नई दिल्ली/सिंगापुर: भारत और सिंगापुर मलक्का स्ट्रेट को लेकर एक अहम समझौते पर पहुंचे हैं, जिससे चीन कतई खुश नहीं होगा। भारत और सिंगापुर ने तय किया है कि दोनों देश मिलकर मलक्का स्ट्रेट की एकसाथ पेट्रोलिंग करेंगे। मलक्का स्ट्रेट वो समुद्री इलाका है, जिसके जरिए चीन अपना ज्यादातर कारोबार करता है और इस पूरे क्षेत्र को चीन का 'चिकन नेक' कहा जाता है। मलक्का स्ट्रेट समुद्र का वो संकरा इलाका है, या फिर समुद्री दरवाजा कह सकते हैं, जिसके जरिए बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में एंट्री मिलती है। अगर मलक्का स्ट्रेट को ब्लॉक कर दिया जाए तो कोई भी देश हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में दाखिल नहीं हो सकता है।
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने एक हाई लेवल बैठक के बाद एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा कि "सिंगापुर, भारत की मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल में दिलटस्पी की सराहना करता है।" मलक्का स्ट्रेट दुनिया की जियो-पॉलिटिक्स के लिहाज से बहुत संवेदनशील समुद्री क्षेत्र माना जाता है और इस पूरे क्षेत्र में भारत का दबदबा है। युद्ध के दौरान भारत इस पूरे क्षेत्र को ब्लॉक कर चीन की पूरी सप्लाई चेन को तहस नहस कर सकता है, इसीलिए चीन कई सालों से मलक्का स्ट्रेट का विकल्प तैयार करने के लिए हाथ पैर मारता आया है, लेकिन अभी तक उसे कामयाबी नहीं मिल पाई है।
मलक्का स्ट्रेट की पेट्रोलिंग करेगा भारत
आपको बता दें कि मलक्का स्ट्रेट, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। मलक्का स्ट्रेट ही हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ता है। ये बंगाल की खाड़ी में आने का भी दरवाजा है और चीन अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इसी रास्ते पर निर्भर है। चीन को लंबे समय से डर रहा है कि भारत और अमेरिका मिलकर इस संकीर्ण समुद्री जलमार्ग को ब्लॉक कर उसे बेबस कर सकते हैं।
मौजूदा समय की बात करें तो फिलहाल सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया मिलकर मलक्का स्ट्रेट की निगरानी करते हैं। लेकिन अगर भारत भी इस पेट्रोलिंग में शामिल हो जाता है तो इन तीनों देशों की समुद्री सुरक्षा काफी मजबूत हो जाएगी और चीन प्रेशर में आ जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के तैयार होने के बाद अब भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ भी मलक्का स्ट्रेट की निगरानी के लिए बातचीत कर रहा है, ताकि संयुक्त गश्ती के सपने को पूरा किया जा सके। अगर ऐसा हो जाता है तो ये भारत की बहुत बड़ी स्ट्रैटजिक जीत होगी।
चीन के लिए 'चिकन नेक' क्यों है मलक्का स्ट्रेट?
मलक्का स्ट्रेट चीन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन अपने 80 प्रतिशत कच्चे तेल और गैस का आयात इसी संकरे समुद्री मार्ग से करता है। मिडिल ईस्ट और अफ्रीका से आने वाली ऊर्जा आपूर्ति के लिए यह सबसे तेज और सबसे किफायती रास्ता मलक्का स्ट्रेट ही है। इसके अलावा चीन के विदेशी व्यापार का बड़ा हिस्सा मलक्का स्ट्रेट से होकर ही गुजरता है। यह हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है, जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों तक चीन को सीधा संपर्क हासिल हो पाता है।
मलक्का स्ट्रेट काफी संकरा रास्ता है और एक प्वाइंट पर यह सिर्फ 2.7 किलोमीटर ही चौड़ा है, जिससे युद्ध की स्थिति में इसे काफी आसानी से ब्लॉक किया जा सकता है और चीन के सप्लाई चेन को काटा जा सकता है। चीन के लिए मलक्का स्ट्रेट को उसकी सबसे बड़ी कमजोरी माना जाता है। मलक्का स्ट्रेट पर निर्भरता कम करने के लिए चीन ने ग्वादर (पाकिस्तान) से लेकर म्यांमार और कंबोडिया तक वैकल्पिक बंदरगाह और पाइपलाइन नेटवर्क बनाने की कोशिश की है, लेकिन अभी भी उसका मुख्य मार्ग मलक्का स्ट्रेट ही है।
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने एक हाई लेवल बैठक के बाद एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा कि "सिंगापुर, भारत की मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल में दिलटस्पी की सराहना करता है।" मलक्का स्ट्रेट दुनिया की जियो-पॉलिटिक्स के लिहाज से बहुत संवेदनशील समुद्री क्षेत्र माना जाता है और इस पूरे क्षेत्र में भारत का दबदबा है। युद्ध के दौरान भारत इस पूरे क्षेत्र को ब्लॉक कर चीन की पूरी सप्लाई चेन को तहस नहस कर सकता है, इसीलिए चीन कई सालों से मलक्का स्ट्रेट का विकल्प तैयार करने के लिए हाथ पैर मारता आया है, लेकिन अभी तक उसे कामयाबी नहीं मिल पाई है।
मलक्का स्ट्रेट की पेट्रोलिंग करेगा भारत
आपको बता दें कि मलक्का स्ट्रेट, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। मलक्का स्ट्रेट ही हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ता है। ये बंगाल की खाड़ी में आने का भी दरवाजा है और चीन अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इसी रास्ते पर निर्भर है। चीन को लंबे समय से डर रहा है कि भारत और अमेरिका मिलकर इस संकीर्ण समुद्री जलमार्ग को ब्लॉक कर उसे बेबस कर सकते हैं।
मौजूदा समय की बात करें तो फिलहाल सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया मिलकर मलक्का स्ट्रेट की निगरानी करते हैं। लेकिन अगर भारत भी इस पेट्रोलिंग में शामिल हो जाता है तो इन तीनों देशों की समुद्री सुरक्षा काफी मजबूत हो जाएगी और चीन प्रेशर में आ जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के तैयार होने के बाद अब भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ भी मलक्का स्ट्रेट की निगरानी के लिए बातचीत कर रहा है, ताकि संयुक्त गश्ती के सपने को पूरा किया जा सके। अगर ऐसा हो जाता है तो ये भारत की बहुत बड़ी स्ट्रैटजिक जीत होगी।
चीन के लिए 'चिकन नेक' क्यों है मलक्का स्ट्रेट?
मलक्का स्ट्रेट चीन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन अपने 80 प्रतिशत कच्चे तेल और गैस का आयात इसी संकरे समुद्री मार्ग से करता है। मिडिल ईस्ट और अफ्रीका से आने वाली ऊर्जा आपूर्ति के लिए यह सबसे तेज और सबसे किफायती रास्ता मलक्का स्ट्रेट ही है। इसके अलावा चीन के विदेशी व्यापार का बड़ा हिस्सा मलक्का स्ट्रेट से होकर ही गुजरता है। यह हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है, जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों तक चीन को सीधा संपर्क हासिल हो पाता है।
मलक्का स्ट्रेट काफी संकरा रास्ता है और एक प्वाइंट पर यह सिर्फ 2.7 किलोमीटर ही चौड़ा है, जिससे युद्ध की स्थिति में इसे काफी आसानी से ब्लॉक किया जा सकता है और चीन के सप्लाई चेन को काटा जा सकता है। चीन के लिए मलक्का स्ट्रेट को उसकी सबसे बड़ी कमजोरी माना जाता है। मलक्का स्ट्रेट पर निर्भरता कम करने के लिए चीन ने ग्वादर (पाकिस्तान) से लेकर म्यांमार और कंबोडिया तक वैकल्पिक बंदरगाह और पाइपलाइन नेटवर्क बनाने की कोशिश की है, लेकिन अभी भी उसका मुख्य मार्ग मलक्का स्ट्रेट ही है।
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