वॉशिंगटन: अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। कंपनियों को H-1B वर्कर वीजा के लिए अब हर साल 1,00,000 डॉलर (करीब 88 लाख भारतीय रुपए) का भुगतान करना होगा। इसका सीधा असर अमेरिका के H-1B वीजाधारकों पर हो रहा है। अमेरिका में सबसे ज्यादा H-1B वीजाधारक भारत के हैं। ऐसे में भारतीय इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना कर रहे हैं। कई भारतीयों ने इस फैसले के बाद हुई दिक्कत के बारे में बताया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, H-1B वीजा पर ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को एक दिन के भीतर वापस लौटने के लिए कहा। इससे वह वीजाधारक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जो इस फैसले के वक्त अमेरिका से बाहर थे। उन्हें पारिवारिक कार्यक्रमों और पहले से तय यात्राओं को बीच में छोड़कर वापसी को मजबूर होना पड़ा। इसने आर्थिक स्तर के साथ-साथ मानसिक तौर पर उनको परेशान किया।
खुद बताया अपना दुखसरमुच नाम के रेडिट उपयोगकर्ता 'सरमुच' ने अपने और अपने परिचित एच-1बी वीजाधारकों के बारे में बताया है। ये लोग ट्रंप प्रशासन के आदेश के समय अमेरिका से बाहर थे। कंपनियों की ओर से ईमेल भेजकर इनको वापस लौटने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के मेल मिलने के बाद उनकी समझ में नहीं आया कि क्या करें।
एक यूजर ने लिखा, 'ये कयामत टूट पड़ने जैसा था। अपनी मां को रोते हुए देखना काफी मुश्किल होता है। यह अन्याय है, ऐसा नहीं होना चाहिए था। भावनात्मक रूप से बहुत नुकसान हुआ है। परिवार बिछड़ गए और कई अवसर हाथ से निकल गए। यहां तक कि कुछ लोगों को हफ्ते बाद की अपनी शादियों को कैंसिल करना पड़ा, जिसकी तैयारी में वो लगे थे।
घबराहट में बीता वक्तH-1B वीजाधारकों ने ट्रंप की शुक्रवार की घोषणा के बाद के घंटों को घबराहट और चिंता से भरा बताया। कई लोगों ने फ्लाइट के इंतजार और अचानक हुए बदलावों के बारे में बताया। कई टेक कंपनियों ने H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को अगली सूचना तक अमेरिका छोड़ने से मना कर दिया। इससे कई परिवारों को मुश्किल का सामना करना पड़ा।
एक यूजर ने गुस्सा जताते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन में बीते सात-आठ महीने उठापटक वाले रहे हैं। लोगों को बस यह नहीं पता कि वे अमेरिका से बाहर जा रहे हैं तो वापस आ पाएंगे या नहीं। कई लोग अमेरिका में अपना जीवन संवारने को लेकर असमंजस में हैं। अमेरिका में अब हर एक चीज को लेकर बहुत ज्यादा अनिश्चितता बनी हुई है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, H-1B वीजा पर ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को एक दिन के भीतर वापस लौटने के लिए कहा। इससे वह वीजाधारक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जो इस फैसले के वक्त अमेरिका से बाहर थे। उन्हें पारिवारिक कार्यक्रमों और पहले से तय यात्राओं को बीच में छोड़कर वापसी को मजबूर होना पड़ा। इसने आर्थिक स्तर के साथ-साथ मानसिक तौर पर उनको परेशान किया।
खुद बताया अपना दुखसरमुच नाम के रेडिट उपयोगकर्ता 'सरमुच' ने अपने और अपने परिचित एच-1बी वीजाधारकों के बारे में बताया है। ये लोग ट्रंप प्रशासन के आदेश के समय अमेरिका से बाहर थे। कंपनियों की ओर से ईमेल भेजकर इनको वापस लौटने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के मेल मिलने के बाद उनकी समझ में नहीं आया कि क्या करें।
एक यूजर ने लिखा, 'ये कयामत टूट पड़ने जैसा था। अपनी मां को रोते हुए देखना काफी मुश्किल होता है। यह अन्याय है, ऐसा नहीं होना चाहिए था। भावनात्मक रूप से बहुत नुकसान हुआ है। परिवार बिछड़ गए और कई अवसर हाथ से निकल गए। यहां तक कि कुछ लोगों को हफ्ते बाद की अपनी शादियों को कैंसिल करना पड़ा, जिसकी तैयारी में वो लगे थे।
घबराहट में बीता वक्तH-1B वीजाधारकों ने ट्रंप की शुक्रवार की घोषणा के बाद के घंटों को घबराहट और चिंता से भरा बताया। कई लोगों ने फ्लाइट के इंतजार और अचानक हुए बदलावों के बारे में बताया। कई टेक कंपनियों ने H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को अगली सूचना तक अमेरिका छोड़ने से मना कर दिया। इससे कई परिवारों को मुश्किल का सामना करना पड़ा।
एक यूजर ने गुस्सा जताते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन में बीते सात-आठ महीने उठापटक वाले रहे हैं। लोगों को बस यह नहीं पता कि वे अमेरिका से बाहर जा रहे हैं तो वापस आ पाएंगे या नहीं। कई लोग अमेरिका में अपना जीवन संवारने को लेकर असमंजस में हैं। अमेरिका में अब हर एक चीज को लेकर बहुत ज्यादा अनिश्चितता बनी हुई है।
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