शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन को मंदिर में दर्शन कराने की परंपरा है, ताकि वे भगवान का आशीर्वाद लेकर सुखद वैवाहिक जीवन की शुरुआत कर सकें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा मंदिर है जहां दूल्हे जाने से कतराते हैं? यह मंदिर है ब्रह्माजी का प्रसिद्ध पुष्कर मंदिर। यह मंदिर राजस्थान के पुष्कर जिले में स्थित है और पूरे देश में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर है। यहां आने वाले विवाहित पुरुषों के लिए एक अनोखी कहानी है।
ब्रह्मा का यज्ञ और श्राप
ब्रह्मा ने सृष्टि के लिए पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उनकी पत्नी सावित्री का होना आवश्यक था, लेकिन वह समय पर नहीं पहुंच पाईं। जब समय बीतने लगा, तो ब्रह्माजी ने नंदिनी गाय से गायत्री को प्रकट किया और उससे विवाह कर यज्ञ शुरू किया। जब सावित्री आईं और देखा कि कोई अन्य स्त्री उनके स्थान पर बैठी है, तो उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दिया कि जो भी विवाहित व्यक्ति इस मंदिर में आएगा, उसके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आएंगी।
भगवान विष्णु और अन्य श्राप
सिर्फ ब्रह्माजी ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु को भी सावित्री ने श्राप दिया था। उन्हें अपनी पत्नी से वियोग का अनुभव करना पड़ा, जिसके कारण श्री राम को वनवास के दौरान 14 वर्षों तक अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ा। यज्ञ में शामिल ब्राह्मण को भी श्राप मिला कि वह कभी संतुष्ट नहीं होगा।
सावित्री का मंदिर
पुष्कर मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर सावित्री का मंदिर है। मान्यता है कि सावित्री ने वहां तपस्या की और वहीं निवास करने लगीं। महिलाएं यहां आकर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां चढ़ाकर अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
पुष्कर झील का महत्व
पुष्कर मंदिर के पास एक खूबसूरत झील है, जिसे पुष्कर झील कहा जाता है। इसे भी ब्रह्माजी ने बनाया था और यह अपनी पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार पुष्कर जरूर जाना चाहिए। यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसका महत्व बनारस या प्रयाग के समान है।
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