नई दिल्लीः 12 जून के दो विडियो खूब वायरल हुए। पहला विडियो एक विमान के उड़ान भरने का था, जो कुछ ही सेकंड में अचानक एक इमारत से टकराकर आग के गोले में बदल गया। चंद पलों में 242 लोगों की जिंदगियां खत्म हो गई। दूसरे विडियो में घना काला धुआं आसमान की ओर उठ रहा था, अहमदाबाद एयरपोर्ट से करीब 1.7 किमी. दूर यह वही जगह थी जहां एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 उड़ान भरने के 40 सेकंड बाद गिर गई थी। विडियो में चीखें सुनाई दे रही थी, सायरन बज रहे थे और तभी उस धुएं में से एक सफेद टी-शर्ट और ग्रे पैंट पहने एक आदमी लंगड़ाते हुए बाहर आता है। उसके कपड़ों पर खून के निशान थे, हाथ में फोन था।
वह बार-बार एक ही बात कह रहा था, प्लेन फट्यो छे! प्लेन फट्यो छे! (विमान फट गया है) वह कोई और नहीं, बल्कि उसी विमान के यात्री, 43 वर्षीय विश्वासकुमार रमेश थे, जो 242 लोगों में अकेले जिंदा बचे थे। उसी विमान में उनके भाई अजय कुमार भी थे, जो नहीं बच सके। चार महीने पहले की वह त्रासदी देशभर की सुर्खियों में थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे थे। पांच दिन बाद वह अपने घर दीव लौट गए।
लंदन जाकर नियुक्त किया सलाहकारअब, चार महीने बाद, विश्वास से बात करना लगभग नामुमकिन है। टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर हाल ही में उनके दीव स्थित घर पहुंचे, तो उनके पिता रमेश भालिया ने बताया कि विश्वास लंदन चले गए है। वहां उन्होंने वकील और संकट रणनीति सलाहकार रैड सीगर और संजीव पटेल को अपना प्रवक्ता नियुक्त कर लिया है। सीगर ने कहा, फिलहाल हमारे पास कहने को कुछ नहीं है। उन्होंने परिवार से संपर्क किए जाने पर भी आपत्ति जताई। उनका घर अब हमेशा बंद रहता है। पहले जो परिवार हंसी और मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता था, अब गहरी चुप्पी में डूबा है।
करीबियों ने सुनाई सदमे में डूबे विश्वास की कहानीविश्वास और अजय के पुराने दोस्त अयूब उस्मानी बताते है, दोनों बहुत मिलनसार थे, पार्टियां पसंद करते थे। 11 जून की रात हम तीनों एयरपोर्ट जा रहे थे, पर दोनों इतने खुशमिजाज और मस्ती में थे कि दो घंटे देर हो गई। विडंबना यह कि अजय को उस उड़ान पर जाना ही नहीं था। अजय के ससुर शांतिलाल भीखा कहते हैं, सिर्फ विश्वास को लंदन ने कोरला काय अखिरी वक्त पर वह नहीं जाता।
वह अब किसी से बात नहीं करताविश्वास के पिता रमेश कहते हैं, वह अब किसी से बात नहीं करता। फोन तक नहीं उठाता। शायद लंदन जाकर शांति खोजने की कोशिश कर रहा है। हमने एक बेटा खोया और दूसरा खो गया है। वह जिंदा है, पर अब हमारे बीच नहीं है। मां से भी बात नहीं करता और फोन भी कभी-कभी ही उठाता है। करीब छह हफ्ते पहले परिवार फिर हादसे वाली जगह गया था। उस्मानी बताते हैं, उन्होंने वहां एक छोटा सा पूजा-संस्कार किया। वे बार-बार वहां जाते हैं, जैसे अजय को अपने पास महसूस करना चाहते हों।
हादसे में भाई को खोने के बाद अकेले रहने लगे थेरमेश के चार बेटों में विश्वास सबसे बड़े है, और अजय दूसरे नंबर पर थे। दोनों बेहद करीब थे। अजय ने 2021 और 2022 में अपनी दो बेटियों को खो दिया था। विश्वास हमेशा उसके साथ थे, उन्हें संभालते रहे। उनके कजिन धीरेंद्र सोमाभाई कहते हैं, हादसे की बात होते ही विश्वास को घबराहट होने लगती थी। वह अकेले रहना पसंद करते थे। कभी-कभी जिंदा बच जाना भी एक बोझ बन जाता है, ऐसा बोझ, जिसे शायद सिर्फ वहीं समझ सकता है जिसने अपनी आंखों के सामने सब खो दिया हो।
वह बार-बार एक ही बात कह रहा था, प्लेन फट्यो छे! प्लेन फट्यो छे! (विमान फट गया है) वह कोई और नहीं, बल्कि उसी विमान के यात्री, 43 वर्षीय विश्वासकुमार रमेश थे, जो 242 लोगों में अकेले जिंदा बचे थे। उसी विमान में उनके भाई अजय कुमार भी थे, जो नहीं बच सके। चार महीने पहले की वह त्रासदी देशभर की सुर्खियों में थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे थे। पांच दिन बाद वह अपने घर दीव लौट गए।
लंदन जाकर नियुक्त किया सलाहकारअब, चार महीने बाद, विश्वास से बात करना लगभग नामुमकिन है। टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर हाल ही में उनके दीव स्थित घर पहुंचे, तो उनके पिता रमेश भालिया ने बताया कि विश्वास लंदन चले गए है। वहां उन्होंने वकील और संकट रणनीति सलाहकार रैड सीगर और संजीव पटेल को अपना प्रवक्ता नियुक्त कर लिया है। सीगर ने कहा, फिलहाल हमारे पास कहने को कुछ नहीं है। उन्होंने परिवार से संपर्क किए जाने पर भी आपत्ति जताई। उनका घर अब हमेशा बंद रहता है। पहले जो परिवार हंसी और मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता था, अब गहरी चुप्पी में डूबा है।
करीबियों ने सुनाई सदमे में डूबे विश्वास की कहानीविश्वास और अजय के पुराने दोस्त अयूब उस्मानी बताते है, दोनों बहुत मिलनसार थे, पार्टियां पसंद करते थे। 11 जून की रात हम तीनों एयरपोर्ट जा रहे थे, पर दोनों इतने खुशमिजाज और मस्ती में थे कि दो घंटे देर हो गई। विडंबना यह कि अजय को उस उड़ान पर जाना ही नहीं था। अजय के ससुर शांतिलाल भीखा कहते हैं, सिर्फ विश्वास को लंदन ने कोरला काय अखिरी वक्त पर वह नहीं जाता।
वह अब किसी से बात नहीं करताविश्वास के पिता रमेश कहते हैं, वह अब किसी से बात नहीं करता। फोन तक नहीं उठाता। शायद लंदन जाकर शांति खोजने की कोशिश कर रहा है। हमने एक बेटा खोया और दूसरा खो गया है। वह जिंदा है, पर अब हमारे बीच नहीं है। मां से भी बात नहीं करता और फोन भी कभी-कभी ही उठाता है। करीब छह हफ्ते पहले परिवार फिर हादसे वाली जगह गया था। उस्मानी बताते हैं, उन्होंने वहां एक छोटा सा पूजा-संस्कार किया। वे बार-बार वहां जाते हैं, जैसे अजय को अपने पास महसूस करना चाहते हों।
हादसे में भाई को खोने के बाद अकेले रहने लगे थेरमेश के चार बेटों में विश्वास सबसे बड़े है, और अजय दूसरे नंबर पर थे। दोनों बेहद करीब थे। अजय ने 2021 और 2022 में अपनी दो बेटियों को खो दिया था। विश्वास हमेशा उसके साथ थे, उन्हें संभालते रहे। उनके कजिन धीरेंद्र सोमाभाई कहते हैं, हादसे की बात होते ही विश्वास को घबराहट होने लगती थी। वह अकेले रहना पसंद करते थे। कभी-कभी जिंदा बच जाना भी एक बोझ बन जाता है, ऐसा बोझ, जिसे शायद सिर्फ वहीं समझ सकता है जिसने अपनी आंखों के सामने सब खो दिया हो।
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