Dev Diwali 2025 Deep Daan: देव दीपावली पर सच्चे दिल से की गई प्रार्थना और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं व इस दिन व्रत रखकर और पारण करने पर सच्चे दिल से पुरोहित जोड़ों को भोजन, वस्त्र, दान, दक्षिणा आदि देने से घर में खुशहाली आती है। इस दिन मंदिरों सहित घर-घर की देहलीज पर समृद्धि एवं देवताओं के आशीष के लिए दीपक जलाए जाते हैं। विशेष रूप से तुलसी जी के समक्ष एवं जल में दीपदान किए जाते हैं। पवित्र स्थानों पर दीपदान कर समृद्धि की कामना की जाती है।
कार्तिक मास के पहले दिन से पूर्णिमा तक आकाशदीप जलाने की परम्परा अंधियारे से उजाले की ओर बड़ने की सनातन परम्परा है। इस दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, संतति आदि 6 कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण करने से यज्ञ के समान फल मिलता है और मनुष्य इस संसार में अपने जीवन को पूर्ण करने के बाद सूर्यलोक प्राप्त करता है, ऐसा धर्मशास्त्रों में वर्णित है।
कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत और जागरण करने से सम्पूर्ण मनोरथ सिद्ध होते हैं तथा सम्पूर्ण विधि, नियम आदि का पालन किया जाए तो ग्रह
कष्ट निवारण भी होता है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दिन में गंगा स्नान तथा सायंकाल दीपदान का विशेष महत्व है। दीपदान से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और जीवन से अंधकार, दुःख, और दरिद्रता का नाश होता है। जो व्यक्ति पूरे कार्तिक मास गंगा स्नान आदि करते हैं, उनका कार्तिक माह का नियम कार्तिक पूर्णिमा को पूर्ण हो जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और आत्मा पवित्र होती है। इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल में जल मिलाकर स्नान करना फलप्रद है। स्नान के बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव एवं तुलसी माता की पूजा अवश्य करें।
कार्तिक मास के पहले दिन से पूर्णिमा तक आकाशदीप जलाने की परम्परा अंधियारे से उजाले की ओर बड़ने की सनातन परम्परा है। इस दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, संतति आदि 6 कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण करने से यज्ञ के समान फल मिलता है और मनुष्य इस संसार में अपने जीवन को पूर्ण करने के बाद सूर्यलोक प्राप्त करता है, ऐसा धर्मशास्त्रों में वर्णित है।
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कष्ट निवारण भी होता है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दिन में गंगा स्नान तथा सायंकाल दीपदान का विशेष महत्व है। दीपदान से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और जीवन से अंधकार, दुःख, और दरिद्रता का नाश होता है। जो व्यक्ति पूरे कार्तिक मास गंगा स्नान आदि करते हैं, उनका कार्तिक माह का नियम कार्तिक पूर्णिमा को पूर्ण हो जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और आत्मा पवित्र होती है। इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल में जल मिलाकर स्नान करना फलप्रद है। स्नान के बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव एवं तुलसी माता की पूजा अवश्य करें।
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