पटना : राजधानी पटना से सटी हुई 6 विधानसभा सीटों (पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर, दीघा, फुलवारी शरीफ और दानापुर ) पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। कुम्हरार सीट पर जनसुराज मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहा है। इन छह में से 5 पर भाजपा और एक सीट पर जदयू चुनाव लड़ रहा है। महागठबंधन की तरफ से दो सीटों पर कांग्रेस, दो पर भाकपा माले और दो पर राजद के प्रत्याशी खड़े हैं। इन छह में से चार (पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर, दीघा) सीटों पर भाजपा का कब्जा है। दानापुर, राजद और फुलवारी शरीफ, भाकपा माले की जीती हुई सीट है।
पटना साहिब विधानसभा सीट
2025 के चुनाव में पटना साहिब सबसे चर्चित सीट है। भाजपा के नंद किशोर यादव इस सीट पर लगातार 7 विधायक चुने गये थे। 2020 में विधायक बनने के बाद वे बिहार विधानसभा के स्पीकर बने थे। लेकिन भाजपा ने इस बार अपने इस अनुभवी नेता का टिकट काट कर एक नये चेहरे रत्नेश कुशवाहा को मौका दिया है। टिकट कटने के फैसले को नंद किशोर यादव ने सकारात्मक रूप से लिया है। वे संघ के प्रशिक्षित नेता हैं और भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं। नंद किशोर यादव खुद नये प्रत्याशी रत्नेश कुशवाहा के लिए प्रचार कर रहे हैं। भाजपा के बागी शिशिर कुमार के नामांकन वापस लिये जाने के बाद रत्नेश कुशवाहा की स्थिति मजबूत हो गयी है।
कांग्रेस प्रत्याशी शशांक शेखर
इस सीट पर कांग्रेस के चर्चित युवा शशांत शेखर, रत्नेश कुशवाहा को चुनौती दे रहे हैं। शशांत शेखर ने आइआइटी दिल्ली और आइआइएम कोलकाता से पढ़ाई की है। उन्हें जर्मनी की एक कंपनी से सवा करोड़ रुपये के पैकेज का प्रस्ताव मिला था। लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। फिलहाल वे पटना के नजदीक खुशरुपुर में डेयरी फॉर्म चलाते हैं। वे 2022 में कांग्रेस से जुड़े थे। दो साल से पटना साहिब क्षेत्र में सक्रिय हैं। पटना साहिब में इस बार युवा प्रत्याशियों में मुकाबला है।
बांकीपुर विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा के नितिन नवीन और राजद की रेखा गुप्ता के बीच मुकाबला है। रेखा गुप्ता ने नामांकन की अंतिम तारीख को बिल्कुल अंतिम लम्हे में नॉमिनेशन किया था। रेखा गुप्ता का नामांकन अजीबो गरीब स्थिति में हुआ। बांकीपुर सीट पहले कांग्रेस को मिलने वाली थी। रेखा गुप्ता सुबह में कांग्रेस में शामिल हुईं थीं। लेकिन जैसे ही ये पता चला कि बांकीपुर सीट राजद के कोटे में गयी है, रेखा गुप्ता ने फिर हड़बड़ी में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आनन फानन में राजद में शामिल हुईं। इसकी वजह से नामांकन खत्म होने की अवधि से आधा घंटा पहले जैसे-तैसे नॉमिनेशन कर पायीं।
नितिन नवीन की स्थिति
नितिन नवीन इस सीट से लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं। वे नीतीश सरकार में मंत्री हैं। उन्हें भाजपा का तेजतर्रार नेता माना जाता है। बांकीपुर सीट पहले पटना पश्चिम के नाम से जानी जाती थी। इस सीट से नितिन के पिता नवीन किशोर सिन्हा चार बार विधायक चुने गये थे। इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर कांग्रेस और राजद के बीच हुई तनतनी से नितिन नवीन को और भी फायदा मिल सकता है। नामांकन के अंतिम दिन तक इस सीट पर महागठबंधन का प्रत्य़ाशी तय नहीं हो पाया था। कांग्रेस और राजद में तकरार चल रही थी। समय समाप्त होने से कुछ पहले राजद ने यहां से उम्मीदवार खड़ा किया। रेखा गुप्ता एक ही दिन में दो दलों में शामिल हुईं। इससे जनता में यह संदेश गया कि महागठबंधन के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था।
कुम्हरार विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा के संजय गुप्ता और कांग्रेस के इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी में मुख्य मुकाबला है। जनसुराज के प्रत्याशी के सी सिन्हा बिहार के नामी गणितज्ञ हैं। छात्रों के बीच उनकी अपार लोकप्रियता है। इनके खड़ा होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
संजय गुप्ता भाजपा का नया चेहरा
यह भाजपा की जीती हुई सीट है। यहां से अरुण कुमार सिन्हा विधायक चुने गये थे। लेकिन इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट कर नये चेहरे संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के जरिये भाजपा में आये हैं। संजय के नामांकन के समय अरुण कुमार सिन्हा ही उनके प्रस्तावक थे। यानी अरुण कुमार सिन्हा (कायस्थ) टिकट कटने के बावजूद नये चेहरे संजय को भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इससे कायस्थ वोट भाजपा के पक्ष में एकजुट रहेगा।
कांग्रेस के डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी
इस सीट पर कांग्रेस ने भाजपा के एक पूर्व नेता को मुकाबले में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर 48 के पार्षद हैं। वे पिछले दो बार से वार्ड पार्षद हैं। वे पहले भाजपा में थे। चुनाव से कुछ पहले ही वे कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे अति पिछड़ा समाज से आते हैं।
जनसुराज के डॉ. केसी सिन्हा
केसी सिन्हा चर्चित गणितज्ञ हैं। उन्होंने माध्यमिक स्तर और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए गणित की करीब 70 किताबों लिखीं हैं। पूरे बिहार में वे छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे हैं। कायस्थ समाज से आते हैं। कुम्हरार में कायस्थ वोटरों की अच्छी-खासी आबादी है। इसलिए उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। यानी कुम्हरार में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति है।
दीघा विधानसभा क्षेत्र
यहां भाजपा के संजीव चौरसिया और भाकपा माले की दिव्या गौतम के बीच मुकाबला है। भाजपा के संजीव चौरसिया पिछले दो चुनाव से यहां जीत हासिल कर रहे हैं। तीसरी लगातार जीत के लिए मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाकपा माले की दिव्या गौतम से हैं। पिछली बार भाकपा माले ने इस सीट से शशि यादव को टिकट दिया था। भाजपा के संजीव चौरसिया ने शशि यादव को करीब 46 हजार वोटों के विशाल अंतर से हरा दिया था। इस बार माले ने शशि यादव को बदल कर दिव्या गौतम के रूप में नया चेहरा उतारा है। दिव्या गौतम दिवगंत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चचेरी बहन हैं। कुछ दिनों तक कॉलेज में पढ़ाया। फिर बीपीएससी पास कर सरकारी नौकरी हासिल की। इसके बाद वे सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गयीं।
दानापुर विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर भाजपा के रामकृपाल यादव और राजद के रीत लाल यादव के बीच कठिन मुकाबला है। पाटलिपुत्र से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद रामकृपाल यादव दानापुर से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के लिए यह सीट कठिन मानी जा रही थी। इसलिए रामकृपाल यादव को टिकट दिया गया। राजद के बाहुबली नेता रीत लाल यादव यहां से विधायक हैं। फिलहाल वे जेल में हैं। यहां कांटे का मुकाबला होने वाला है। रीत लाल यादव को जिताने के लिए लालू यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव प्रचार कर रही हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में मीसा भारती ने ही रामकृपाल यादव को हराया था। इस सीट से जन सुराज ने अखिलेश कुमार को टिकट दिया था। लेकिन वे नामांकन से पहले कहीं गायब हो गये। बाद में भाजपा नेताओं के साथ दिखे।
फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर अभी भाकपा माले के गोपाल रविदास का कब्जा है। 2020 में उन्होंने जदयू के श्याम रजक को हराया था। श्याम रजक यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं। वे 1995 में जनता दल, 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 में राजद से, 2010 और 2015 में जदयू से विधायक चुने गये थे। 2020 में श्याम रजक की हार जदयू के लिए एक बड़ा झटका थी। राजद से तालमेल के कारण माले ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बार कांटे का मुकाबला है। जनसुराज ने शशिकांत प्रसाद को यहां से टिकट दिया है।
पटना साहिब विधानसभा सीट
2025 के चुनाव में पटना साहिब सबसे चर्चित सीट है। भाजपा के नंद किशोर यादव इस सीट पर लगातार 7 विधायक चुने गये थे। 2020 में विधायक बनने के बाद वे बिहार विधानसभा के स्पीकर बने थे। लेकिन भाजपा ने इस बार अपने इस अनुभवी नेता का टिकट काट कर एक नये चेहरे रत्नेश कुशवाहा को मौका दिया है। टिकट कटने के फैसले को नंद किशोर यादव ने सकारात्मक रूप से लिया है। वे संघ के प्रशिक्षित नेता हैं और भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं। नंद किशोर यादव खुद नये प्रत्याशी रत्नेश कुशवाहा के लिए प्रचार कर रहे हैं। भाजपा के बागी शिशिर कुमार के नामांकन वापस लिये जाने के बाद रत्नेश कुशवाहा की स्थिति मजबूत हो गयी है।
कांग्रेस प्रत्याशी शशांक शेखर
इस सीट पर कांग्रेस के चर्चित युवा शशांत शेखर, रत्नेश कुशवाहा को चुनौती दे रहे हैं। शशांत शेखर ने आइआइटी दिल्ली और आइआइएम कोलकाता से पढ़ाई की है। उन्हें जर्मनी की एक कंपनी से सवा करोड़ रुपये के पैकेज का प्रस्ताव मिला था। लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। फिलहाल वे पटना के नजदीक खुशरुपुर में डेयरी फॉर्म चलाते हैं। वे 2022 में कांग्रेस से जुड़े थे। दो साल से पटना साहिब क्षेत्र में सक्रिय हैं। पटना साहिब में इस बार युवा प्रत्याशियों में मुकाबला है।
बांकीपुर विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा के नितिन नवीन और राजद की रेखा गुप्ता के बीच मुकाबला है। रेखा गुप्ता ने नामांकन की अंतिम तारीख को बिल्कुल अंतिम लम्हे में नॉमिनेशन किया था। रेखा गुप्ता का नामांकन अजीबो गरीब स्थिति में हुआ। बांकीपुर सीट पहले कांग्रेस को मिलने वाली थी। रेखा गुप्ता सुबह में कांग्रेस में शामिल हुईं थीं। लेकिन जैसे ही ये पता चला कि बांकीपुर सीट राजद के कोटे में गयी है, रेखा गुप्ता ने फिर हड़बड़ी में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आनन फानन में राजद में शामिल हुईं। इसकी वजह से नामांकन खत्म होने की अवधि से आधा घंटा पहले जैसे-तैसे नॉमिनेशन कर पायीं।
नितिन नवीन की स्थिति
नितिन नवीन इस सीट से लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं। वे नीतीश सरकार में मंत्री हैं। उन्हें भाजपा का तेजतर्रार नेता माना जाता है। बांकीपुर सीट पहले पटना पश्चिम के नाम से जानी जाती थी। इस सीट से नितिन के पिता नवीन किशोर सिन्हा चार बार विधायक चुने गये थे। इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर कांग्रेस और राजद के बीच हुई तनतनी से नितिन नवीन को और भी फायदा मिल सकता है। नामांकन के अंतिम दिन तक इस सीट पर महागठबंधन का प्रत्य़ाशी तय नहीं हो पाया था। कांग्रेस और राजद में तकरार चल रही थी। समय समाप्त होने से कुछ पहले राजद ने यहां से उम्मीदवार खड़ा किया। रेखा गुप्ता एक ही दिन में दो दलों में शामिल हुईं। इससे जनता में यह संदेश गया कि महागठबंधन के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था।
कुम्हरार विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा के संजय गुप्ता और कांग्रेस के इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी में मुख्य मुकाबला है। जनसुराज के प्रत्याशी के सी सिन्हा बिहार के नामी गणितज्ञ हैं। छात्रों के बीच उनकी अपार लोकप्रियता है। इनके खड़ा होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
संजय गुप्ता भाजपा का नया चेहरा
यह भाजपा की जीती हुई सीट है। यहां से अरुण कुमार सिन्हा विधायक चुने गये थे। लेकिन इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट कर नये चेहरे संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के जरिये भाजपा में आये हैं। संजय के नामांकन के समय अरुण कुमार सिन्हा ही उनके प्रस्तावक थे। यानी अरुण कुमार सिन्हा (कायस्थ) टिकट कटने के बावजूद नये चेहरे संजय को भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इससे कायस्थ वोट भाजपा के पक्ष में एकजुट रहेगा।
कांग्रेस के डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी
इस सीट पर कांग्रेस ने भाजपा के एक पूर्व नेता को मुकाबले में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर 48 के पार्षद हैं। वे पिछले दो बार से वार्ड पार्षद हैं। वे पहले भाजपा में थे। चुनाव से कुछ पहले ही वे कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे अति पिछड़ा समाज से आते हैं।
जनसुराज के डॉ. केसी सिन्हा
केसी सिन्हा चर्चित गणितज्ञ हैं। उन्होंने माध्यमिक स्तर और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए गणित की करीब 70 किताबों लिखीं हैं। पूरे बिहार में वे छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे हैं। कायस्थ समाज से आते हैं। कुम्हरार में कायस्थ वोटरों की अच्छी-खासी आबादी है। इसलिए उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। यानी कुम्हरार में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति है।
दीघा विधानसभा क्षेत्र
यहां भाजपा के संजीव चौरसिया और भाकपा माले की दिव्या गौतम के बीच मुकाबला है। भाजपा के संजीव चौरसिया पिछले दो चुनाव से यहां जीत हासिल कर रहे हैं। तीसरी लगातार जीत के लिए मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाकपा माले की दिव्या गौतम से हैं। पिछली बार भाकपा माले ने इस सीट से शशि यादव को टिकट दिया था। भाजपा के संजीव चौरसिया ने शशि यादव को करीब 46 हजार वोटों के विशाल अंतर से हरा दिया था। इस बार माले ने शशि यादव को बदल कर दिव्या गौतम के रूप में नया चेहरा उतारा है। दिव्या गौतम दिवगंत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चचेरी बहन हैं। कुछ दिनों तक कॉलेज में पढ़ाया। फिर बीपीएससी पास कर सरकारी नौकरी हासिल की। इसके बाद वे सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गयीं।
दानापुर विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर भाजपा के रामकृपाल यादव और राजद के रीत लाल यादव के बीच कठिन मुकाबला है। पाटलिपुत्र से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद रामकृपाल यादव दानापुर से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के लिए यह सीट कठिन मानी जा रही थी। इसलिए रामकृपाल यादव को टिकट दिया गया। राजद के बाहुबली नेता रीत लाल यादव यहां से विधायक हैं। फिलहाल वे जेल में हैं। यहां कांटे का मुकाबला होने वाला है। रीत लाल यादव को जिताने के लिए लालू यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव प्रचार कर रही हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में मीसा भारती ने ही रामकृपाल यादव को हराया था। इस सीट से जन सुराज ने अखिलेश कुमार को टिकट दिया था। लेकिन वे नामांकन से पहले कहीं गायब हो गये। बाद में भाजपा नेताओं के साथ दिखे।
फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर अभी भाकपा माले के गोपाल रविदास का कब्जा है। 2020 में उन्होंने जदयू के श्याम रजक को हराया था। श्याम रजक यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं। वे 1995 में जनता दल, 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 में राजद से, 2010 और 2015 में जदयू से विधायक चुने गये थे। 2020 में श्याम रजक की हार जदयू के लिए एक बड़ा झटका थी। राजद से तालमेल के कारण माले ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बार कांटे का मुकाबला है। जनसुराज ने शशिकांत प्रसाद को यहां से टिकट दिया है।
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