मॉस्को: रूस की एक टेक्निकल टीम ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि प्लांट में Su-57 लड़ाकू विमान के प्रोडक्शन की क्षमता है। आपको बता दें कि रूस ने भारत को Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट के 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ साथ सोर्स कोड सौंपने का भी ऑफर दिया हुआ है। वहीं रूस ने कहा था कि अगर सौदा तय होता है तो भारत में ही इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू किया जा सकता है।
रूस की ओर से एक तकनीकी रिपोर्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि HAL के पास पहले से ही करीब 50 प्रतिशत क्षमता मौजूद है, जो भारत में पांचवीं पीढ़ी के Su-57E स्टील्थ फाइटर विमान के घरेलू उत्पादन के लिए जरूरी है। इस रिपोर्ट को रूस के सुखोई डिजाइन ब्यूरो और अन्य रक्षा संस्थानों के प्रतिनिधियों ने मिलकर तैयार किया है। इस टीम ने सितंबर में HAL की प्रमुख उत्पादन इकाइयों का दौरा किया था।
HAL के प्लांट में हो सकता है Su-57E का प्रोडक्शन
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूसी टीम ने रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें कहा गया है कि HAL के पास पहले से ही 505 Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के उत्पादन की क्षमता है। इस रिपोर्ट में मामले से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने दिसंबर के पहले हफ्ते में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा से पहले, पिछले महीने HAL को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच क्या Su-57 लड़ाकू विमान को लेकर क्या समझौता हो सकता है?
रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी तकनीकी टीम ने Su-57E वैरिएंट के स्वदेशी उत्पादन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और तकनीकी तत्परता का मौके पर ही आकलन करने के लिए सितंबर में HAL की प्रमुख उत्पादन सुविधाओं का दौरा किया था। HAL के पास सुखोई विमान बनाने की तकनीक पहले से ही मौजूद है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत पहले से ही Su-30MKI का प्रोडक्शन करता है। Su-30MKI फाइटर जेट भारत में ही बनता है, जिसके लिए दिसंबर 2000 में रूस के साथ समझौता किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी एक्सपर्ट्स ने बेंगलुरु, नासिक और कोरापुट की सुविधाओं का निरीक्षण किया था। जिसके बाद रिपोर्ट सौंपी है। इसमें इस बात का मूल्यांकन किया गया था कि भारतीय रक्षा उद्योग की तकनीकी और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता इस परियोजना को किस स्तर तक संभाल सकती है।
क्या भारत और रूस में होगा समझौता?
रिपोर्ट के मुताबिक, HAL के पास इंजन असेंबली, एवियोनिक्स इंटीग्रेशन और एयरो-स्ट्रक्चर निर्माण से जुड़ी आधारभूत क्षमताएं पहले से ही मौजूद हैं। कंपनी ने पिछले दो दशकों में सुखोई-30 एमकेआई जैसे जटिल लड़ाकू विमानों के निर्माण में अब काफी अनुभव हासिल कर लिया है। रूसी विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुभव अब Su-57E के स्थानीय निर्माण की दिशा में एक मजबूत नींव बन सकता है, बशर्ते आवश्यक तकनीकी निवेश और रिसर्च में तेजी लाई जाए। सूत्रों के अनुसार, HAL अब एक विस्तृत आंतरिक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसमें यह आकलन किया जा रहा है कि Su-57E के पूर्ण पैमाने पर उत्पादन के लिए किन क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता होगी।
इसमें एडवांस कंपोजिट सामग्रियों के निर्माण, रडार-एब्जॉर्बिंग कोटिंग्स, डिजिटल डिजाइन और सिमुलेशन तकनीकों के साथ साथ अगली पीढ़ी के इंजन के टेस्ट के लिए टेस्ट बेड बनाने में निवेश को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसके साथ ही HAL मानव संसाधन, सप्लाई चेन डेवलपमेंट, और अनुसंधान साझेदारियों को लेकर भी एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रस्तावित भारत यात्रा से पहले अंतिम रूप दिया जाएगा।
भारत बनाएगा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान?
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि भारत Su-57E के ज्वाइंट प्रोडक्शन पर आगे बढ़ता है, तो इससे ना सिर्फ भारतीय वायुसेना की शक्ति में जल्द इजाफा किया जा सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को नई पहचान मिलेगी। Su-57 को रूस का सबसे एडवांस स्टील्थ फाइटर माना जाता है, जिसमें सुपरसोनिक क्रूज, कम रडार सिग्नेचर और मल्टीरोल क्षमताएं शामिल हैं। भारतीय वायुसेना के पास लगातार लड़ाकू विमानों की संख्या कम हो रही है। ऐसी स्थिति में भारत फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार कर रहा है। लेकिन चूंकी भारत पहले से ही AMCA पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा है, इसीलिए राफेल के भारी-भरकम बजट को लेकर कई स्तर पर गंभीर विचार हो रहे हैं।
रूस की ओर से एक तकनीकी रिपोर्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि HAL के पास पहले से ही करीब 50 प्रतिशत क्षमता मौजूद है, जो भारत में पांचवीं पीढ़ी के Su-57E स्टील्थ फाइटर विमान के घरेलू उत्पादन के लिए जरूरी है। इस रिपोर्ट को रूस के सुखोई डिजाइन ब्यूरो और अन्य रक्षा संस्थानों के प्रतिनिधियों ने मिलकर तैयार किया है। इस टीम ने सितंबर में HAL की प्रमुख उत्पादन इकाइयों का दौरा किया था।
HAL के प्लांट में हो सकता है Su-57E का प्रोडक्शन
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूसी टीम ने रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें कहा गया है कि HAL के पास पहले से ही 505 Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के उत्पादन की क्षमता है। इस रिपोर्ट में मामले से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने दिसंबर के पहले हफ्ते में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा से पहले, पिछले महीने HAL को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच क्या Su-57 लड़ाकू विमान को लेकर क्या समझौता हो सकता है?
रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी तकनीकी टीम ने Su-57E वैरिएंट के स्वदेशी उत्पादन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और तकनीकी तत्परता का मौके पर ही आकलन करने के लिए सितंबर में HAL की प्रमुख उत्पादन सुविधाओं का दौरा किया था। HAL के पास सुखोई विमान बनाने की तकनीक पहले से ही मौजूद है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत पहले से ही Su-30MKI का प्रोडक्शन करता है। Su-30MKI फाइटर जेट भारत में ही बनता है, जिसके लिए दिसंबर 2000 में रूस के साथ समझौता किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी एक्सपर्ट्स ने बेंगलुरु, नासिक और कोरापुट की सुविधाओं का निरीक्षण किया था। जिसके बाद रिपोर्ट सौंपी है। इसमें इस बात का मूल्यांकन किया गया था कि भारतीय रक्षा उद्योग की तकनीकी और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता इस परियोजना को किस स्तर तक संभाल सकती है।
क्या भारत और रूस में होगा समझौता?
रिपोर्ट के मुताबिक, HAL के पास इंजन असेंबली, एवियोनिक्स इंटीग्रेशन और एयरो-स्ट्रक्चर निर्माण से जुड़ी आधारभूत क्षमताएं पहले से ही मौजूद हैं। कंपनी ने पिछले दो दशकों में सुखोई-30 एमकेआई जैसे जटिल लड़ाकू विमानों के निर्माण में अब काफी अनुभव हासिल कर लिया है। रूसी विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुभव अब Su-57E के स्थानीय निर्माण की दिशा में एक मजबूत नींव बन सकता है, बशर्ते आवश्यक तकनीकी निवेश और रिसर्च में तेजी लाई जाए। सूत्रों के अनुसार, HAL अब एक विस्तृत आंतरिक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसमें यह आकलन किया जा रहा है कि Su-57E के पूर्ण पैमाने पर उत्पादन के लिए किन क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता होगी।
इसमें एडवांस कंपोजिट सामग्रियों के निर्माण, रडार-एब्जॉर्बिंग कोटिंग्स, डिजिटल डिजाइन और सिमुलेशन तकनीकों के साथ साथ अगली पीढ़ी के इंजन के टेस्ट के लिए टेस्ट बेड बनाने में निवेश को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसके साथ ही HAL मानव संसाधन, सप्लाई चेन डेवलपमेंट, और अनुसंधान साझेदारियों को लेकर भी एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रस्तावित भारत यात्रा से पहले अंतिम रूप दिया जाएगा।
भारत बनाएगा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान?
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि भारत Su-57E के ज्वाइंट प्रोडक्शन पर आगे बढ़ता है, तो इससे ना सिर्फ भारतीय वायुसेना की शक्ति में जल्द इजाफा किया जा सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को नई पहचान मिलेगी। Su-57 को रूस का सबसे एडवांस स्टील्थ फाइटर माना जाता है, जिसमें सुपरसोनिक क्रूज, कम रडार सिग्नेचर और मल्टीरोल क्षमताएं शामिल हैं। भारतीय वायुसेना के पास लगातार लड़ाकू विमानों की संख्या कम हो रही है। ऐसी स्थिति में भारत फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार कर रहा है। लेकिन चूंकी भारत पहले से ही AMCA पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा है, इसीलिए राफेल के भारी-भरकम बजट को लेकर कई स्तर पर गंभीर विचार हो रहे हैं।
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