'कूलरोफोबिया' एक ऐसा फीयर है जो जोकरों के डर से पैदा होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 50% लोगों को जोकरों से डर लगता है। और सोचिए अगर जोकर कोई राक्षसी अलौकिक शक्ति है जो बच्चों का बेरहमी से कत्लेआम करता है, उसके बाद तबाही मचाता है और उसका नाम 'पेनीवाइज' है, तो क्या! स्टीफन किंग ने अपने 1986 के नोवल 'आईटी' में इस काल्पनिक, दुष्ट जोकर के बारे में लिखा था, जो बच्चों और बड़ों दोनों को डराता रहा है।   
   
हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि लेखक को जोकर की कहानी के साथ डार्क हॉरर को मिलाने की प्रेरणा कहां से मिली? 'पेनीवाइज' स्टीफन किंग की कल्पना है। हालांकि, उनकी कहानी कई वास्तविक घटनाओं और लोगों से प्रेरित लगती है। फिल्म 'इट' में 'पेनीवाइज' को करीब से दिखाया गया है। तो, आइए जानते हैं इसके बारे में और बातें।
     
'इट' की कहानी80 का दशक, जब स्टीफन किंग ने 'इट' लिखी थी, वह ऐसा समय था जब हर माता-पिता अपने बच्चों की जान को लेकर डर में जी रहे थे। इस दशक में बच्चों के अपहरण और हत्या के लगातार मामले सामने आए। इसे 'अजनबी खतरा' कहा जाता था, जिससे परिवारों में दहशत फैल गई। दरअसल, उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को भी बच्चों के खिलाफ अपराधों की दरों पर ध्यान देना पड़ा और उन्होंने परिवारों की सुरक्षा के लिए अभियान चलाया। 'पेनीवाइज' बच्चों को फुसलाकर उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है। इस राक्षसी जोकर का यह गुण कथित तौर पर स्टीफन किंग ने अपने आस-पास देखी जाने वाली बातों से समझा था।
     
जॉन वेन गेसी से जुड़ा लिंकजॉन वेन गेसी को 1980 में 33 हत्याओं का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। वह जोकर का वेश धारण करता था और बर्थडे पार्टियों और बच्चों के अस्पतालों में भी परफॉर्म करता था। दुर्भाग्य से, उसके अधिकांश शिकार युवा पुरुष और कम उम्र के लड़के भी थे। उसके जघन्य अपराधों के सामने आने के बाद जॉन वेन गेसी को 'किलर क्लाउन' कहा जाने लगा।
   
      
   
'पेनीवाइज' सीरियल किलर पर बेस्डहालांकि, स्टीफन किंग ने कभी नहीं लिखा कि 'पेनीवाइज' सीरियल किलर पर आधारित है या नहीं, लेकिन समानताएं इतनी अधिक हैं कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 80 के दशक में 'अजनबी खतरे' का डर भी 'किलर क्लाउन' के अपराधों के बाद और बढ़ गया और लोगों को सफेद रंग से रंगे जोकर के चेहरों ने बहुत डराया, जिन पर बच्चे आसानी से भरोसा कर लेते थे। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि स्टीफन किंग ने जॉन वेन गेसी की मौत के आठ साल बाद 'इट' लिखी थी।
  
हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि लेखक को जोकर की कहानी के साथ डार्क हॉरर को मिलाने की प्रेरणा कहां से मिली? 'पेनीवाइज' स्टीफन किंग की कल्पना है। हालांकि, उनकी कहानी कई वास्तविक घटनाओं और लोगों से प्रेरित लगती है। फिल्म 'इट' में 'पेनीवाइज' को करीब से दिखाया गया है। तो, आइए जानते हैं इसके बारे में और बातें।
'इट' की कहानी80 का दशक, जब स्टीफन किंग ने 'इट' लिखी थी, वह ऐसा समय था जब हर माता-पिता अपने बच्चों की जान को लेकर डर में जी रहे थे। इस दशक में बच्चों के अपहरण और हत्या के लगातार मामले सामने आए। इसे 'अजनबी खतरा' कहा जाता था, जिससे परिवारों में दहशत फैल गई। दरअसल, उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को भी बच्चों के खिलाफ अपराधों की दरों पर ध्यान देना पड़ा और उन्होंने परिवारों की सुरक्षा के लिए अभियान चलाया। 'पेनीवाइज' बच्चों को फुसलाकर उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है। इस राक्षसी जोकर का यह गुण कथित तौर पर स्टीफन किंग ने अपने आस-पास देखी जाने वाली बातों से समझा था।
जॉन वेन गेसी से जुड़ा लिंकजॉन वेन गेसी को 1980 में 33 हत्याओं का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। वह जोकर का वेश धारण करता था और बर्थडे पार्टियों और बच्चों के अस्पतालों में भी परफॉर्म करता था। दुर्भाग्य से, उसके अधिकांश शिकार युवा पुरुष और कम उम्र के लड़के भी थे। उसके जघन्य अपराधों के सामने आने के बाद जॉन वेन गेसी को 'किलर क्लाउन' कहा जाने लगा।
'पेनीवाइज' सीरियल किलर पर बेस्डहालांकि, स्टीफन किंग ने कभी नहीं लिखा कि 'पेनीवाइज' सीरियल किलर पर आधारित है या नहीं, लेकिन समानताएं इतनी अधिक हैं कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 80 के दशक में 'अजनबी खतरे' का डर भी 'किलर क्लाउन' के अपराधों के बाद और बढ़ गया और लोगों को सफेद रंग से रंगे जोकर के चेहरों ने बहुत डराया, जिन पर बच्चे आसानी से भरोसा कर लेते थे। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि स्टीफन किंग ने जॉन वेन गेसी की मौत के आठ साल बाद 'इट' लिखी थी।
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