नई दिल्लीः केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत पर कोई भी देश, खासकर अमेरिका , व्यापारिक समझौते के लिए दबाव नहीं बना सकता। उन्होंने साफ कहा कि भारत बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी डेडलाइन या दबाव में निर्णय नहीं लेगा। गोयल ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित ‘बर्लिन ग्लोबल डायलॉग’ में कहा, 'हम अमेरिका से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन हम जल्दबाजी में सौदे नहीं करते और न ही किसी के सिर पर बंदूक रखकर डील करते हैं।'
जब मॉडरेटर ने कहा कि आजकल व्यापार वार्ताएं समयसीमा और टैरिफ पर निर्भर होती हैं, तो गोयल ने जवाब दिया कि भारत की नीति दीर्घकालिक सोच पर आधारित है, न कि क्षणिक दबाव पर। उन्होंने कहा, 'भारत लंबी सोच रखता है। हम किसी दबाव या जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते। अगर हम पर टैरिफ लगाया गया है, तो हम उससे निपटने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं- नए बाजार तलाश रहे हैं, और घरेलू मांग को मजबूत बना रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था बहुत लचीली है।'
अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारीः गोयल
यह बयान उस समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते को फिर से शुरू करने की बातचीत चल रही है। यह समझौता अमेरिकी टैरिफ घटाने पर केंद्रित है। अभी अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ लगाया है, जिसमें 25% अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल आयात जारी रखने के कारण जोड़ा गया है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन लगातार भारत से रियायती रूसी तेल की खरीद घटाने का आग्रह कर रहे हैं, यह कहते हुए कि इससे मॉस्को के युद्ध को आर्थिक मदद मिलती है।
ट्रंप के दावे और भारत की प्रतिक्रियाअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि भारत ने रूसी तेल की खरीद में भारी कटौती करने पर सहमति जताई है। ट्रंप ने कहा, 'वो (मोदी) रूस से बहुत कम तेल खरीदेंगे। वे भी चाहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म हो।' ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “महान व्यक्ति” बताया और संकेत दिया कि दोनों देश “कुछ समझौतों पर काम कर रहे हैं।”
हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'मुझे दोनों नेताओं के बीच किसी बातचीत की जानकारी नहीं है।' भारत ने यह भी दोहराया कि उसका तेल आयात राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है।
2030 तक 500 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य कुछ मतभेदों के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है। हाल ही में अमेरिकी राजदूत-नामित सर्जियो गोर ने नई दिल्ली में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से मुलाकात की और निवेश तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
जब मॉडरेटर ने कहा कि आजकल व्यापार वार्ताएं समयसीमा और टैरिफ पर निर्भर होती हैं, तो गोयल ने जवाब दिया कि भारत की नीति दीर्घकालिक सोच पर आधारित है, न कि क्षणिक दबाव पर। उन्होंने कहा, 'भारत लंबी सोच रखता है। हम किसी दबाव या जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते। अगर हम पर टैरिफ लगाया गया है, तो हम उससे निपटने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं- नए बाजार तलाश रहे हैं, और घरेलू मांग को मजबूत बना रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था बहुत लचीली है।'
अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारीः गोयल
यह बयान उस समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते को फिर से शुरू करने की बातचीत चल रही है। यह समझौता अमेरिकी टैरिफ घटाने पर केंद्रित है। अभी अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ लगाया है, जिसमें 25% अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल आयात जारी रखने के कारण जोड़ा गया है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन लगातार भारत से रियायती रूसी तेल की खरीद घटाने का आग्रह कर रहे हैं, यह कहते हुए कि इससे मॉस्को के युद्ध को आर्थिक मदद मिलती है।
ट्रंप के दावे और भारत की प्रतिक्रियाअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि भारत ने रूसी तेल की खरीद में भारी कटौती करने पर सहमति जताई है। ट्रंप ने कहा, 'वो (मोदी) रूस से बहुत कम तेल खरीदेंगे। वे भी चाहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म हो।' ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “महान व्यक्ति” बताया और संकेत दिया कि दोनों देश “कुछ समझौतों पर काम कर रहे हैं।”
हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'मुझे दोनों नेताओं के बीच किसी बातचीत की जानकारी नहीं है।' भारत ने यह भी दोहराया कि उसका तेल आयात राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है।
2030 तक 500 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य कुछ मतभेदों के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है। हाल ही में अमेरिकी राजदूत-नामित सर्जियो गोर ने नई दिल्ली में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से मुलाकात की और निवेश तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
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