जबलपुर: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच कर्नल सोफिया कुरैशी चर्चा में हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अपने भाई को फोन किया और धमाकों के बारे में पूछा। उनकी भाभी उजमा कुरैशी ने यह जानकारी दी। उजमा, जो अपनी बेटियों के साथ मायके आई हैं, ने बताया कि कर्नल सोफिया ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। इस ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' इसलिए रखा गया क्योंकि आतंकवादियों ने कई महिलाओं का सिंदूर उजाड़ दिया था। 2011 में हुआ था कर्नल सोफिया के भाई का निकाहकर्नल सोफिया कुरैशी के भाई नूर कुरैशी का निकाह 2011 में उजमा कुरैशी से हुआ था। उजमा, जो अधारताल के संजीवनी अस्पताल में काम करती हैं, अपनी दो बेटियों के साथ बदौड़ा से जबलपुर आई हैं। उन्होंने बताया कि कर्नल सोफिया ने ऑपरेशन के बारे में परिवार को पहले से कुछ नहीं बताया था। उन्हें यह खबर न्यूज़ से पता चली। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कर्नल सोफिया ने अपने भाई को फोन किया और पूछा, 'कैसे लगे धमाके।' उन्होंने आगे कहा कि 'हमने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है।' कर्नल सोफिया के दादा और पिता भी सेना मेंउजमा ने बताया कि कर्नल सोफिया के दादा और पिता भी सेना में थे। उनके परिवार का सेना से पुराना नाता है। इसलिए सोफिया भी बचपन से ही सेना में जाना चाहती थीं। पारिवारिक प्रेरणा से उन्होंने 17 साल की उम्र में आर्मी ज्वाइन कर ली। उनके पति भी भारतीय सेना में हैं। जवाब देना था जरूरीउजमा ने कहा कि जिस तरह आतंकवादियों ने पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों को मारा और कई महिलाओं का सिंदूर उजाड़ दिया, उसका जवाब देना ज़रूरी था। इसलिए ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' रखना सही था। आतंकवादियों के खिलाफ इस कार्रवाई से उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। उनका मानना है कि एकजुट होकर लड़ने से आतंकवाद को खत्म किया जा सकता है। बुआ से प्रेरणा लेकर आर्मी में जाना चाहती हैं बेटियांउजमा ने यह भी बताया कि कर्नल सोफिया से प्रेरणा लेकर उनकी दोनों बेटियां भी आर्मी में जाना चाहती हैं। वे अपनी बुआ की तरह देश की सेवा करना चाहती हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' एक महत्वपूर्ण मिशन था। इसने आतंकवादियों को कड़ा संदेश दिया है। कर्नल सोफिया कुरैशी और उनकी टीम ने बहादुरी से इस ऑपरेशन को पूरा किया।
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