहीं, बल्कि एक जीता जागता इतिहास है, जो समय के साथ रहस्यों की परतों में समा गया। अगली बार जब आप जयपुर आएं तो महल को सिर्फ पर्यटक स्थल के तौर पर न देखें बल्कि इसकी दीवारों, खिड़कियों और गलियारों में छिपी कहानियों को महसूस करने की कोशिश करें - क्योंकि हर पत्थर के पीछे एक कहानी है।
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