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परमवीर चीमा EXCLUSIVE: फिल्ममेकर बोला, पैसे दोगे तब तुम्हारे साथ फिल्म बनाऊंगा

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आंखों से भावनाएं व्यक्त करने वाले एक्टर परमवीर सिंह चीमा आज वेब सीरीज 'चमक' के काला के रूप में इंडस्ट्री में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। मगर एक वक्त था, जब वह बॉलिवुड को अलविदा कहकर अपने घर पंजाब रवाना हो चुके थे। ओटीटी पर 'टब्बर', 'ब्लैक वारंट' और फिर 'चमक सीजन 2' जैसी सीरीज के लिए चर्चा बटोरने वाले परमवीर चीमा से हमने की खास बातचीत: पंजाब में खेती-किसानी करने वाले परिवार में रहते हुए आपको एक्टिंग का चस्का कैसे लगा? असल में, जब मैं कॉलेज में था तो मेरी हाइट एकदम से बढ़ गयी। मैं अच्छा-खासा लंबा हो गया। उन्हीं दिनों मुझे टायफाइड भी हो गया, तो मैं मोटे से पतला हो गया, यानी लंबा-छरहरा तो मेरी एक फैशन डिजाइनर दोस्त थी, उसने कहा कि तू मेरे लिए वॉक कर ले। मैंने कहा- यार, मुझे कोई आइडिया ही नहीं है। मैंने तो कभी यह किया नहीं है, तो वह बोली कि तुझे बस कपड़े पहनकर वॉक करना है। ऐसे मैं रैंप पर उतरा और वो फैशन शो जीत गया। सबने मेरी तारीफ की, तो मुझे लगा कि ये तो बड़ी सही लाइन है, लोग फैन हो जाते है, तो इसमें कोशिश करते हैं। फिर, मैंने एक रिएलिटी शो मिस्टर पंजाब हिस्सा लिया, वहां भी टॉप टेन में आ गया। दिल्ली में मिस्टर इंडिया कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया, वो मैं जीत गया और मुझे 5 लाख रुपये मिले। तब मैंने मॉडलिंग करने का फैसला कर लिया, मगर मेरे डैड ने कहा कि साथ में एलएलबी करनी पड़ेगी। वह खुद वकील हैं, हालांकि प्रैक्टिस नहीं करते, पर उनका मानना था कि एक बैकअप होना चाहिए। मैं दिल्ली में यह सब कर रहा था, तभी एक शूट के लिए मुंबई आना हुआ, जहां मेरा दोस्त मुझे नाटक दिखाने ले गया। वहां मुझे खुद को मंच पर अभिव्यक्त करने की ताकत का जो अनुभव हुआ, मैंने तय कर लिया कि मुझे एक्टर ही बनना है। यहां से मेरी एक्टिंग जर्नी शुरू हुई। एक वक्त ऐसा भी आया, जब आपने एक्टिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था। संघर्ष के उस दौर में यह ब्रेकिंग पॉइंट कब आया कि अब और धक्के नहीं खा सकता?हुआ यूं कि मिस्टर इंडिया जीतने के बावजूद मुझे कोई काम नहीं मिला। पंजाबी इंडस्ट्री से भी कोई ऑफर नहीं आया। एक ऑफर आया भी, तो मैंने पूछा कि कितने पैसे दोगे? तो वह फिल्ममेकर बोले, पैसे आपको लगाने पड़ेंगे। मैंने कहा, भई मेरे पापा तो मुझे बस से चंडीगढ़ आने के पैसे न दें और आप बोल रहे हैं कि फिल्म में पैसे लगाने पड़ेंगे। फिर मुझे लगा कि बॉलिवुड इंडस्ट्री थोड़ी सिस्टेमैटिक है तो मैं इधर आ गया, मगर यहां भी कोई काम नहीं मिल रहा था। पापा पैसे दे रहे थे, लेकिन वो भी एक हद तक ही सपोर्ट कर सकते थे, क्योंकि खेती में कितनी ही कमाई है। कई बार मैं कुछ छोटा-मोटा काम कर लेता था कि टीशर्ट पहन लिया तो सौ रुपये एक टीशर्ट के मिल गए या फिर छोटा-मोटा एक दिन का काम कर लिया। कभी दोस्त से पैसे उधार मांगे।
ऐसे टाइम चल रहा था, मगर दिमाग में हमेशा यही चलता था कि मुझे काम क्यों नहीं मिल रहा है। इस चक्कर में मैंने कास्टिंग का काम भी जॉइन कर लिया था, ताकि मुझे ऑडिशन देने का मौका मिल पाए। तभी कोविड आ गया, तो मैं घर वापस गया। वहां मुझे पता चला कि घर में क्या-क्या दिक्कतें चल रही हैं। जब मुंबई में था, तो घर की प्रॉब्लम उस तरह से नहीं पता चलती थीं। घर वाले बताते भी नहीं है, लेकिन जब घर गया तो पता चला कि यार, पापा की आर्थिक स्थिति बस ठीक ही है। कुछ ज्यादा आ नहीं रहा और मुश्किल हो रही है, तो मुझे हांथ बंटाना चाहिए। पापा की उम्र भी हो गई है, तो छोड़ यार एक्टिंग-वैक्टिंग। रिश्तेदार भी बोलने लग गए कि नहीं होगा, पर मेरे पापा ने कहा कि बेटा तूने इसमें चार साल लगा दिए हैं, तो अभी इसे नहीं छोड़ सकता। तू बन जाएगा, बस लगा रह, ऑडिशन देता रह, तो टब्बर का ऑडिशन मैंने किसान आंदोलन पर रहते हुए बनाकर भेजा। टब्बर मिली और गाड़ी चल पड़ी। अब तो 'टब्बर', 'ब्लैक वारंट', 'चमक' सभी सीरीज में आपकी एक्टिंग को काफी तारीफ मिली। अब जिंदगी कितनी बदल चुकी है? अभी तो काफी चीजें बदल चुकी हैं। हर इंसान का बात करने का अंदाज बदल गया है। लोग सम्मान देने लग गए है। ऑफिसेज में भी थोड़ी स्पेशल ट्रीटमेंट मिलने लग गयी है, तो जिंदगी जीने का मजा आ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि मेरे पापा बहुत खुश हैं, जिन्होंने मुझे अभी तक सपोर्ट किया। अब वह गर्व से रिश्तेदारों को बोल पाते हैं कि देखो, ये चीमा का नया शो आ रहा है। जबकि, पहले जब वे रिश्तेदार बोलते थे कि ये कुछ नहीं कर पाएगा तो मेरे पापा डर-डरकर बोलते थे कि नहीं, कर लेगा। अब उन्हें लगता कि देखो, मैंने बेटे को सपोर्ट किया और मेरे बेटे ने कर दिखाया। मेरे लिए वो सबसे बड़ी बात है। टैलंट होते हुए भी आपको एक मौके के लिए इतना संघर्ष करना पड़ा कि आपने एक बार तो हार ही मान ली थी। आपके हिसाब से इंडस्ट्री में क्या बदलाव होने चाहिए ताकि किसी और के साथ ऐसा ना हो?मुझे क्या लगता है कि जब मुझे काम नहीं मिल रहा था, तब शायद मैं तैयार नहीं था। मुझे तब काम मिला, जब मैं उन चैलेंजिंग किरदारों के लिए तैयार था, तो आपको मेहनत करते रहना चाहिए, क्योंकि अभी मुझे लगता है कि सिनेमा चेंज हो गया है। ओटीटी की वजह से अब हम आउटसाइडर को भी मौका मिल रहा है। आप देखो, आदर्श गौरव जो इतना बढ़िया एक्टर है, इतना अच्छा काम कर रहा है तो अभी स्कोप थोड़ा खुल गया है। बाकी, कास्टिंग वालों को हर एक्टर को मौके देना चाहिए, भले ही उसके पास अनुभव ना हो, फिर भी उसे ऑडिशन देने का चांस देना चाहिए।
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