नई दिल्ली: कोई शख्स कितनी उम्र में अरबपति बन सकता है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका सही-सही जवाब देना आज के समय बड़ा मुश्किल है। कोई शख्स 25 साल की उम्र तक अरबपति बन जाता है तो कोई 60 साल के बाद भी नहीं बन पाता। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि उस शख्स का कारोबार कैसा है। लेकिन अगर कोई 22 साल की उम्र में ही अरबपति बन जाए तो इसे आप क्या कहेंगे?   
   
22 साल के तीन युवा दोस्तों ने ऐसा ही कर दिखाया है। आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा अपने हाई स्कूल के दोस्त ब्रेंडन फूडी के साथ दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति बन गए हैं। इनमें आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा भारतवंशी हैं। इन्होंने मेटा (फेसबुक) के को-फाउंडर मार्क जकरबर्ग को पीछे छोड़ दिया है। मार्क 23 साल की उम्र में इस मुकाम पर पहुंचे थे। जकरबर्ग साल 2008 में 1.5 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति थे। वह उस साल फोर्ब्स वर्ल्ड्स बिलेनियर लिस्ट में 1,125 अन्य लोगों के साथ शामिल थे।
      
क्या है इनका काम?हिरेमठ, मिधा और फूडी ने सैन फ्रांसिस्को स्थित AI रिक्रूटिंग प्लेटफॉर्म Mercor की स्थापना की। इस कंपनी ने हाल ही में 10 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 350 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। प्रत्येक फाउंडर के पास कंपनी में लगभग 22% हिस्सेदारी है, जिससे उनकी व्यक्तिगत संपत्ति करीब 2 अरब डॉलर हो जाती है।
     
Mercor के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) फूडी के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, इस फंडिंग का नेतृत्व अमेरिका स्थित Felicis Ventures ने किया। इस फंडिंग ने कंपनी का मूल्यांकन फरवरी में हुए पिछले फंडिंग राउंड की तुलना में पांच गुना बढ़ा दिया।
   
     
दिल्ली से जुड़ा है रिश्ताकर्नाटक के रहने वाले हिरेमठ Mercor के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) हैं। वह दिल्ली के परिवार से ताल्लुक रखने वाले मिधा बोर्ड के चेयरमैन हैं। तीनों ने अपनी उद्यमिता की यात्रा सैन जोस, कैलिफोर्निया के बेलरमाइन कॉलेज प्रिपरेटरी में शुरू की थी। हाई स्कूल के बाद फूडी ने जॉर्जटाउन से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की, हिरेमठ ने हार्वर्ड से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की और मिधा ने जॉर्जटाउन से फॉरेन सर्विस की पढ़ाई की।
   
क्या है Mercor का काम?तीनों को-फाउंडर ने साल 2023 में सिलिकॉन वैली में अपना स्टार्टअप Mercor शुरू किया। Mercor AI लैब्स को फाउंडेशनल AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए एक्सपर्ट से जोड़ता है। इस साल फरवरी में स्टार्टअप ने Felicis के नेतृत्व में 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, जिसने इसे 2 बिलियन डॉलर का मूल्यांकन दिया था। सिर्फ आठ महीनों में स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गई।
  
22 साल के तीन युवा दोस्तों ने ऐसा ही कर दिखाया है। आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा अपने हाई स्कूल के दोस्त ब्रेंडन फूडी के साथ दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति बन गए हैं। इनमें आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा भारतवंशी हैं। इन्होंने मेटा (फेसबुक) के को-फाउंडर मार्क जकरबर्ग को पीछे छोड़ दिया है। मार्क 23 साल की उम्र में इस मुकाम पर पहुंचे थे। जकरबर्ग साल 2008 में 1.5 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति थे। वह उस साल फोर्ब्स वर्ल्ड्स बिलेनियर लिस्ट में 1,125 अन्य लोगों के साथ शामिल थे।
क्या है इनका काम?हिरेमठ, मिधा और फूडी ने सैन फ्रांसिस्को स्थित AI रिक्रूटिंग प्लेटफॉर्म Mercor की स्थापना की। इस कंपनी ने हाल ही में 10 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 350 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। प्रत्येक फाउंडर के पास कंपनी में लगभग 22% हिस्सेदारी है, जिससे उनकी व्यक्तिगत संपत्ति करीब 2 अरब डॉलर हो जाती है।
Mercor के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) फूडी के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, इस फंडिंग का नेतृत्व अमेरिका स्थित Felicis Ventures ने किया। इस फंडिंग ने कंपनी का मूल्यांकन फरवरी में हुए पिछले फंडिंग राउंड की तुलना में पांच गुना बढ़ा दिया।
दिल्ली से जुड़ा है रिश्ताकर्नाटक के रहने वाले हिरेमठ Mercor के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) हैं। वह दिल्ली के परिवार से ताल्लुक रखने वाले मिधा बोर्ड के चेयरमैन हैं। तीनों ने अपनी उद्यमिता की यात्रा सैन जोस, कैलिफोर्निया के बेलरमाइन कॉलेज प्रिपरेटरी में शुरू की थी। हाई स्कूल के बाद फूडी ने जॉर्जटाउन से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की, हिरेमठ ने हार्वर्ड से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की और मिधा ने जॉर्जटाउन से फॉरेन सर्विस की पढ़ाई की।
क्या है Mercor का काम?तीनों को-फाउंडर ने साल 2023 में सिलिकॉन वैली में अपना स्टार्टअप Mercor शुरू किया। Mercor AI लैब्स को फाउंडेशनल AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए एक्सपर्ट से जोड़ता है। इस साल फरवरी में स्टार्टअप ने Felicis के नेतृत्व में 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, जिसने इसे 2 बिलियन डॉलर का मूल्यांकन दिया था। सिर्फ आठ महीनों में स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गई।
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