चंडीगढ़ : कनाडा के एबॉट्सफ़ोर्ड में 68 वर्षीय भारतीय मूल के व्यवसायी दर्शन सिंह साहसी की हत्या कर दी गई। एबॉट्सफ़ोर्ड पुलिस ने पेट्रोलिंग के दौरान खून से लथपथ उनका शरीर सड़क पर पड़ा पाया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गए। मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। पुलिस ने कहा कि यह घटना दक्षिण एशियाई व्यापारिक समुदाय के सदस्यों की टारगेट किलिंग का हिस्सा हो सकती है। इस बीच, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े कनाडा स्थित गैंगस्टर गोल्डी ढिल्लों ने बुधवार को दर्शन सिंह साहसी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली है।
गोल्डी ढिल्लों ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए हत्या की ज़िम्मेदारी ली। उसने कहा कि दर्शन सिंह एक बड़े ड्रग कारोबार में शामिल थ। उसने गिरोह की पैसों की मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया था। भारत और कनाडा की पुलिस एजेंसियां इस पोस्ट की सत्यता की जांच कर रही हैं और विदेशों में सक्रिय बिश्नोई नेटवर्क से इसके संभावित संबंधों की जांच की जा रही है।
बड़ी कंपनी के थे मालिक
दर्शन सिंह के परिवार ने इस बात से इनकार किया कि उन्हें ऐसी कोई भी धमकी भरी कॉल आई थी। मल्टीनेशनल कपड़ा रीसाइक्लिंग कंपनी कैनम ग्रुप के मालिक, 68 वर्षीय दर्शन सिंह साहसी पंजाब के लुधियाना जिले के राजगढ़ गांव रहने वाले थे। वह 1991 में कनाडा चले गए थे। अज्ञात हमलावरों ने सोमवार सुबह ब्रिटिश कोलंबिया के एबॉट्सफ़ोर्ड में उनके घर के पास उनकी गोली मारकर हत्या कर दी, जब वह काम पर जाने वाले थे।
बेटे ने कही यह बातइंडियन एक्सप्रेस से फ़ोन पर बात करते हुए दर्शन सिंह साहसी के छोटे बेटे ने कहा कि गोल्डी ढिल्लों ने एक असत्यापित सोशल मीडिया पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि परिवार उनके पिता का नाम खराब नहीं होने देगा। हम अभी भी जवाब ढूंढ रहे हैं। हम ऐसी सभी बातों का पूरी तरह से खंडन करते हैं जो चल रही हैं। मेरे पिता या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य को कभी भी किसी गैंगस्टर आदि से कोई धमकी, जबरन वसूली या फिरौती का कॉल नहीं आया। मेरे पिता की हत्या से किसी को भी, बिल्कुल भी कोई फायदा नहीं है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हमेशा समाज को कुछ न कुछ दिया। जो लोग उन्हें जानते हैं, वे वास्तव में जानते हैं कि वह कौन थे।
बेटा बोला- धमकी मिली होती तो चुप नहीं रहते पितादर्शन सिंह का बेटा अपने पिता की कंपनी में प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार की सुबह, उनके पिता हमेशा की तरह काम पर जा रहे थे। वह दिन भी रोज की तरह सामान्य था। अगर उन्हें ऐसी कोई धमकी मिली होती, तो वे हमें ज़रूर बताते। उस दिन न तो उनके व्यवहार में और न ही उनके आस-पास कुछ भी असामान्य था। वे बस अपनी गाड़ी से काम पर जा रहे थे, तभी वे आए और उन्हें गोली मार दी। अगर उन्हें ऐसी कोई धमकी मिली होती, तो वे चुप नहीं रहते या उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करते। वे पूरी ताकत लगाकर जांच करते।
फिरौती के कॉल का खंडनदर्शन सिंह के बेटे ने कहा कि मेरे पिता का अपने काम के प्रति समर्पण इस बात से ज़ाहिर होता है कि उनका आखिरी पल भी काम पर जाते समय ही आया। उन्हें अपने काम और व्यवसाय के अलावा किसी और चीज़ से मज़ा नहीं आता था। उनके पास हज़ार से ज़्यादा कर्मचारी थे, और उनमें से हर एक बताता था कि वे किस तरह के इंसान थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और हम चल रही जांच के दौरान कोई बयान नहीं देना चाहेंगे, लेकिन हां, हम किसी गैंगस्टर वगैरह से उन्हें धमकी/फिरौती के लिए कॉल आने के दावों का पुरज़ोर खंडन करते हैं। साहसी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं, जो दोनों उनकी कपड़ा-रीसाइक्लिंग कंपनी में काम करते हैं।
कौन थे दर्शन सिंह साहसीराजगढ़ में 1956 में जन्मे दर्शन सिंह साहसी ने छोटी उम्र में ही अपने पिता और भाइयों के साथ खेती शुरू कर दी थी। कनाडा जाने से पहले उन्होंने कुछ समय तक ईंट भट्ठा भी चलाया। उनके बेटे ने कहा कि मेरे पिता को अपनी खेती की जड़ों पर बहुत गर्व था। यहीं से उनके काम करने की आदत शुरू हुई। पंजाब उनका घर था और उन्हें हमेशा इससे लगाव रहा। भारत और कनाडा में उन्होंने मछली पकड़ने और प्लंबिंग से लेकर मैकेनिक और एसी और ट्रैक्टर ठीक करने तक कई तरह के छोटे-मोटे काम किए, इससे पहले कि उनमें कपड़ा रीसाइक्लिंग का जुनून पैदा हुआ। शायद ही कोई ऐसा काम बचा हो जो मेरे पिता ने न किया हो। उन्होंने जीवन भर कड़ी मेहनत की।
भतीजे की नशे से हुई थी मौतसाहसी की कपड़ा रीसाइक्लिंग फर्म, कैनम ग्रुप ने भी भारत में व्यावसायिक रुचि विकसित की, जिसमें गुजरात कपड़ा उद्योग का केंद्र था। उन्होंने कहा कि मेरे पिता गुजरात में कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) के तहत कपड़ा रीसाइक्लिंग का लाइसेंस पाने वाले पहले व्यक्ति थे। कैनम ग्रुप के दुनिया भर में 1,500 से अधिक कर्मचारी हैं और 40 से अधिक देशों में यह कंपनी काम करती है। साहसी के यूएस कई होटल हैं। 2016 में, दर्शन सिंह साहसी के भतीजे जगजीत सिंह साहसी 36 की कथित तौर पर नशीली दवाओं की लत से मृत्यु हो गई। साहसी ने राजगढ़ के गुरुद्वारे में अपने भतीजे के भोग समारोह के दौरान सार्वजनिक रूप से उसके नशे की लत को स्वीकार किया था।
गोल्डी ढिल्लों ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर करते हुए हत्या की ज़िम्मेदारी ली। उसने कहा कि दर्शन सिंह एक बड़े ड्रग कारोबार में शामिल थ। उसने गिरोह की पैसों की मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया था। भारत और कनाडा की पुलिस एजेंसियां इस पोस्ट की सत्यता की जांच कर रही हैं और विदेशों में सक्रिय बिश्नोई नेटवर्क से इसके संभावित संबंधों की जांच की जा रही है।
बड़ी कंपनी के थे मालिक
दर्शन सिंह के परिवार ने इस बात से इनकार किया कि उन्हें ऐसी कोई भी धमकी भरी कॉल आई थी। मल्टीनेशनल कपड़ा रीसाइक्लिंग कंपनी कैनम ग्रुप के मालिक, 68 वर्षीय दर्शन सिंह साहसी पंजाब के लुधियाना जिले के राजगढ़ गांव रहने वाले थे। वह 1991 में कनाडा चले गए थे। अज्ञात हमलावरों ने सोमवार सुबह ब्रिटिश कोलंबिया के एबॉट्सफ़ोर्ड में उनके घर के पास उनकी गोली मारकर हत्या कर दी, जब वह काम पर जाने वाले थे।
बेटे ने कही यह बातइंडियन एक्सप्रेस से फ़ोन पर बात करते हुए दर्शन सिंह साहसी के छोटे बेटे ने कहा कि गोल्डी ढिल्लों ने एक असत्यापित सोशल मीडिया पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि परिवार उनके पिता का नाम खराब नहीं होने देगा। हम अभी भी जवाब ढूंढ रहे हैं। हम ऐसी सभी बातों का पूरी तरह से खंडन करते हैं जो चल रही हैं। मेरे पिता या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य को कभी भी किसी गैंगस्टर आदि से कोई धमकी, जबरन वसूली या फिरौती का कॉल नहीं आया। मेरे पिता की हत्या से किसी को भी, बिल्कुल भी कोई फायदा नहीं है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हमेशा समाज को कुछ न कुछ दिया। जो लोग उन्हें जानते हैं, वे वास्तव में जानते हैं कि वह कौन थे।
बेटा बोला- धमकी मिली होती तो चुप नहीं रहते पितादर्शन सिंह का बेटा अपने पिता की कंपनी में प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार की सुबह, उनके पिता हमेशा की तरह काम पर जा रहे थे। वह दिन भी रोज की तरह सामान्य था। अगर उन्हें ऐसी कोई धमकी मिली होती, तो वे हमें ज़रूर बताते। उस दिन न तो उनके व्यवहार में और न ही उनके आस-पास कुछ भी असामान्य था। वे बस अपनी गाड़ी से काम पर जा रहे थे, तभी वे आए और उन्हें गोली मार दी। अगर उन्हें ऐसी कोई धमकी मिली होती, तो वे चुप नहीं रहते या उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करते। वे पूरी ताकत लगाकर जांच करते।
फिरौती के कॉल का खंडनदर्शन सिंह के बेटे ने कहा कि मेरे पिता का अपने काम के प्रति समर्पण इस बात से ज़ाहिर होता है कि उनका आखिरी पल भी काम पर जाते समय ही आया। उन्हें अपने काम और व्यवसाय के अलावा किसी और चीज़ से मज़ा नहीं आता था। उनके पास हज़ार से ज़्यादा कर्मचारी थे, और उनमें से हर एक बताता था कि वे किस तरह के इंसान थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और हम चल रही जांच के दौरान कोई बयान नहीं देना चाहेंगे, लेकिन हां, हम किसी गैंगस्टर वगैरह से उन्हें धमकी/फिरौती के लिए कॉल आने के दावों का पुरज़ोर खंडन करते हैं। साहसी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं, जो दोनों उनकी कपड़ा-रीसाइक्लिंग कंपनी में काम करते हैं।
कौन थे दर्शन सिंह साहसीराजगढ़ में 1956 में जन्मे दर्शन सिंह साहसी ने छोटी उम्र में ही अपने पिता और भाइयों के साथ खेती शुरू कर दी थी। कनाडा जाने से पहले उन्होंने कुछ समय तक ईंट भट्ठा भी चलाया। उनके बेटे ने कहा कि मेरे पिता को अपनी खेती की जड़ों पर बहुत गर्व था। यहीं से उनके काम करने की आदत शुरू हुई। पंजाब उनका घर था और उन्हें हमेशा इससे लगाव रहा। भारत और कनाडा में उन्होंने मछली पकड़ने और प्लंबिंग से लेकर मैकेनिक और एसी और ट्रैक्टर ठीक करने तक कई तरह के छोटे-मोटे काम किए, इससे पहले कि उनमें कपड़ा रीसाइक्लिंग का जुनून पैदा हुआ। शायद ही कोई ऐसा काम बचा हो जो मेरे पिता ने न किया हो। उन्होंने जीवन भर कड़ी मेहनत की।
भतीजे की नशे से हुई थी मौतसाहसी की कपड़ा रीसाइक्लिंग फर्म, कैनम ग्रुप ने भी भारत में व्यावसायिक रुचि विकसित की, जिसमें गुजरात कपड़ा उद्योग का केंद्र था। उन्होंने कहा कि मेरे पिता गुजरात में कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) के तहत कपड़ा रीसाइक्लिंग का लाइसेंस पाने वाले पहले व्यक्ति थे। कैनम ग्रुप के दुनिया भर में 1,500 से अधिक कर्मचारी हैं और 40 से अधिक देशों में यह कंपनी काम करती है। साहसी के यूएस कई होटल हैं। 2016 में, दर्शन सिंह साहसी के भतीजे जगजीत सिंह साहसी 36 की कथित तौर पर नशीली दवाओं की लत से मृत्यु हो गई। साहसी ने राजगढ़ के गुरुद्वारे में अपने भतीजे के भोग समारोह के दौरान सार्वजनिक रूप से उसके नशे की लत को स्वीकार किया था।
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