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'फांसी घर' विवाद: दिल्ली विधानसभा ने केजरीवाल व सिसोदिया की याचिका को 'बेहद गलत' करार दिया

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की दिल्ली विधानसभा ने बुधवार को आम आदमी पार्टी नेताओं - अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की उस याचिका को ‘‘बेहद गलत’’ करार दिया, जिसमें दोनों नेताओं ने ‘फांसी घर’ मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती दी है। विधानसभा के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि यह विशेषाधिकार हनन का नोटिस नहीं है, बल्कि यह केवल ‘फांसी घर’ की प्रामाणिकता का पता लगाने और समिति को इससे जुड़े तथ्य देने में विशेषाधिकार समिति की सहायता के लिए था।

दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की। दिल्ली विधानसभा ने आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेताओं - अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, रामनिवास गोयल और राखी बिड़लान को समन जारी किया है और उन्हें पूर्ववर्ती ‘आप’ सरकार के ‘फांसी घर’ के दावों की जांच कर रही समिति के समक्ष 13 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

केजरीवाल और सिसोदिया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
केजरीवाल और सिसोदिया ने समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि नोटिस से पता चलता है कि कार्यवाही किसी शिकायत या रिपोर्ट पर आधारित नहीं है या विशेषाधिकार हनन या अवमानना के प्रस्ताव का उल्लेख नहीं करती है।



समझिए क्या है पूरा मामला
22 अगस्त, 2022 को विधानसभा परिसर में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल एवं उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की उपस्थिति में ‘फांसी घर’ का उद्घाटन किया गया था। इस कार्यक्रम में केजरीवाल मुख्य अतिथि थे जबकि तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़लान विशिष्ट अतिथि थीं और गोयल ने समारोह की अध्यक्षता की थी। आम आदमी पार्टी के अनुसार, ‘फांसी घर’ स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदान से संबंधित एक प्रतीकात्मक स्मारक के रूप में स्थापित किया गया था।


विधानसभा अध्यक्ष विजेंंद्र गुप्ता ने उठाया था सवाल
हालांकि, फरवरी में दिल्ली में भाजपा के सत्ता में आने के बाद, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मानसून सत्र के दौरान सदन को बताया था कि केजरीवाल द्वारा विधानसभा परिसर में उद्घाटन किया गया तथाकथित ब्रिटिशकालीन ‘फांसी घर’ मूल रूप से एक ‘टिफिन रूम’ था।

विधानसभा परिसर का 1912 का नक्शा दिखाते हुए, गुप्ता ने कहा था कि ऐसा कोई दस्तावेज या सबूत नहीं है जो दर्शाता हो कि उस जगह का इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया जाता था। उन्होंने मामले को जांच के लिए समिति को भेज दिया था।

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