बॉलीवुड में अपनी फिल्मी पारी शुरू करने वाली श्रुति हासन साउथ की सबसे ज्यादा फीस पाने वाली हीरोइनों में गिनी जाती हैं। अपने सुपरस्टार पिता की छाया से निकलने में श्रुति को वक्त तो लगा, हालांकि, उन्होंने अपनी जमीन पुख्ता कर ली। इन दिनों वह रजनीकांत स्टारर 'कुली' के कारण चर्चा में हैं। 'नवभारत टाइम्स' से बातचीत में उन्होंने महिला मुद्दों, शादी, पिता कमल हासन, माता-पिता के अलगाव, पीरियड्स पेन जैसे कई मुद्दों पर दो टूक बात की।
आप फिल्मी घराने से ताल्लुक रखने वाली एक मजबूत आत्मनिर्भर लड़की हैं, आपको लड़कियों को लेकर सबसे ज्यादा क्या बात परेशान करती है?
श्रुति हासन- लड़कियों को लेकर किया जाने वाला डबल स्टैंडर्ड मुझे बहुत परेशान करता है। मर्द अगर कोई चीज करें, तो उन्हें शाबाशी मिलती है, मगर लड़कियां करें, तो उन पर उंगली उठाई जाती है। अगर एक मर्द असर्टिव होता है, तो उसे दृढ़ इच्छाशक्ति वाला कहा जाता है, मगर यदि कोई लड़की इस तरह से अपनी बात रखे, तो उसे घमंडी कहा जाता है और बोला जाता है कि उसे लड़कियों की तरह बात करनी चाहिए। मुझे बहुत आपत्ति होती है, जब लड़कियों को आसानी से जज किया जाता है। बराबरी का दर्जा नहीं मिलता।
आज काफी चीजें बदल गई हैं, मगर क्या आपको लगता है कि एक्ट्रेस होने के नाते रोल्स हों या पे पैरिटी, असमानता घटी है?
-बीते सालों में ये भेदभाव कम हुआ है, मगर अभी भी उतना नहीं घटा, जितनी हमने अपेक्षा की थी। आज सोशल मीडिया पर भी बहुत कुछ होता है। मैं कमेंट्स पढ़ती रहती हूं, 'अरे कितने दिन काम करोगी, शादी कर लो।' एक हीरोइन को लेकर इस तरह के कमेंट्स सुनने को मिलते हैं, मगर हीरो को कोई ये नहीं कहता। प्रभास और सलमान खान को ये बात कोई नहीं कहता कि बहुत हुआ काम अब शादी कर लो। तो अब भी ये फीमेल-मेल पर्स्पेटिव है। मैं मानती हूं कि पे पैरिटी घटी है, अभिनेत्रियों को दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं, मगर यदि इस मानसिकता में बदलाव नहीं आता, तो क्या फायदा?
तो क्या आप भी शादी करने का दबाव महसूस करती हैं?
-बिल्कुल। मुझे जब लगातार इंटरव्यू में पूछा जाने लगा कि मैं शादी कब करूंगी, तो मैंने कह दिया कि मैं शादी में बिलीव नहीं करती। मुझे लगा था, मैंने एक बार इस मुद्दे पर कहा, तो वो छोड़ देंगे, मगर हर बार घूम फिरकर मेरी शादी पर बात आ जाती है। मैंने इतना काम किया है। खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं तरह -तरह की चीजें करती हूं, मगर मुझे एक ही नजरिए से देखा जाता है और ये सिर्फ मेरी अपनी बात नहीं है, ये हम सभी लड़कियों के साथ है।
आपने तो कुछ अरसा पहले पीरियड्स पेन, पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और एंड्रियोमेट्रियोसिस पर भी खुल कर बात की थी, वो करने को आप कैसे प्रेरित हुईं?
-मैं हमेशा से उन बातों पर अपना टेक या विचार रखना पसंद करती हूं, जो मेरा अपना अनुभव हो या जिसे मैंने करीब से देखा हो। मैंने आज तक उन रैंडम टॉपिक, पॉलिटिकल या सोशल विषयों पर बात नहीं की, जिसकी मुझे जानकारी न हो। मैं अपने अनुभवों के आधार पर बात करना पसंद करती हूं। पीरियड्स पेन हों या फिर पीसीओएस मैंने इन सभी चीजों से गुजरी हूं। मैं बातचीत को लेकर हमेशा ओपन रहती हूं, मुझे लगा मेरे अनुभव लोगों के काम सकते हैं, तो मैंने उन पर खुलकर बात की। उस दौरान मेरे पास हमारे बिल्डिंग के एक अंकल का मेसेज आया। उन्होंने कहा कि पीरियड्स पेन और पीसीओएस पर मेरे इंटरव्यू को देख कर उन्होंने अपनी बेटी से बात की और उसकी तकलीफ को समझ कर उसे सुलझाने को प्रेरित हुए। उस मेसेज से मुझे बहुत हिम्मत मिली कि एक मां इन मुद्दों पर अपनी बेटी से तो बात करती है, मगर मेरे इंटरव्यू के बाद एक पिता ने अपनी बेटी से बातचीत की।
मैं अगर आपके पिता कमल हसन की बात करूं, तो वह हमेशा से अपनी बात को बिंदास होकर कहते हैं, तो आपको लगता है कि उन्हें इसका खामियाजा भगी भुगतना पड़ता है?
-हां, भुगतना तो पड़ता है और वही बीमारी मुझे भी है (हंसती हैं) मगर सच बोलकर ईमानदार रहने की अपनी खुशी अलग होती है। कभी-कभी ये नुकसानदेह या चुनौतीपूर्ण हो जाता है। मैं पापा की तरह विवादों में नहीं पड़ती। अब विवादों में पड़ना तो पापा की जन्मकुंडली में ही होगा। वो कुछ और बोलते हैं और लोग उसे कुछ और समझते हैं। मैं और पापा हर किसी की हां में हां नहीं मिला सकते और न ही हर किसी को खुश रख सकते हैं। मैं अपनी सचाई के साथ जीने में यकीन करती हूं। ये सच है कि मेरे अपने घर में एक बहुत बड़ा सुपर स्टार रहा है, मेरे पिता के रूप में। वे जितने विनम्र और इंसानी गुणों से भरे हैं, उतना ही बेबाक और बिंदास हैं। वे ये नहीं सोचते कि समाज क्या सोचेगा? बॉक्स ऑफिस रिजल्ट क्या आएगा? उनका माइंडसेट वैसा नहीं है। वे हमेशा आर्टिस्टिक रहे हैं, तो मेरा अप्रोच भी उसी तरह का रहा है।
आप भी एक लंबा करियर जी चुकी हैं, आपको कब लगा कि आप कमल हसन जैसे बड़े मेगा स्टार की छाया से निकल चुकी हैं?
-आज ही क्यों, मुझे तो शुरू से ही लगता है कि मैंने अपनी अलग चीजें करने की कोशिश की है। मैं हमेशा मानती हूं कि हासन सरनेम के कारण मेरे लिए दरवाजे खुले। मगर ये भी सच है कि मेरे माता-पिता (कमल हासन और सारिका) ने फोन उठाकर मेरे करियर के लिए कभी फेवर नहीं मांगा। मैं जब से काम कर रही हूं, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं, तो जब आपको खुद के बिल भरने पड़ें, मीटिंग्जस लेनी पड़ें, तब वो छाया खुद-ब-खुद घटने लगती है। आज भी जब पत्रकार इंटरव्यू में पापा की बातें करते हैं, तो लगता है कि वो शेडो नहीं घटा है, पर आज मैं उसे छाया नहीं एक रोशनी की तरह देखती हूं।
अतीत में पलटकर देखने पर आपको ऐसा लगता है कि आपके माता-पिता (सारिका-कमल हासन) के बीच अगर अलगाव न हुआ होता, तो आपके जीवन में चीजें कुछ अलग होती?
-निश्चित रूप से सोचती हूं, क्योंकि मैं थेरेपी के क्षेत्र में भी काम करती हूं। मैं साइकोलॉजी में भी रुचि रखती हूं। मैं बिल्कुल सोचती हूं कि वो साथ रहते, तो कुछ अलग हो सकता था। मगर फिर ये चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं। मेरा कहना यही है कि उस बात को हम बदल नहीं सकते। मुझे विक्टम मेंटेलिटी जरा भी पसंद नहीं है। मैं मानती हूं कि हर किसी की कहानी में एक हादसा होता है। हर किसी के पास एक दुखभरी कहानी होती है। पर मैं उस अगर या मगर में यकीन नहीं करती। जो हुआ, सो हुआ, अब मैं उसे कैसे हैंडल करूं, मेरा फोकस उस पर होता है।
आपने अब तक साउथ के विजय, प्रभास, पवन कल्याण जैसे कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया है, मगर 'कुली' में रजनीकांत जैसे सुपरस्टार संग काम करने का अनुभव कैसा रहा?
-सबसे पहले तो मैं आपको बता दूं कि रजनी सर (रजनीकांत) मेरे पापा (कमल हासन) के कंटेम्पररी हैं, तो वो कनेक्शन था, जो सेट पर काफी काम आया। उनसे सीखने को काफी मिला। वह सेट पर एक कमाल का माहौल बनाए रखते हैं। वह सेट पर एक सकारात्मक माहौल लेकर आते हैं। वह अपनी एनर्जी से सब कुछ बदल देते हैं। इसमें मेरा प्रीति का किरदार भी ऐसा है, जिससे महिलाएं खुद को जोड़ पाएंगी।
आप फिल्मी घराने से ताल्लुक रखने वाली एक मजबूत आत्मनिर्भर लड़की हैं, आपको लड़कियों को लेकर सबसे ज्यादा क्या बात परेशान करती है?
श्रुति हासन- लड़कियों को लेकर किया जाने वाला डबल स्टैंडर्ड मुझे बहुत परेशान करता है। मर्द अगर कोई चीज करें, तो उन्हें शाबाशी मिलती है, मगर लड़कियां करें, तो उन पर उंगली उठाई जाती है। अगर एक मर्द असर्टिव होता है, तो उसे दृढ़ इच्छाशक्ति वाला कहा जाता है, मगर यदि कोई लड़की इस तरह से अपनी बात रखे, तो उसे घमंडी कहा जाता है और बोला जाता है कि उसे लड़कियों की तरह बात करनी चाहिए। मुझे बहुत आपत्ति होती है, जब लड़कियों को आसानी से जज किया जाता है। बराबरी का दर्जा नहीं मिलता।
आज काफी चीजें बदल गई हैं, मगर क्या आपको लगता है कि एक्ट्रेस होने के नाते रोल्स हों या पे पैरिटी, असमानता घटी है?
-बीते सालों में ये भेदभाव कम हुआ है, मगर अभी भी उतना नहीं घटा, जितनी हमने अपेक्षा की थी। आज सोशल मीडिया पर भी बहुत कुछ होता है। मैं कमेंट्स पढ़ती रहती हूं, 'अरे कितने दिन काम करोगी, शादी कर लो।' एक हीरोइन को लेकर इस तरह के कमेंट्स सुनने को मिलते हैं, मगर हीरो को कोई ये नहीं कहता। प्रभास और सलमान खान को ये बात कोई नहीं कहता कि बहुत हुआ काम अब शादी कर लो। तो अब भी ये फीमेल-मेल पर्स्पेटिव है। मैं मानती हूं कि पे पैरिटी घटी है, अभिनेत्रियों को दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं, मगर यदि इस मानसिकता में बदलाव नहीं आता, तो क्या फायदा?
तो क्या आप भी शादी करने का दबाव महसूस करती हैं?
-बिल्कुल। मुझे जब लगातार इंटरव्यू में पूछा जाने लगा कि मैं शादी कब करूंगी, तो मैंने कह दिया कि मैं शादी में बिलीव नहीं करती। मुझे लगा था, मैंने एक बार इस मुद्दे पर कहा, तो वो छोड़ देंगे, मगर हर बार घूम फिरकर मेरी शादी पर बात आ जाती है। मैंने इतना काम किया है। खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं तरह -तरह की चीजें करती हूं, मगर मुझे एक ही नजरिए से देखा जाता है और ये सिर्फ मेरी अपनी बात नहीं है, ये हम सभी लड़कियों के साथ है।
आपने तो कुछ अरसा पहले पीरियड्स पेन, पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और एंड्रियोमेट्रियोसिस पर भी खुल कर बात की थी, वो करने को आप कैसे प्रेरित हुईं?
-मैं हमेशा से उन बातों पर अपना टेक या विचार रखना पसंद करती हूं, जो मेरा अपना अनुभव हो या जिसे मैंने करीब से देखा हो। मैंने आज तक उन रैंडम टॉपिक, पॉलिटिकल या सोशल विषयों पर बात नहीं की, जिसकी मुझे जानकारी न हो। मैं अपने अनुभवों के आधार पर बात करना पसंद करती हूं। पीरियड्स पेन हों या फिर पीसीओएस मैंने इन सभी चीजों से गुजरी हूं। मैं बातचीत को लेकर हमेशा ओपन रहती हूं, मुझे लगा मेरे अनुभव लोगों के काम सकते हैं, तो मैंने उन पर खुलकर बात की। उस दौरान मेरे पास हमारे बिल्डिंग के एक अंकल का मेसेज आया। उन्होंने कहा कि पीरियड्स पेन और पीसीओएस पर मेरे इंटरव्यू को देख कर उन्होंने अपनी बेटी से बात की और उसकी तकलीफ को समझ कर उसे सुलझाने को प्रेरित हुए। उस मेसेज से मुझे बहुत हिम्मत मिली कि एक मां इन मुद्दों पर अपनी बेटी से तो बात करती है, मगर मेरे इंटरव्यू के बाद एक पिता ने अपनी बेटी से बातचीत की।
मैं अगर आपके पिता कमल हसन की बात करूं, तो वह हमेशा से अपनी बात को बिंदास होकर कहते हैं, तो आपको लगता है कि उन्हें इसका खामियाजा भगी भुगतना पड़ता है?
-हां, भुगतना तो पड़ता है और वही बीमारी मुझे भी है (हंसती हैं) मगर सच बोलकर ईमानदार रहने की अपनी खुशी अलग होती है। कभी-कभी ये नुकसानदेह या चुनौतीपूर्ण हो जाता है। मैं पापा की तरह विवादों में नहीं पड़ती। अब विवादों में पड़ना तो पापा की जन्मकुंडली में ही होगा। वो कुछ और बोलते हैं और लोग उसे कुछ और समझते हैं। मैं और पापा हर किसी की हां में हां नहीं मिला सकते और न ही हर किसी को खुश रख सकते हैं। मैं अपनी सचाई के साथ जीने में यकीन करती हूं। ये सच है कि मेरे अपने घर में एक बहुत बड़ा सुपर स्टार रहा है, मेरे पिता के रूप में। वे जितने विनम्र और इंसानी गुणों से भरे हैं, उतना ही बेबाक और बिंदास हैं। वे ये नहीं सोचते कि समाज क्या सोचेगा? बॉक्स ऑफिस रिजल्ट क्या आएगा? उनका माइंडसेट वैसा नहीं है। वे हमेशा आर्टिस्टिक रहे हैं, तो मेरा अप्रोच भी उसी तरह का रहा है।
आप भी एक लंबा करियर जी चुकी हैं, आपको कब लगा कि आप कमल हसन जैसे बड़े मेगा स्टार की छाया से निकल चुकी हैं?
-आज ही क्यों, मुझे तो शुरू से ही लगता है कि मैंने अपनी अलग चीजें करने की कोशिश की है। मैं हमेशा मानती हूं कि हासन सरनेम के कारण मेरे लिए दरवाजे खुले। मगर ये भी सच है कि मेरे माता-पिता (कमल हासन और सारिका) ने फोन उठाकर मेरे करियर के लिए कभी फेवर नहीं मांगा। मैं जब से काम कर रही हूं, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं, तो जब आपको खुद के बिल भरने पड़ें, मीटिंग्जस लेनी पड़ें, तब वो छाया खुद-ब-खुद घटने लगती है। आज भी जब पत्रकार इंटरव्यू में पापा की बातें करते हैं, तो लगता है कि वो शेडो नहीं घटा है, पर आज मैं उसे छाया नहीं एक रोशनी की तरह देखती हूं।
अतीत में पलटकर देखने पर आपको ऐसा लगता है कि आपके माता-पिता (सारिका-कमल हासन) के बीच अगर अलगाव न हुआ होता, तो आपके जीवन में चीजें कुछ अलग होती?
-निश्चित रूप से सोचती हूं, क्योंकि मैं थेरेपी के क्षेत्र में भी काम करती हूं। मैं साइकोलॉजी में भी रुचि रखती हूं। मैं बिल्कुल सोचती हूं कि वो साथ रहते, तो कुछ अलग हो सकता था। मगर फिर ये चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं। मेरा कहना यही है कि उस बात को हम बदल नहीं सकते। मुझे विक्टम मेंटेलिटी जरा भी पसंद नहीं है। मैं मानती हूं कि हर किसी की कहानी में एक हादसा होता है। हर किसी के पास एक दुखभरी कहानी होती है। पर मैं उस अगर या मगर में यकीन नहीं करती। जो हुआ, सो हुआ, अब मैं उसे कैसे हैंडल करूं, मेरा फोकस उस पर होता है।
आपने अब तक साउथ के विजय, प्रभास, पवन कल्याण जैसे कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया है, मगर 'कुली' में रजनीकांत जैसे सुपरस्टार संग काम करने का अनुभव कैसा रहा?
-सबसे पहले तो मैं आपको बता दूं कि रजनी सर (रजनीकांत) मेरे पापा (कमल हासन) के कंटेम्पररी हैं, तो वो कनेक्शन था, जो सेट पर काफी काम आया। उनसे सीखने को काफी मिला। वह सेट पर एक कमाल का माहौल बनाए रखते हैं। वह सेट पर एक सकारात्मक माहौल लेकर आते हैं। वह अपनी एनर्जी से सब कुछ बदल देते हैं। इसमें मेरा प्रीति का किरदार भी ऐसा है, जिससे महिलाएं खुद को जोड़ पाएंगी।
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