नई दिल्ली: भारत ने देसी ब्रॉडकास्टर और टेलीपोर्टर्स के लिए चीन से जुड़े सैटेलाइट के इस्तेमाल पर लगाम कसना शुरू कर दिया है। जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता को देखते हुए केंद्र सरकार कतई नहीं चाहती कि चीन जैसे देश की वजह से देश की सुरक्षा के लिए किसी तरह की नई चुनौती खड़ी हो। जो चीनी सैटेलाइट देश में दशकों से सेवाएं दे रही हैं, उन्हें भी अब भविष्य के लिए मंजूरी लेने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं।
चाइनीज सैटेलाइट को आगे के लिए ना
ET की एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार स्पसे सेक्टर रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशनल एंड अथॉराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने भारतीय कंपनियों के लिए सैटेलाइट सेवाएं उपलब्ध करवाने के चाइनसैट (Chinasat) और हॉन्ग कॉन्ग के एपस्टार (ApStar) और एशियासैट(AsiaSat) जैसी कंपनियों के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है। एशियासैट भारत में करीब 33 वर्षों से है। अभी इसके सिर्फ दो सैटेलाइट AS5 और AS7 को अगले साल मार्च तक के लिए मंजूरी है। लेकिन, इसके AS6, AS8, और AS9 सैटेलाइट को मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया है।
देसी सैटेलाइट की ओर शिफ्ट करना विकल्प
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'जियोस्टार (JioStar), जी (Zee) जैसे ब्रॉडकास्टर्स के साथ-साथ टेलीपोर्ट ऑपरेटरों को एशियासैट 5 और 7 सैटेलाइट से लोकल जीसैट( GSAT ) और इंटेलसैट(Intelsat) जैसे सैटेलाइट की और अगले साल मार्च तक शिफ्ट करना होगा।' इस मामले की जानकारी रखने वाले एक और एक शख्स ने कहा कि सेवाओं में किसी तरह की बाधा न आए, इससे बचने के लिए ये कंपनियां पहले ही दूसरे सैटेलाइट का रुख करने लगी हैं।
भारतीय रेगुलेटर को मनाने की कोशिश
जी के एक प्रवक्ता ने साफ किया है कि वह अपनी सेवाएं GSAT-30, GSAT-17 और Intelsat-20 की ओर शिफ्ट कर चुका है। हालांकि, IN- SPACe , JioStar और ApStar ने ET में खबर छपने तक सवालों का जवाब नहीं दिया। वहीं एशियासैट अभी भी रेगुलेटर से बातचीत कर रहा है कि भारत में उसकी सेवाएं बहाल रह जाएं। भारत में एशियासैट के अधिकृत पार्टनर इनॉर्बिट स्पेस (Inorbit Space) के मैनेजिंग डायरेक्टर राजदीप सिंह गोहिल ने कहा, 'इनॉर्बिट स्पेस ने एशियासैट 5 और एशियासैट 7सी बैंड को एक्सटेंशन देने के लिए IN-SPACe के पास आवेदन दिया है। इनॉर्बिट स्पेस और एशियासैट के टॉप मैनेजमेंट की इन-स्पेस के चेयरमैन और प्रोग्राम मैनेजमेंट ऑफिस के साथ पिछले कुछ महीनों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है।'
एशियासैट अपने लंबे योगदान की दे रहा दलील
गोहिल के मुताबिक इन-स्पेस (IN-SPACe ) ने अभी तक लंबे समय के लिए मंजूरी नहीं देने का कोई कारण नहीं बताया है, हालांकि रेगुलेटर ने पिछले 33 सालों में भारत में एशियासैट के योगदान को माना है। उनके अनुसार, 'भारत में एशियासैट की ओर से नियमों का पालन नहीं करने जैसा कोई इतिहास नहीं है। एशियासैट के सैटेलाइट के पहले के सभी अपलिंक्स को सूचना प्रसारण मंत्रालय, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन, डिपार्टमेंट को स्पेस और गृह मंत्रालय से मंजूरी दी गई है।'
कई विदेशी कंपनियों को मिली मंजूरी
दरअसल, अब भारत में अपनी सेवाएं देने के लिए सभी विदेशी सैटेलाइट कंपनियों को रेगुलेटर इन-स्पेस (IN-SPAC) से मंजूरी लेना जरूरी है। इंटेलसैट (Intelsat), स्टारलिंक (Starlink), वनवेब (OneWeb), आईपीस्टार (IPStar),ऑर्बिटकनेक्ट (OrbitConnect)और इनमारसैट (Inmarsat) भारत में कम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं के लिए यह मंजूरी ले चुके हैं।
भारत में अपने सैटेलाइट की कमी नहीं
अधिकारियों का कहना है कि GSAT की वजह से अभी भारत के पास सैटेलाइट क्षमता की कमी नहीं है और भारतीय कंपनियों को पहले की तरह अब किसी दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। पिछले वर्षों में यह दिक्कत थी, जिसकी वजह से सरकार को विदेशी सैटेलाइट को मंजूरी देनी पड़ी थी, ताकि किसी तरह कि बाधा उत्पन्न न हो, जिसमें चीन से जुड़े सैटेलाइट लिंक भी शामिल थे।
देश की सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष भी बड़ी चुनौती
अधिकारियों का कहना है कि अब अंतरिक्ष भी सुरक्षा के नजरिए से बहुत ही चुनौतीपूर्ण सेक्टर बनकर उभरा है, ऐसे में सरकार लोकल सैटेलाइट और स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर को ही बढ़ावा देना चाहती है। IN-SPACe के अनुसार भारत में अभी स्पेस इकोनॉमी काफी फल-फूल रही है। आसार हैं कि 2033 तक यह 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। मतलब, तबतक इस क्षेत्र में इसका वैश्विक योगदान अभी के 2% से बढ़कर 8% हो जाएगा। ब्रॉडकास्टिंग के साथ ही कम्युनिकेशन से स्पेस सेक्टर को बहुत बड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद है। एलन मस्क की स्टारलिंक, यूटेलसैट की वनवेब, अमेजन कुइपर और जियो-एसईएस जॉइंट वेंचर जैसी सैटकॉम कंपनियां, भारत में ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए सरकार की फाइनल मंजूरी के इंतजार में हैं।
चाइनीज सैटेलाइट को आगे के लिए ना
ET की एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार स्पसे सेक्टर रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशनल एंड अथॉराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने भारतीय कंपनियों के लिए सैटेलाइट सेवाएं उपलब्ध करवाने के चाइनसैट (Chinasat) और हॉन्ग कॉन्ग के एपस्टार (ApStar) और एशियासैट(AsiaSat) जैसी कंपनियों के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है। एशियासैट भारत में करीब 33 वर्षों से है। अभी इसके सिर्फ दो सैटेलाइट AS5 और AS7 को अगले साल मार्च तक के लिए मंजूरी है। लेकिन, इसके AS6, AS8, और AS9 सैटेलाइट को मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया है।
देसी सैटेलाइट की ओर शिफ्ट करना विकल्प
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'जियोस्टार (JioStar), जी (Zee) जैसे ब्रॉडकास्टर्स के साथ-साथ टेलीपोर्ट ऑपरेटरों को एशियासैट 5 और 7 सैटेलाइट से लोकल जीसैट( GSAT ) और इंटेलसैट(Intelsat) जैसे सैटेलाइट की और अगले साल मार्च तक शिफ्ट करना होगा।' इस मामले की जानकारी रखने वाले एक और एक शख्स ने कहा कि सेवाओं में किसी तरह की बाधा न आए, इससे बचने के लिए ये कंपनियां पहले ही दूसरे सैटेलाइट का रुख करने लगी हैं।
भारतीय रेगुलेटर को मनाने की कोशिश
जी के एक प्रवक्ता ने साफ किया है कि वह अपनी सेवाएं GSAT-30, GSAT-17 और Intelsat-20 की ओर शिफ्ट कर चुका है। हालांकि, IN- SPACe , JioStar और ApStar ने ET में खबर छपने तक सवालों का जवाब नहीं दिया। वहीं एशियासैट अभी भी रेगुलेटर से बातचीत कर रहा है कि भारत में उसकी सेवाएं बहाल रह जाएं। भारत में एशियासैट के अधिकृत पार्टनर इनॉर्बिट स्पेस (Inorbit Space) के मैनेजिंग डायरेक्टर राजदीप सिंह गोहिल ने कहा, 'इनॉर्बिट स्पेस ने एशियासैट 5 और एशियासैट 7सी बैंड को एक्सटेंशन देने के लिए IN-SPACe के पास आवेदन दिया है। इनॉर्बिट स्पेस और एशियासैट के टॉप मैनेजमेंट की इन-स्पेस के चेयरमैन और प्रोग्राम मैनेजमेंट ऑफिस के साथ पिछले कुछ महीनों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है।'
एशियासैट अपने लंबे योगदान की दे रहा दलील
गोहिल के मुताबिक इन-स्पेस (IN-SPACe ) ने अभी तक लंबे समय के लिए मंजूरी नहीं देने का कोई कारण नहीं बताया है, हालांकि रेगुलेटर ने पिछले 33 सालों में भारत में एशियासैट के योगदान को माना है। उनके अनुसार, 'भारत में एशियासैट की ओर से नियमों का पालन नहीं करने जैसा कोई इतिहास नहीं है। एशियासैट के सैटेलाइट के पहले के सभी अपलिंक्स को सूचना प्रसारण मंत्रालय, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन, डिपार्टमेंट को स्पेस और गृह मंत्रालय से मंजूरी दी गई है।'
कई विदेशी कंपनियों को मिली मंजूरी
दरअसल, अब भारत में अपनी सेवाएं देने के लिए सभी विदेशी सैटेलाइट कंपनियों को रेगुलेटर इन-स्पेस (IN-SPAC) से मंजूरी लेना जरूरी है। इंटेलसैट (Intelsat), स्टारलिंक (Starlink), वनवेब (OneWeb), आईपीस्टार (IPStar),ऑर्बिटकनेक्ट (OrbitConnect)और इनमारसैट (Inmarsat) भारत में कम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं के लिए यह मंजूरी ले चुके हैं।
भारत में अपने सैटेलाइट की कमी नहीं
अधिकारियों का कहना है कि GSAT की वजह से अभी भारत के पास सैटेलाइट क्षमता की कमी नहीं है और भारतीय कंपनियों को पहले की तरह अब किसी दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। पिछले वर्षों में यह दिक्कत थी, जिसकी वजह से सरकार को विदेशी सैटेलाइट को मंजूरी देनी पड़ी थी, ताकि किसी तरह कि बाधा उत्पन्न न हो, जिसमें चीन से जुड़े सैटेलाइट लिंक भी शामिल थे।
देश की सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष भी बड़ी चुनौती
अधिकारियों का कहना है कि अब अंतरिक्ष भी सुरक्षा के नजरिए से बहुत ही चुनौतीपूर्ण सेक्टर बनकर उभरा है, ऐसे में सरकार लोकल सैटेलाइट और स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर को ही बढ़ावा देना चाहती है। IN-SPACe के अनुसार भारत में अभी स्पेस इकोनॉमी काफी फल-फूल रही है। आसार हैं कि 2033 तक यह 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। मतलब, तबतक इस क्षेत्र में इसका वैश्विक योगदान अभी के 2% से बढ़कर 8% हो जाएगा। ब्रॉडकास्टिंग के साथ ही कम्युनिकेशन से स्पेस सेक्टर को बहुत बड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद है। एलन मस्क की स्टारलिंक, यूटेलसैट की वनवेब, अमेजन कुइपर और जियो-एसईएस जॉइंट वेंचर जैसी सैटकॉम कंपनियां, भारत में ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए सरकार की फाइनल मंजूरी के इंतजार में हैं।
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