इस्लामाबाद: पाकिस्तान सिंध प्रांत की पहाड़ियों में गुप्त परमाणु ठिकाना बना रहा है। वहां पाकिस्तानी सेना गुप्त तरीके से पहाड़ों में सुरंगे और कमरों का निर्माण कर रही है। यह खुलासा सिंधी नागरिक समाज समूहों और सिंधुदेश आंदोलन के एक गठबंधन ने किया है। उन्होंने सुदूर पहाड़ी इलाकों में कथित गुप्त परमाणु-संबंधी गतिविधियों पर तत्काल अंतरराष्ट्रीय चिंता जताई है। आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान इस जगह पर गुप्त परमाणु परीक्षण कर सकता है। यह भी आशंका है कि पाकिस्तान यहां परमाणु हथियारों को रखने की जगह का भी निर्माण कर रहा है, ताकि वह भारत की पहुंच से दूर रहे।
UN महासचिव और IAEA को लिखी चिट्ठी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण मामलों के कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) को लिखे एक औपचारिक पत्र में, इन समूहों ने दावा किया है कि नोरियाबाद के पास जमशोरो के उत्तर में, कंबर-शाहदादकोट के आसपास और मंचर झील के पश्चिम में कई भूमिगत सुरंगें और कमरों वाले सिस्टम का निर्माण किया गया है। यह पत्र जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज के अध्यक्ष शफी बुरफत ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर साझा किया है।
पाकिस्तानी सेना ने आम लोगों को किया दूर
पत्र के अनुसार, इन सुरंगों पर कथित तौर पर कड़ी सैन्य गोपनीयता बरती जा रही है। यहां लोगों की पहुंच प्रतिबंधित है और निर्माण कार्य ज़ोरों पर है। आशंका है कि इनका इस्तेमाल परमाणु सामग्री भंडारण या संबंधित प्रक्रियाओं के लिए किया जा सकता है। समूहों ने चेतावनी दी है कि यदि इन भूमिगत सुविधाओं में वास्तव में परमाणु सामग्री मौजूद है, तो रेडियोधर्मी प्रदूषण, पर्यावरणीय क्षति और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा एवं अप्रसार मानकों के उल्लंघन का गंभीर खतरा हो सकता है।
IAEA से जांच की मांग
पत्र में तत्काल अंतर्राष्ट्रीय सत्यापन का आग्रह किया गया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि इसका उद्देश्य तनाव बढ़ाना नहीं, बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना, नागरिकों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा करना है। इसमें IAEA से यह आकलन करने का अनुरोध किया गया है कि क्या ये आरोप उसके सत्यापन मानदंड के अंतर्गत आते हैं और यदि उपयुक्त हो, तो मौके पर मूल्यांकन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को तैनात करें।
मानवाधिकार और पर्यावरणीय आकलन की मांग
समूहों ने यह भी अनुरोध किया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक विश्वसनीय तथ्यात्मक रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सहयोग से एक स्वतंत्र, निष्पक्ष तथ्य-खोज मिशन का गठन करें। जल स्रोतों, कृषि, जैव विविधता और जन स्वास्थ्य के लिए संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए OHCHR, UNEP और अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों द्वारा समानांतर मानवाधिकार और पर्यावरणीय आकलन भी किए गए।
रेडियोलॉजिकल घटनाओं से सुरक्षा की अपील
इसके अलावा, याचिका में तस्वीरों, नक्शों और गवाहों के बयानों सहित साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए सुरक्षित माध्यमों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके साथ ही पाकिस्तान की धमकी या प्रतिशोध से स्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की मांग भी की गई है। स्थानीय आबादी के लिए अंतरिम एहतियाती दिशानिर्देश और संभावित रेडियोलॉजिकल घटनाओं के लिए आकस्मिक योजना बनाने का भी अनुरोध किया गया। पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि गलत सूचना को रोकने, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त करने और ज़रूरत पड़ने पर सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए पारदर्शी रिपोर्टिंग और जवाबदेही उपायों के साथ सत्यापन भी किया जाना चाहिए।
UN महासचिव और IAEA को लिखी चिट्ठी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण मामलों के कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) को लिखे एक औपचारिक पत्र में, इन समूहों ने दावा किया है कि नोरियाबाद के पास जमशोरो के उत्तर में, कंबर-शाहदादकोट के आसपास और मंचर झील के पश्चिम में कई भूमिगत सुरंगें और कमरों वाले सिस्टम का निर्माण किया गया है। यह पत्र जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज के अध्यक्ष शफी बुरफत ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर साझा किया है।
पाकिस्तानी सेना ने आम लोगों को किया दूर
पत्र के अनुसार, इन सुरंगों पर कथित तौर पर कड़ी सैन्य गोपनीयता बरती जा रही है। यहां लोगों की पहुंच प्रतिबंधित है और निर्माण कार्य ज़ोरों पर है। आशंका है कि इनका इस्तेमाल परमाणु सामग्री भंडारण या संबंधित प्रक्रियाओं के लिए किया जा सकता है। समूहों ने चेतावनी दी है कि यदि इन भूमिगत सुविधाओं में वास्तव में परमाणु सामग्री मौजूद है, तो रेडियोधर्मी प्रदूषण, पर्यावरणीय क्षति और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा एवं अप्रसार मानकों के उल्लंघन का गंभीर खतरा हो सकता है।
IAEA से जांच की मांग
पत्र में तत्काल अंतर्राष्ट्रीय सत्यापन का आग्रह किया गया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि इसका उद्देश्य तनाव बढ़ाना नहीं, बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना, नागरिकों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा करना है। इसमें IAEA से यह आकलन करने का अनुरोध किया गया है कि क्या ये आरोप उसके सत्यापन मानदंड के अंतर्गत आते हैं और यदि उपयुक्त हो, तो मौके पर मूल्यांकन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को तैनात करें।
मानवाधिकार और पर्यावरणीय आकलन की मांग
समूहों ने यह भी अनुरोध किया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक विश्वसनीय तथ्यात्मक रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सहयोग से एक स्वतंत्र, निष्पक्ष तथ्य-खोज मिशन का गठन करें। जल स्रोतों, कृषि, जैव विविधता और जन स्वास्थ्य के लिए संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए OHCHR, UNEP और अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों द्वारा समानांतर मानवाधिकार और पर्यावरणीय आकलन भी किए गए।
रेडियोलॉजिकल घटनाओं से सुरक्षा की अपील
इसके अलावा, याचिका में तस्वीरों, नक्शों और गवाहों के बयानों सहित साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए सुरक्षित माध्यमों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके साथ ही पाकिस्तान की धमकी या प्रतिशोध से स्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की मांग भी की गई है। स्थानीय आबादी के लिए अंतरिम एहतियाती दिशानिर्देश और संभावित रेडियोलॉजिकल घटनाओं के लिए आकस्मिक योजना बनाने का भी अनुरोध किया गया। पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि गलत सूचना को रोकने, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त करने और ज़रूरत पड़ने पर सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए पारदर्शी रिपोर्टिंग और जवाबदेही उपायों के साथ सत्यापन भी किया जाना चाहिए।
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