नई दिल्ली: पाकिस्तान खुद को सऊदी अरब को अपना दोस्त और बड़ा भाई समझता है। मगर, इसी सऊदी अरब में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गए तो उन्होंने सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान बिन मोहम्मद के साथ ऐसी डील कर ली जिससे पाकिस्तान चिढ़ सकता है। पाकिस्तान को सऊदी का शाही परिवार बस अपना चमचा ही समझता है, जो अक्सर सऊदी के शाही परिवार की खुशामद करने के लिए अपने दुर्लभ हुबारा बस्टर्ड पक्षियों को नाश्ते में परोसता है। उन्हें अपने यहां शिकार करने की अनुमति देता है। यही पाकिस्तान अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग भी पड़ता जा रहा है। इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया है। उन्होंने शुक्रवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा, या फिर उनका खून बहेगा। सिंधु दरिया हमारा है और हमारा ही रहेगा। भुट्टो ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आप एक झटके में सिंधु जल समझौता को तोड़ दें। हम इसे नहीं मानते हैं। हमारी अवाम इसे नहीं मानती। हजारों साल से हम इस नदी के वारिस हैं। उनके पुरखों ने भी सऊदी के शेखों को रिझाने के लिए इस चिड़िया की बलि दी है। जानते हैं कि सऊदी अरब भारत को इतनी तवज्जो क्यों देता है? सऊदी अरब ने की पहलगाम आतंकी हमले की निंदासंयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब के शाही परिवार पाकिस्तान में दुर्लभ हुबारा बस्टर्ड पक्षी का शिकार करने के लिए आते हैं। यह पक्षी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित है, क्योंकि इनकी संख्या बहुत कम है। इसके बाद भी पाकिस्तान सऊदी अरब की चमचई करने से बाज नहीं आता है। वहीं, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले की निंदा करते हुए निर्दोष लोगों के प्रति गहरी संवेदना जताई। पीएम मोदी और सलमान ने पूरी ताकत से आतंक से लड़ने का संकल्प लिया। भारत की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि पीएम नरेंद्र मोदी की सऊदी क्राउन प्रिंस से मुलाकात के दौरान यह चर्चा हुई। इसके अलावा, यूएई और ईरान ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है। खाड़ी देशों के शाही परिवारों को मिलती है शिकार की मंजूरीदुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मक्तूम और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों को भी शिकार की अनुमति दी गई है। उन्हें 2020-21 के शिकार सत्र के दौरान इस पक्षी को मारने की इजाजत मिली है। ऐसा पहली बार नहीं है जब खाड़ी देशों के शाही परिवार और उनके अमीर दोस्त पाकिस्तान में शिकार करने आए हैं। ये गुप्त शिकार अभियान पिछले 40 सालों से चल रहे हैं। यहां तक कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में हुबारा बस्टर्ड के शिकार पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में इस रोक को हटा दिया गया।
हुबारा बस्टर्ड क्या है, जिसके लिए खाड़ी देश के लोग आते हैंहुबारा बस्टर्ड पक्षी एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। उत्तरी अफ्रीकी हुबारा (Chlamydotis undulata) और एशियाई हुबारा (Chlamydotis macqueenii) की अलग-अलग प्रजातियां हैं। एशियाई हुबारा भारत में पाए जाने वाले गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड से संबंधित है। एशियाई हुबारा बस्टर्ड वसंत में मध्य एशिया में प्रजनन करते हैं। फिर वे सर्दियों में पाकिस्तान, अरब प्रायद्वीप और दक्षिण-पश्चिम एशिया में चले जाते हैं। कुछ एशियाई हुबारा बस्टर्ड ईरान, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहित अपने क्षेत्रों के दक्षिणी भाग में रहते और प्रजनन करते हैं। 42 हजार एशियाई हुबारा बस्टर्ड ही बचे हैंइंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन (IFHC) के अनुसार, आज लगभग 42,000 एशियाई हुबारा बस्टर्ड और 22,000 से अधिक उत्तरी अफ्रीकी हुबारा बस्टर्ड बचे हैं। IFHC की वेबसाइट के अनुसार, इस प्रजाति की आबादी में गिरावट के मुख्य कारण अवैध शिकार, अनियंत्रित शिकार और इसके प्राकृतिक आवास का विनाश हैं।
पाकिस्तान में हुबारा का शिकार क्यों किया जाता है?पाकिस्तान में बहुत सारी जमीन सऊदी अरब, यूएई और अन्य खाड़ी देशों के अमीर लोगों को दी जाती है। वे हर साल शिकार करने के लिए आते हैं। वे शिकार के लिए खास उपकरणों और बाजों का इस्तेमाल करते हैं। वे इस पक्षी को खेल के लिए मारते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके मांस में कामोत्तेजक गुण होते हैं। यानी, इसे खाने से यौन शक्ति बढ़ती है। इन गुप्त शिकार अभियानों के बारे में मीडिया को जानकारी देने की अनुमति नहीं है। लेकिन माना जाता है कि हर शिकार में बहुत सारे पक्षी मारे जाते हैं। हर शिकारी टीम के साथ एक दर्जन से अधिक SUV गाड़ियां होती हैं। अक्सर, ये लोग अपने रसोइयों और कर्मचारियों को भी साथ लाते हैं। पाकिस्तान क्यों देता है इन पक्षियों के शिकार की अनुमतिपाकिस्तान बीते 42 सालों से अमीर और ताकतवर अरब लोगों को हुबारा बस्टर्ड के शिकार के लिए बुला रहा है। वे बलूचिस्तान और पंजाब के रेगिस्तानों में शिकार करने आते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि खाड़ी देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध मजबूत हो सकें। अरब के शिकारी पहली बार 1960 के दशक में पाकिस्तान में शिकार करने आए थे। उस समय अरब प्रायद्वीप में हुबारा बस्टर्ड की आबादी कम होने लगी थी। राजस्थान में भी होते थे ऐसे शिकार, 1972 में बैनइसी तरह के शिकार अभियान राजस्थान में भी होते थे। वहां अरब के शाही परिवार ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का शिकार करते थे। लेकिन 1972 में लोगों के विरोध के बाद इस पर रोक लगा दी गई। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी 2015 में हुबारा बस्टर्ड के शिकार पर रोक लगा दी थी। सरकार ने इस रोक का विरोध किया। सरकार का कहना था कि अमीर अरब शिकारी शिकार वाले इलाकों के आसपास विकास लाते हैं। अगर शिकार पर रोक लगाई गई तो मध्य पूर्व के देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध खराब हो जाएंगे। 2016 में यह रोक हटा दी गई। इसके बाद सरकार ने अरब के शाही परिवार को शिकार के लिए विशेष परमिट जारी करना जारी रखा। पाकिस्तान में कितने बस्टर्ड का शिकार करते हैं?प्रत्येक परमिट में एक आदमी को 10 दिनों के शिकार के दौरान एक खास इलाके में कुल 100 बस्टर्ड का शिकार करने की अनुमति होती है। लेकिन अरब के अमीर लोग अक्सर परमिट की शर्तों का उल्लंघन करते हैं। वे तय संख्या से ज्यादा बस्टर्ड मारते हैं। 2014 में, एक सऊदी अरब के राजकुमार और उनके साथियों ने तीन सप्ताह के शिकार के दौरान कथित तौर पर 2,100 हुबारा बस्टर्ड को मार डाला था। इससे पूरे देश में संरक्षणवादियों ने विरोध किया था। इसी विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शिकार पर रोक लगाई थी, जिसे बाद में हटा दिया गया। सऊदी अरब और भारत के बीच ये हुए समझौते अंतरिक्ष सहयोग: अंतरिक्ष गतिविधियों में सहयोग के लिए सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी और भारतीय अंतरिक्ष विभाग के बीच समझौता ज्ञापन। स्वास्थ्य सहयोग: सऊदी अरब ने स्वास्थ्य सेवा में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। डोपिंग रोधी सहयोग: सऊदी अरब डोपिंग रोधी समिति और भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) के बीच समझौता। डाक सहयोग: सऊदी पोस्ट कॉर्पोरेशन और भारतीय डाक विभाग के बीच आवक सतह पार्सल सेवाओं में सहयोग पर समझौता। भारत-सऊदी अरब संबंधों में किस प्रकार विकास हुआ है?राजनयिक और रणनीतिक संबंध: भारत और सऊदी अरब के बीच 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किए, जिनमें दिल्ली घोषणा (2006) और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान रियाद घोषणा (2010) शामिल हैं, जिससे संबंधों का रणनीतिक साझेदारी में विस्तार हुआ। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी यात्रा के साथ SPC का गठन हुआ। भारत सऊदी का दूसरा बड़ा कारोबारी साझेदारभारत, सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि सऊदी अरब, भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है, जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 31.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। सऊदी अरब में भारतीय निवेश लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जो आईटी, दूरसंचार, फार्मा और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। भारत में सऊदी अरब का निवेश 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जिसके तहत सार्वजनिक निवेश कोष (PIF) शामिल है। वित्त वर्ष 2023-24 में सऊदी अरब, भारत का कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत (भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 14.3%) था।
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