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बिहार चुनाव 2025: NDA में 7 फीसदी वोट जुड़ने से भोजपुर-बक्सर में प्रदर्शन बेहतर, अब रोहतास- कैमूर की 11 सीटों पर नजर

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पटना: 2020 के चुनाव में NDA की सबसे कमजोर कड़ी पुराने शाहाबाद के चार जिले थे। भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिले की 22 विधानसभा सीटों में से NDA (भाजपा) केवल दो सीट जीत पायी थी। आरा से भाजपा के अमरेन्द्र प्रताप सिंह और बडहरा से राघवेन्द्र प्रताप सिंह जीते थे। 20 सीटों महागठबंधन को जीत मिली थी। 2025 के चुनाव में भोजपुर और बक्सर जिले में वोटिंग हो चुकी है। रोहतास और कैमूर जिले में 11 नवम्बर को मतदान है। इस बार दो कारणों से NDA की स्थिति बेहतर होती हुई दिख रही है।


पासवान, कुशवाहा के वोटों से अंतर

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत मिले 10 हजार रुपये ने कमाल का असर किया है। वोट के बाद कई महिलाओं ने भोजपुरी में कहा, जेकर खाइब ओकरे गाइब। यानी जिसका खाएंगे उसका गाएंगे। दूसरा कारण है चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा का NDA में होना। पिछले चुनाव में चिराग की पार्टी को 5.66 फीसदी वोट मिले थे। उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 1.77 फीसदी वोट मिले थे। यानी इनका सम्मिलित वोट शेयर 7 फीसदी से अधिक है। पिछले चुनाव में चिराग और कुशवाहा अगल लड़े थे इसलिए एनडीए को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था।


NDA का जातीय समीकरण मजबूत
अगर 2020 में NDA ये 7 फीसदी वोट मिले होते तो नतीजे कुछ और होते। 2025 में चिराग और कुशवाहा के आने से एनडीए का जातीय समीकरण पहले से मजबूत हुआ है। पहले चरण के चुनाव में कोइरी और पासवान बहुल बूथों पर एनडीए के पक्ष में भी मतदान हुआ है। जब कि पिछले चुनाव में यह नगण्य था। 2020 में अधिकतर कोइरी वोट भाकपा माले के पक्ष में गया था। पासवान वोट तो एनडीए के खिलाफ गया था। अगर भाजपा, जदयू, लोजपा, रालोसपा और हम के पिछले (2020) वोट शेयर को जोड़ दिया जाए तो कुल मिला कर ये आंकड़ा 43.17 फीसदी का होता है। यानी एनडीए 2025 के चुनाव में 43.17 फीसदी वोट शेयर के साथ विरोधियों को चुनौती दे रहा है।


भोजपुर, बक्सर की 11 सीटें
भोजपुर जिले की 7 और बक्सर जिले की 4 सीटों पर हुए मतदान के बाद भाजपा के नेता इस बार बेहतर नतीजे की आशा कर रहे हैं। आरा भाजपा की जीती हुई सीट है। इस बार सीटिंग विधायक अमरेन्द्र प्रताप सिंह की जगह संजय टाइगर ने चुनाव लड़ा है। इस सीट पर भाजपा फिर जीत की आशा कर रही है। बड़हरा सीट भी भाजपा फिर जीतने की आशा कर रही है। अगियांव भाकपा माले की जीत हुई सीट है। पिछले चुनाव में जदयू यहां हार गया था। इस बार भाजपा के महेश पासवान ने चुनाव लड़ा है। चिराग पासवान ने भाजपा के महेश पासवान के लिए चुनाव प्रचार किया था। इस बार भाजपा ने माले के सीटिंग विधायक शिव प्रकाश रंजन को कड़ी टक्कर दी है।


भाजपा को फिर जीत की आशा
2024 के उप चुनाव में भाजपा ने तरारी सीट भाकपा माले से छीन ली थी। इस बार भी भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत को जीत की आशा है। जगदीशपुर और शाहपुर राजद की जीती सीट है। जगदीशपुर में जदयू भगवान सिंह कुशवाहा को उपेन्द्र कुशवाहा के आने से फायदा मिला है। शाहपुर में भाजपा ने नये उम्मीदवार (राकेश ओझा) उतारने का जो फैसला लिया था अब वो सही दिखायी पड़ रहा है। इन दोनों सीटों पर नतीजे बेहद करीबी होने वाले हैं। 2020 के चुनाव में एनडीए को बक्सर जिल में एक भी सीट नहीं मिली थी। चारों सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली थी। लेकिन इस बार ब्रह्मपुर, बक्सर और राजपुर में हुए मतदान के बाद एनडीए के प्रत्याशियों में उत्साह है।


पहले चरण के उत्साह का असर
2020 के चुनाव में एनडीए को कैमूर में एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन 2024 में रामगढ़ सीट पर उपचुनाव हुआ था जिसमें भाजपा के अशोक कुमार सिंह को जीत मिली थी। राजद ने यह सीट गंवा दी थी। इस बार भी भाजपा के अशोक कुमार सिंह और राजद के अजीत सिंह में मुकाबला है। मोहनिया से पिछले चुनाव में राजद की संगीता कुमारी ने जीत हासिल की थी। अब वे भाजपा का उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़ रही हैं। मोहनिया में संगीता कुमारी की स्थिति इसलिए मजबूत मानी जा रही है क्यों कि इस सीट से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का पर्चा रद्द हो गया है। महागठबंधन ने निर्दलीय रवि पासवान को अपना समर्थन दिया है। लेकिन इस कामचलाऊ व्यवस्था से भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है।


चैनपुर में कांटे की टक्कर
पिछले चुनाव में भभुआ से जीते राजद के भरत बिंद अब भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला राजद के नये उम्मीदवार बीरेन्द्र कुशवाहा से है। 2020 में चैनपुर सीट पर बसपा के जमा खान जीते थे। बाद में वे जदयू में शामिल हो कर मंत्री बने थे। इस बार वे जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला VIP के बाल गोविंद बिंद से है। कुल मिला कर कैमूर में इस बार एनडीए स्थिति पहले से बेहतर दिख रही है।


रोहतास में 11 नवम्बर को चुनाव
पिछले चुनाव में रोहतास की 7 विधानसभा सीटों में से एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन अब दल बदल कारण चेनारी सीट की स्थिति बदल गयी। पिछले चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के मुरारी प्रसाद गौतम जीते थे। लेकिन इस बार मुरारी गौतम लोजपा आर के टिकट पर मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के मंगल राम से है। सासाराम सीट से उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। उनके खिलाफ राजद के सतेन्द्र साह मैदान में हैं। राजद ने यहां से अपने सीटिंग विधायक राजेश कुमार गुप्ता का टिकट नहीं दिया था। उपेन्द्र कुशवाहा की सक्रियता से रोहतास में एनडीए को फायदा मिलता दिख रहा है।


एनडीए को फायदा
दिनारा सीट से इस बार उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) के आलोक कुमार सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला राजद के राजेश यादव से है। राजद ने यहां के सीटिंग विधायक विजय मंडल का टिकट काट कर नये चेहरे राजेश यादव को दिया है। राजद ने डिहरी सीट पर भी अपने सीटिंग विधायक फतेह बहादुर का टिकट काट कर गुड्ड् चंद्रवंशी को टिकट दिया है। इनका मुकाबला लोजपा रामविलास के राजीव रंजन सिंह से है। नोखा में राजद की सीटिंग विधायक अनिता देवी का मुकाबला जदयू के नागेन्द्र चंद्रवंशी से है। काराकाट में भाकपा माले के सीटिंग विधायक अरुण कुशवाहा का मुकाबला जदयू के महाबली सिंह से है। महाबली सिंह काराकाट से सांसद भी रह चुके हैं। भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर में बदले हुए जातीय समीकरण के कारण एनडीए ने 2025 के चुनाव को कांटे के मुकाबले में बदल दिया है। इस बार एनडीए को 22 में 2 नहीं बल्कि अधिक सीटें मिलने की संभावना है।
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