मॉस्को/मिंस्क: रूस ने रविवार को कहा है कि उसने बैरेंट्स सागर में एक लक्ष्य पर जिरकॉन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागी है और सुखोई एसयू-34 सुपरसोनिक लड़ाकू-बमवर्षकों ने बेलारूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान भारी बमबारी की है। आपको बता दें कि रूस इन दिनों बेलारूस के साथ मिलकर Zapad-2025 नाम से युद्धाभ्यास कर रहा है, जिसमें भारत, पाकिस्तान और चीन समेत दर्जन भर से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय की तरफ से जिरकॉन मिसाइल टेस्ट का वीडियो जारी किया गया है। ये एक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो NATO के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने की क्षमता रखता है। सैन्य अभ्यास के दौरान रूस ने सुपरसोनिक फाइटर-बॉम्बर्स SU-34 से भी बमबारी कर नाटो को डराने की कोशिश की है।
बेलारूस में ये सैन्य अभ्यास 12 सितंबर से शुरू हुआ है। हालांकि रूस और बेलारूस, दोनों ने कहा है कि ये अभ्यास पूरी तरह से रक्षात्मक है और उनका किसी भी नाटो देश पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन रूस और बेलारूस को काउंटर करने के लिए अमेरिका ने भी नाटो के साथ मिलकर "Eastern Sentry" अभ्यास शुरू करने की बात कही है।
रूस ने दागी हाइपरसोनिक जिरकॉन मिसाइल
रूस के रक्षा मंत्रालय ने 14 सितम्बर को घोषणा करते हुए उत्तरी बेड़े के एडमिरल गोलोव्को फ्रिगेट से "जिरकॉन" (Tsirkon) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागने का फुटेज जारी किया है। इस मिसाइल को बारेंट्स सागर में निर्धारित लक्ष्य को भेदते देखा जा सकता है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी वीडियो में मिसाइल को ऊर्ध्वाधर लांच के बाद क्षितिज की तरफ काफी तेज रफ्तार से निकलते हुए दिखाया गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि जिरकॉन मिसाइल का यह परीक्षण पूरी तरह कामयाब रहा है और वास्तविक समय में मिले डेटा से पुष्टि हुई है, कि लक्ष्य को सीधा हिट किया गया है।
आपको बता दें कि बारेंट्स सागर उत्तरी यूरोप में आर्कटिक महासागर का हिस्सा है। यह नॉर्वे और रूस के उत्तरी तटों के बीच स्थित है। इसके पश्चिम में नॉर्वे और स्वालबार्ड द्वीपसमूह, जबकि पूर्व और दक्षिण में रूस का कोला प्रायद्वीप और नोवाया जेमल्या द्वीप पड़ता है। रूस का सबसे अहम नौसैनिक अड्डा सेवेरोमोर्स्क कोला प्रायद्वीप पर है, यहीं नॉर्दर्न फ्लीट तैनात है। इसके अलावा रूस की ज़्यादातर स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर सबमरीन यहीं से ऑपरेट करती हैं। वहीं आर्कटिक सागर में रूस के लिए गैस, तेल और नए शिपिंग रूट्स पर दावा जताने का गेटवे, यही सागर है। रूस अपनी मिसाइलों का टेस्ट अकसर यहीं करता है।
सैन्य अभ्यास में रूस के लंबे-रेंज एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट भी शामिल रहे, जबकि Su-34 के पायलटों ने जमीनी लक्ष्यों पर प्रिसिशन स्ट्राइक की प्रैक्टिस की। रूस का दावा है कि जिरकॉन आवाज की रफ्तार से 9 गुना ज्यादा स्पीड से उड़ सकता है और 1,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर स्थित समुद्री और जमीनी लक्ष्यों को तबाह कर सकता है। पश्चिमी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मिसाइल 400 से 1,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है और इसका वॉरहेड 300 से 400 किलो वजनी है। आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल होने की क्षमता का मतलब है कि नाटो देशों के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए उसे रोकना काफी मुश्किल होगा। इसीलिए ये अमेरिका और नाटो देशों के लिए सीधी चेतावनी है, जिससे वो संदेश दे रहा है कि यूक्रेन में फिलहाल शांति मुमकिन नहीं है।
बेलारूस में ये सैन्य अभ्यास 12 सितंबर से शुरू हुआ है। हालांकि रूस और बेलारूस, दोनों ने कहा है कि ये अभ्यास पूरी तरह से रक्षात्मक है और उनका किसी भी नाटो देश पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन रूस और बेलारूस को काउंटर करने के लिए अमेरिका ने भी नाटो के साथ मिलकर "Eastern Sentry" अभ्यास शुरू करने की बात कही है।
रूस ने दागी हाइपरसोनिक जिरकॉन मिसाइल
रूस के रक्षा मंत्रालय ने 14 सितम्बर को घोषणा करते हुए उत्तरी बेड़े के एडमिरल गोलोव्को फ्रिगेट से "जिरकॉन" (Tsirkon) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागने का फुटेज जारी किया है। इस मिसाइल को बारेंट्स सागर में निर्धारित लक्ष्य को भेदते देखा जा सकता है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी वीडियो में मिसाइल को ऊर्ध्वाधर लांच के बाद क्षितिज की तरफ काफी तेज रफ्तार से निकलते हुए दिखाया गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि जिरकॉन मिसाइल का यह परीक्षण पूरी तरह कामयाब रहा है और वास्तविक समय में मिले डेटा से पुष्टि हुई है, कि लक्ष्य को सीधा हिट किया गया है।
आपको बता दें कि बारेंट्स सागर उत्तरी यूरोप में आर्कटिक महासागर का हिस्सा है। यह नॉर्वे और रूस के उत्तरी तटों के बीच स्थित है। इसके पश्चिम में नॉर्वे और स्वालबार्ड द्वीपसमूह, जबकि पूर्व और दक्षिण में रूस का कोला प्रायद्वीप और नोवाया जेमल्या द्वीप पड़ता है। रूस का सबसे अहम नौसैनिक अड्डा सेवेरोमोर्स्क कोला प्रायद्वीप पर है, यहीं नॉर्दर्न फ्लीट तैनात है। इसके अलावा रूस की ज़्यादातर स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर सबमरीन यहीं से ऑपरेट करती हैं। वहीं आर्कटिक सागर में रूस के लिए गैस, तेल और नए शिपिंग रूट्स पर दावा जताने का गेटवे, यही सागर है। रूस अपनी मिसाइलों का टेस्ट अकसर यहीं करता है।
सैन्य अभ्यास में रूस के लंबे-रेंज एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट भी शामिल रहे, जबकि Su-34 के पायलटों ने जमीनी लक्ष्यों पर प्रिसिशन स्ट्राइक की प्रैक्टिस की। रूस का दावा है कि जिरकॉन आवाज की रफ्तार से 9 गुना ज्यादा स्पीड से उड़ सकता है और 1,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर स्थित समुद्री और जमीनी लक्ष्यों को तबाह कर सकता है। पश्चिमी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मिसाइल 400 से 1,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है और इसका वॉरहेड 300 से 400 किलो वजनी है। आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल होने की क्षमता का मतलब है कि नाटो देशों के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए उसे रोकना काफी मुश्किल होगा। इसीलिए ये अमेरिका और नाटो देशों के लिए सीधी चेतावनी है, जिससे वो संदेश दे रहा है कि यूक्रेन में फिलहाल शांति मुमकिन नहीं है।
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