लखनऊ: राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश (SMCG-UP) सभी 75 जिलों में गंगा उत्सव 2025 का आयोजन 4 नवम्बर को किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित होने के ऐतिहासिक दिन की स्मृति में वर्ष 2017 से हर साल आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष गंगा उत्सव का 9वां संस्करण मनाया जा रहा है, इस अवसर पर गंगा उत्सव को भव्य रूप से आयोजित करने की तैयारी है।
प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला गंगा समितियों के माध्यम से गंगा उत्सव का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक जनपद में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें लोक संगीत, कला प्रदर्शनी, चित्रकला, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, स्वच्छता अभियान और सामुदायिक आयोजन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण को बढ़ावा देना, उसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करना तथा स्वच्छता एवं जन-जागरुकता को सशक्त बनाना है। इस अवसर पर स्वच्छता अभियान, सामुदायिक कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ भी आयोजित की जाएंगी, जिनमें नदी संरक्षण, जैव विविधता और सतत जीवनशैली जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य 'गंगा को जानो' पहल को आगे बढ़ाना और नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना है।
इस वर्ष का मुख्य राज्यस्तरीय आयोजन जनपद अयोध्या में दिनांक 5 नवंबर, 2025 को डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में किया जाएगा। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देशन में जिला गंगा समिति, अयोध्या द्वारा कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में जनभागीदारी के उद्देश्य से आयोजन में ज़िला गंगा समिति द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण, गंगा प्रहरियों से संवाद तथा पारंपरिक कलाओं और संगीत जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल किए गए हैं।
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश द्वारा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 'स्वच्छता ही सेवा' तथा 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता अभियान संचालित किया गया है। इन अभियानों के माध्यम से प्रत्येक जनपद में 20,000 से अधिक स्कूली बच्चों को जागरूक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि नई पीढ़ी गंगा संरक्षण की भावना और जिम्मेदारी को आत्मसात कर सके। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश द्वारा ज़िला गंगा समितियों के सहयोग से पूरे वर्ष नदी स्वच्छता और जन-जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम निरंतर चलाए जातें रहते हैं।
गंगा उत्सव 2025 केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि गंगा नदी की स्वच्छता, संरक्षण और पुनर्जीवन के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
यह व्यापक जनजागरूकता अभियान हमारी नदियों के पुनर्जीवन एवं उनके सतत संरक्षण के उद्देश्य की प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला गंगा समितियों के माध्यम से गंगा उत्सव का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक जनपद में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें लोक संगीत, कला प्रदर्शनी, चित्रकला, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, स्वच्छता अभियान और सामुदायिक आयोजन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण को बढ़ावा देना, उसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करना तथा स्वच्छता एवं जन-जागरुकता को सशक्त बनाना है। इस अवसर पर स्वच्छता अभियान, सामुदायिक कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ भी आयोजित की जाएंगी, जिनमें नदी संरक्षण, जैव विविधता और सतत जीवनशैली जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य 'गंगा को जानो' पहल को आगे बढ़ाना और नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना है।
इस वर्ष का मुख्य राज्यस्तरीय आयोजन जनपद अयोध्या में दिनांक 5 नवंबर, 2025 को डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में किया जाएगा। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देशन में जिला गंगा समिति, अयोध्या द्वारा कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में जनभागीदारी के उद्देश्य से आयोजन में ज़िला गंगा समिति द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण, गंगा प्रहरियों से संवाद तथा पारंपरिक कलाओं और संगीत जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल किए गए हैं।
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश द्वारा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 'स्वच्छता ही सेवा' तथा 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता अभियान संचालित किया गया है। इन अभियानों के माध्यम से प्रत्येक जनपद में 20,000 से अधिक स्कूली बच्चों को जागरूक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि नई पीढ़ी गंगा संरक्षण की भावना और जिम्मेदारी को आत्मसात कर सके। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश द्वारा ज़िला गंगा समितियों के सहयोग से पूरे वर्ष नदी स्वच्छता और जन-जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम निरंतर चलाए जातें रहते हैं।
गंगा उत्सव 2025 केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि गंगा नदी की स्वच्छता, संरक्षण और पुनर्जीवन के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
यह व्यापक जनजागरूकता अभियान हमारी नदियों के पुनर्जीवन एवं उनके सतत संरक्षण के उद्देश्य की प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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