नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आईएसआईएस से जुड़े दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकियों का नाम अदनान है। इनमें से एक दिल्ली का रहने वाला है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक, दोनों संदिग्ध आतंकियों को फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी जा रही थी और उनका निशाना दिल्ली था। उन्होंने दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में आईईडी ब्लास्ट जैसे हमले की योजना बनाई थी। फिलहाल, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम दोनों संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रही है, ताकि उनके मकसद और योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की जा सके।
कई आपत्तिजनक सामग्री मिले
इस ऑपरेशन में दोनों के पास से कई देश विरोधी सामान मिले हैं। इनमें कुछ विडियोज और ISIS के झंडे भी हैं। इसके अलावा लैपटॉप, डेटा, घड़ी और पैन ड्राइव भी बरामद हुए हैं। इसके जरिए IED बनाने की साजिश रची जा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों संदिग्ध आतंकियों ने कई जगहों की रेकी की थी, कुछ फोटोग्राफ भी मिले है। पहले अदनान के पिता सरकारी कर्मचारी हैं।
दूसरा अदनान CA का कोर्स कर रहा था। दोनों ने साउथ दिल्ली के एक मॉल में भी रेकी की थी। एक इंस्टा आईडी को प्रोपेगेंडा चलाने के लिए कई लोग इस्तेमाल करते थे। इनके कॉन्टैक्ट एक विदेशी हैंडलर से भी है, जिसे ये अपना सुपरवाइजर कहते थे। इस ग्रुप पर कई महीनों से काम कर रहे थे।
इससे पहले सितंबर में भी एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था
इससे पहले, सितंबर में भी स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जिसमें कई राज्यों से पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार सभी आरोपियों की उम्र 20 से 26 वर्ष के बीच थी और उन्हें दिल्ली, झारखंड, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से पकड़ा गया था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान झारखंड के बोकारो निवासी अशर दानिश (23), मुंबई के आफताब कुरैशी (25), महाराष्ट्र के मुंब्रा निवासी सूफियान अबुबकर खान (20), तेलंगाना के निजामाबाद निवासी मोहम्मद हुजैफ यमन (20) और मध्य प्रदेश के राजगढ़ निवासी कामरान कुरैशी (26) के रूप में हुई थी।
पुलिस के अनुसार, इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड अशर दानिश था, जो खुद को 'गजवा लीडर' और 'सीईओ' कहता था। वहीं, आफताब कुरैशी का काम आतंकी गतिविधियों के लिए लक्ष्य तय करना था, जबकि हुजैफ यमन हथियार बनाने का काम करता था। इन लोगों ने अपने ग्रुप का नाम 'प्रोजेक्ट मुस्तफा' रखा था।
जांच में पता चला कि आरोपी सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर युवाओं को बरगलाते थे। वे खुद को एक एनजीओ की तरह पेश करते थे और धर्म के नाम पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, यह ग्रुप उन जगहों की तलाश में था, जहां वे जमीन खरीदकर अपनी गतिविधियों का केंद्र बना सकें। वे हथियार बनाने के लिए पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे।
कई आपत्तिजनक सामग्री मिले
इस ऑपरेशन में दोनों के पास से कई देश विरोधी सामान मिले हैं। इनमें कुछ विडियोज और ISIS के झंडे भी हैं। इसके अलावा लैपटॉप, डेटा, घड़ी और पैन ड्राइव भी बरामद हुए हैं। इसके जरिए IED बनाने की साजिश रची जा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों संदिग्ध आतंकियों ने कई जगहों की रेकी की थी, कुछ फोटोग्राफ भी मिले है। पहले अदनान के पिता सरकारी कर्मचारी हैं।
दूसरा अदनान CA का कोर्स कर रहा था। दोनों ने साउथ दिल्ली के एक मॉल में भी रेकी की थी। एक इंस्टा आईडी को प्रोपेगेंडा चलाने के लिए कई लोग इस्तेमाल करते थे। इनके कॉन्टैक्ट एक विदेशी हैंडलर से भी है, जिसे ये अपना सुपरवाइजर कहते थे। इस ग्रुप पर कई महीनों से काम कर रहे थे।
इससे पहले सितंबर में भी एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था
इससे पहले, सितंबर में भी स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जिसमें कई राज्यों से पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार सभी आरोपियों की उम्र 20 से 26 वर्ष के बीच थी और उन्हें दिल्ली, झारखंड, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से पकड़ा गया था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान झारखंड के बोकारो निवासी अशर दानिश (23), मुंबई के आफताब कुरैशी (25), महाराष्ट्र के मुंब्रा निवासी सूफियान अबुबकर खान (20), तेलंगाना के निजामाबाद निवासी मोहम्मद हुजैफ यमन (20) और मध्य प्रदेश के राजगढ़ निवासी कामरान कुरैशी (26) के रूप में हुई थी।
पुलिस के अनुसार, इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड अशर दानिश था, जो खुद को 'गजवा लीडर' और 'सीईओ' कहता था। वहीं, आफताब कुरैशी का काम आतंकी गतिविधियों के लिए लक्ष्य तय करना था, जबकि हुजैफ यमन हथियार बनाने का काम करता था। इन लोगों ने अपने ग्रुप का नाम 'प्रोजेक्ट मुस्तफा' रखा था।
जांच में पता चला कि आरोपी सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर युवाओं को बरगलाते थे। वे खुद को एक एनजीओ की तरह पेश करते थे और धर्म के नाम पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, यह ग्रुप उन जगहों की तलाश में था, जहां वे जमीन खरीदकर अपनी गतिविधियों का केंद्र बना सकें। वे हथियार बनाने के लिए पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे।
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