चंडीगढ़ : पिता दहाड़ी मजदूर, मां का सिलाई-कटाई वाला छोटा सा काम, बुजुर्ग दादी और 30 बकरियां। 23 साल के कोमलदीप के छोटे से परिवार का परिचय है। इन बकरियों को जंगल में चराने और दूध निकालने का जिम्मा भी कोमलदीप का ही है। अभी तक माली हालत ऐसी थी कि कि फैमिली मेंबर में से कोई काम नहीं करे तो मुश्किल बढ़ जाती थी। आगे ऐसा नहीं रहेगा, क्योंकि इन तमाम दुश्वारियों के बीच पंजाब के इस नौनिहाल ने पहले प्रयास में ही यूजीसी-नेट एग्जाम क्लियर कर लिया है। वह अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने और पीएचडी के योग्य हो गए हैं।
पिता दिहाड़ी मजदूर, मां सिलती है कपड़े
मेहनत और लगन से सफलता हासिल करने वाले कोमलदीप सिंह पंजाब के पंजाब के मानसा जिले के बोहा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने यूजीसी-नेट एग्जाम में इंग्लिश सब्जेक्ट में 300 में से 140 अंक प्राप्त किए और 85.06 परसेंटाइल स्कोर हासिल किया है। गरीबी से जूझकर और घर की जिम्मेदारी को निभाते हुए कोमलदीप ने अपने दादा बूटा सिंह का सपना पूरा कर दिया। कोमलदीप सिंह के पिता हरजिंदर सिंह एक ईंट भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूर हैं और रोजाना 300 से 500 रुपये कमाते हैं। उनकी मां लखवीर कौर कपड़े सिलकर परिवार का गुजारा करती हैं।
नोट्स लेकर जाते थे बकरियों को चराने
कोमलदीप सिंह सुबह जल्दी उठकर 30 बकरियों को चराने के लिए ले जाते थे। वह अपने साथ अपने नोट्स ले जाते थे। जब भी समय मिलता था, वे पढ़ाई करते थे। घर पर भी वह देर रात तक पढ़ते थे। उनके पास महंगी किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने इंटरनेट की मदद से नोट्स बनाए और यूजीसी नेट की तैयारी की। कोमलदीप ने गुरु तेग बहादुर कॉलेज ऑफ एजुकेशन मानसा से बैचलर इन आर्ट्स और बी.एड की चार साल की अंडरग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। उन्होंने पिछले साल पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (PSTET) भी क्रैक किया था। अभी वह एक प्राइवेट कॉलेज से इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं।
दादा चाहते थे कि पोता मास्टर बन जाए
कोमलदीप ने कहना है कि उनके दादा बूटा सिंह उन्हें टीचर बनाना चाहते थे। नेट क्लियर करने के बाद भी उन्हें जेआरएफ जितने नंबर नहीं मिले। उन्होंने कहा कि स्टडी मैटेरियल और किताब उपलब्ध होते तो वह जेआरएफ से नहीं चूकते। इसके लिए कट-ऑफ आमतौर पर 300 में से 160-166 होती है। पंजाब के गांवों में बच्चे आमतौर पर इंग्लिश को टेढ़ा सब्जेक्ट मानते हैं, मगर कोमलदीप इसमें भी अपवाद बनकर सामने आए। इंग्लिश सब्जेक्ट में अपनी रुचि के बारे उन्होंने अपने टीचर गुरविंदर सर की कहानी बताई, जिन्होंने स्कूल के दिनों में ही उन्हें इस भाषा की बारीकियों के बारे में जानकारी दी।
मां ने पूछ लिया, काहदा पेपर पास कित्ता?
सबसे मजेदार यह रहा कि यूजीसी नेट का रिजल्ट आने पास उन्होंने क्वॉलिफाई करने की खुशखबरी अपनी मां लखवीर कौर और पिता हरजिंदर सिंह को दी। दोनों बड़े खुश हुए, मगर मां ने पूछ लिया कि काहदा पेपर पास कित्ता? वे इस एग्जाम के बारे में कुछ नहीं जानते। फिर उन्होंने अपनी खुशी बकरियों के साथ शेयर की। अपने बेजुबान दोस्तों को चने और सोयाबीन खिलाकर सफलता का जश्न मनाया।
पिता दिहाड़ी मजदूर, मां सिलती है कपड़े
मेहनत और लगन से सफलता हासिल करने वाले कोमलदीप सिंह पंजाब के पंजाब के मानसा जिले के बोहा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने यूजीसी-नेट एग्जाम में इंग्लिश सब्जेक्ट में 300 में से 140 अंक प्राप्त किए और 85.06 परसेंटाइल स्कोर हासिल किया है। गरीबी से जूझकर और घर की जिम्मेदारी को निभाते हुए कोमलदीप ने अपने दादा बूटा सिंह का सपना पूरा कर दिया। कोमलदीप सिंह के पिता हरजिंदर सिंह एक ईंट भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूर हैं और रोजाना 300 से 500 रुपये कमाते हैं। उनकी मां लखवीर कौर कपड़े सिलकर परिवार का गुजारा करती हैं।
नोट्स लेकर जाते थे बकरियों को चराने
कोमलदीप सिंह सुबह जल्दी उठकर 30 बकरियों को चराने के लिए ले जाते थे। वह अपने साथ अपने नोट्स ले जाते थे। जब भी समय मिलता था, वे पढ़ाई करते थे। घर पर भी वह देर रात तक पढ़ते थे। उनके पास महंगी किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने इंटरनेट की मदद से नोट्स बनाए और यूजीसी नेट की तैयारी की। कोमलदीप ने गुरु तेग बहादुर कॉलेज ऑफ एजुकेशन मानसा से बैचलर इन आर्ट्स और बी.एड की चार साल की अंडरग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। उन्होंने पिछले साल पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (PSTET) भी क्रैक किया था। अभी वह एक प्राइवेट कॉलेज से इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं।
दादा चाहते थे कि पोता मास्टर बन जाए
कोमलदीप ने कहना है कि उनके दादा बूटा सिंह उन्हें टीचर बनाना चाहते थे। नेट क्लियर करने के बाद भी उन्हें जेआरएफ जितने नंबर नहीं मिले। उन्होंने कहा कि स्टडी मैटेरियल और किताब उपलब्ध होते तो वह जेआरएफ से नहीं चूकते। इसके लिए कट-ऑफ आमतौर पर 300 में से 160-166 होती है। पंजाब के गांवों में बच्चे आमतौर पर इंग्लिश को टेढ़ा सब्जेक्ट मानते हैं, मगर कोमलदीप इसमें भी अपवाद बनकर सामने आए। इंग्लिश सब्जेक्ट में अपनी रुचि के बारे उन्होंने अपने टीचर गुरविंदर सर की कहानी बताई, जिन्होंने स्कूल के दिनों में ही उन्हें इस भाषा की बारीकियों के बारे में जानकारी दी।
मां ने पूछ लिया, काहदा पेपर पास कित्ता?
सबसे मजेदार यह रहा कि यूजीसी नेट का रिजल्ट आने पास उन्होंने क्वॉलिफाई करने की खुशखबरी अपनी मां लखवीर कौर और पिता हरजिंदर सिंह को दी। दोनों बड़े खुश हुए, मगर मां ने पूछ लिया कि काहदा पेपर पास कित्ता? वे इस एग्जाम के बारे में कुछ नहीं जानते। फिर उन्होंने अपनी खुशी बकरियों के साथ शेयर की। अपने बेजुबान दोस्तों को चने और सोयाबीन खिलाकर सफलता का जश्न मनाया।
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