पटना: कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के नाम पर चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 4 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एसआईआर पर कुछ टिप्पणियां की थीं। इसके बाद सुप्रिया श्रीनेत ने यह बात कही। उन्होंने बिहार में चुनाव में गड़बड़ी करने की साजिश करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड को पहचान के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। इस फैसले के बाद यह आरोप लगाया गया है।
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। सुप्रिया श्रीनेत ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि बिहार में अभी भी "चुनावी धोखाधड़ी" चल रही है। चुनाव आयोग ने 4 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की आड़ में बिहार में चुनावों में धांधली करने की "पूरी साजिश" रची गई है। बिहार में चुनावों के दौरान बड़ी अनियमितताएं करने की कोशिश की जा रही है।
बिहार में एसआईआर के नाम पर चुनाव में धांधली
श्रीनेत ने कहा, "बिहार में चुनावी धोखाधड़ी अभी भी जारी है। चुनाव आयोग ने 4 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि नए मतदाताओं में से केवल 27 प्रतिशत ही 18 से 20 साल की आयु के हैं; बाकी सभी उससे ऊपर के हैं। कुछ लोग तो इसमें 100 साल के भी हैं। इसके अलावा, 58 फसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने आपत्ति जताई है और कहा है कि उनके नाम हटा दिए जाने चाहिए। एसआईआर के नाम पर बिहार में चुनावों में धांधली करने की पूरी साजिश रची गई है। कहीं न कहीं बिहार में चुनावों के दौरान बड़ी अनियमितताएं करने की कोशिश की जा रही है।"
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर के अपने उस आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को बिहार में एसआईआर के तहत तैयार की जा रही संशोधित वोटर लिस्ट में मतदाता को शामिल करने के लिए पहचान के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
आधार कार्ड की तरह और भी दस्तावेज बनाए जा सकते हैं जाली
जस्टिस सूर्यकांत और जोयमलया बागची की बेंच ने कहा कि पिछले हफ्ते दिया गया निर्देश केवल अंतरिम था। दस्तावेज की वैधता का मुद्दा अभी भी एसआईआर से संबंधित मामले में तय किया जाना बाकी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे अन्य दस्तावेजों को भी आधार कार्ड की तरह ही जाली बनाया जा सकता है। सिर्फ इस आधार पर 'आधार' को अलग नहीं किया जा सकता है।
बेंच ने कहा, "ड्राइविंग लाइसेंस जाली हो सकते हैं, राशन कार्ड जाली हो सकते हैं। कई दस्तावेज जाली हो सकते हैं। आधार का उपयोग कानून द्वारा अनुमत सीमा तक किया जाना है।" इसका मतलब है कि आधार कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ उतना ही किया जाएगा जितना कानून इजाजत देता है।
कोर्ट के आदेश में बदलाव की मांग अस्वीकार
शीर्ष अदालत वकील अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 8 सितंबर के आदेश में बदलाव की मांग की गई थी। उपाध्याय ने तर्क दिया था कि कोई भी व्यक्ति केवल 182 दिनों तक भारत में रहकर आधार कार्ड प्राप्त कर सकता है। यह न तो नागरिकता का प्रमाण है और न ही निवास का। उन्होंने कहा कि बिहार में लाखों रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। आधार कार्ड के उपयोग की अनुमति देना "विनाशकारी" होगा। उनका कहना था कि आधार कार्ड आसानी से बन जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा सकता है।
बेंच ने जवाब दिया कि चुनाव आयोग आपदा या आपदा की अनुपस्थिति पर विचार करेगा। हालांकि उपाध्याय की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया गया। चुनाव आयोग को इस बारे में जवाब देना होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह मान रही है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण होने के नाते, एसआईआर अभ्यास के दौरान कानून का पालन कर रहा है। अदालत ने चेतावनी दी कि किसी भी अवैधता की स्थिति में इसको रद्द कर दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो वह इस प्रक्रिया को रद्द कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट 7 अक्तूबर को करेगा अंतिम सुनवाई
कोर्ट ने बिहार एसआईआर की वैधता पर अंतिम बहस के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। बेंच ने कहा, "बिहार एसआईआर में हमारा फैसला पूरे भारत में एसआईआर के लिए लागू होगा।" इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश में होने वाले चुनाव संबंधी कार्यों पर लागू होगा। अदालत ने यह भी कहा कि वह चुनाव आयोग को ऐसा करने से नहीं रोक सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव में कोई गड़बड़ी होती है तो वह कार्रवाई करेगी। कोर्ट ने आयोग को भी नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। बिहार में होने वाले चुनावों पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस ने इस मामले में चिंता जताई है।
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। सुप्रिया श्रीनेत ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि बिहार में अभी भी "चुनावी धोखाधड़ी" चल रही है। चुनाव आयोग ने 4 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की आड़ में बिहार में चुनावों में धांधली करने की "पूरी साजिश" रची गई है। बिहार में चुनावों के दौरान बड़ी अनियमितताएं करने की कोशिश की जा रही है।
बिहार में एसआईआर के नाम पर चुनाव में धांधली
श्रीनेत ने कहा, "बिहार में चुनावी धोखाधड़ी अभी भी जारी है। चुनाव आयोग ने 4 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि नए मतदाताओं में से केवल 27 प्रतिशत ही 18 से 20 साल की आयु के हैं; बाकी सभी उससे ऊपर के हैं। कुछ लोग तो इसमें 100 साल के भी हैं। इसके अलावा, 58 फसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने आपत्ति जताई है और कहा है कि उनके नाम हटा दिए जाने चाहिए। एसआईआर के नाम पर बिहार में चुनावों में धांधली करने की पूरी साजिश रची गई है। कहीं न कहीं बिहार में चुनावों के दौरान बड़ी अनियमितताएं करने की कोशिश की जा रही है।"
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर के अपने उस आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को बिहार में एसआईआर के तहत तैयार की जा रही संशोधित वोटर लिस्ट में मतदाता को शामिल करने के लिए पहचान के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
आधार कार्ड की तरह और भी दस्तावेज बनाए जा सकते हैं जाली
जस्टिस सूर्यकांत और जोयमलया बागची की बेंच ने कहा कि पिछले हफ्ते दिया गया निर्देश केवल अंतरिम था। दस्तावेज की वैधता का मुद्दा अभी भी एसआईआर से संबंधित मामले में तय किया जाना बाकी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे अन्य दस्तावेजों को भी आधार कार्ड की तरह ही जाली बनाया जा सकता है। सिर्फ इस आधार पर 'आधार' को अलग नहीं किया जा सकता है।
बेंच ने कहा, "ड्राइविंग लाइसेंस जाली हो सकते हैं, राशन कार्ड जाली हो सकते हैं। कई दस्तावेज जाली हो सकते हैं। आधार का उपयोग कानून द्वारा अनुमत सीमा तक किया जाना है।" इसका मतलब है कि आधार कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ उतना ही किया जाएगा जितना कानून इजाजत देता है।
कोर्ट के आदेश में बदलाव की मांग अस्वीकार
शीर्ष अदालत वकील अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 8 सितंबर के आदेश में बदलाव की मांग की गई थी। उपाध्याय ने तर्क दिया था कि कोई भी व्यक्ति केवल 182 दिनों तक भारत में रहकर आधार कार्ड प्राप्त कर सकता है। यह न तो नागरिकता का प्रमाण है और न ही निवास का। उन्होंने कहा कि बिहार में लाखों रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। आधार कार्ड के उपयोग की अनुमति देना "विनाशकारी" होगा। उनका कहना था कि आधार कार्ड आसानी से बन जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा सकता है।
बेंच ने जवाब दिया कि चुनाव आयोग आपदा या आपदा की अनुपस्थिति पर विचार करेगा। हालांकि उपाध्याय की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया गया। चुनाव आयोग को इस बारे में जवाब देना होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह मान रही है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण होने के नाते, एसआईआर अभ्यास के दौरान कानून का पालन कर रहा है। अदालत ने चेतावनी दी कि किसी भी अवैधता की स्थिति में इसको रद्द कर दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो वह इस प्रक्रिया को रद्द कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट 7 अक्तूबर को करेगा अंतिम सुनवाई
कोर्ट ने बिहार एसआईआर की वैधता पर अंतिम बहस के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। बेंच ने कहा, "बिहार एसआईआर में हमारा फैसला पूरे भारत में एसआईआर के लिए लागू होगा।" इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश में होने वाले चुनाव संबंधी कार्यों पर लागू होगा। अदालत ने यह भी कहा कि वह चुनाव आयोग को ऐसा करने से नहीं रोक सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव में कोई गड़बड़ी होती है तो वह कार्रवाई करेगी। कोर्ट ने आयोग को भी नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। बिहार में होने वाले चुनावों पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस ने इस मामले में चिंता जताई है।
You may also like
एशिया कप : मुस्तफिजुर रहमान की घातक गेंदबाजी, बांग्लादेश ने अफगानिस्तान को 8 रन से हराया
शराब का सेवन और कैंसर का खतरा: जानें क्या कहता है शोध
Jolly LLB 3: इस वीकेंड पर रिलीज़ होने वाली कोर्ट रूम कॉमेडी
एशिया कप : मुस्तफिजुर रहमान की घातक गेंदबाजी, बांग्लादेश ने अफगानिस्तान को 8 रन से हराया
अमरावती: पीएम मोदी की मिलेट योजना से 460 किसान जुड़े, रवींद्र ढोकणे ने बढ़ाया किसानों का आत्मविश्वास