अगर आंखें हैं और दिल- दिमाग भी है तो भलाई इसी में है कि आंखें बंद रखिए। आंखें बंद नहीं रख सकते तो दिल और दिमाग के कपाट बंद रखिए और उनकी चाबी मोदी जी, अमित शाह जी, योगी जी प्रजाति के सज्जनों -दुर्जनों को देकर सुखी रहिए। इन पर भरोसा न हो तो चाबी नागपुर जाकर भागवत जी को सौंप आइए। नागपुर में खतरा ये है कि वे आपकी चाबी कभी लौटाएँगे नहीं। लौटाएंगे तो ये भी नहीं मगर इनके साथ अच्छाई ये है कि कल जनता ने इनकी छुट्टी कर दी (और करेगी ही)तो चाबी आपके पास लौट आएगी।नागपुर भेज दी तो फिर हमेशा के लिए उनकी हो गई।तब आप यह भी भूल जाएँगे कि आपके दिल और दिमाग के दरवाजे पर ताला जड़ा है और उसकी चाबी नागपुर में है!
आँखें भी खुली रखना चाहते हैं और दिल- दिमाग के कपाट भी तो केवल दुख -दर्द पाएँगे।तब आपको दिखाई देगा कि भारत की आधी आबादी की मासिक आमदनी पाँच हजार रुपये से भी कम है और उसके पास स्थायी संपत्ति जैसी कोई चीज नहीं है। तब आप रोज गरीबों के घरों- दुकानों को बुलडोजर से रौंदते हुए पाएंगे।तब आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि कोरोना काल में किसानों से ज्यादा आत्महत्याएँ व्यापारियों ने की थीं।तब आपको उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद के इस बयान में आज की भाजपाई राजनीति का आईना दिखाई देगा कि मैं सात दरोगाओं के हाथ -पैर तुड़वाकर उन्हें गड्ढे में फिंकवा कर यहां पहुंचा हूं और ऐसा कहनेवाले किसी मंत्री,किसी सांसद,किसी विधायक का बिगड़ता कुछ नहीं, बन जाता है। वह शीर्ष पर पहुंच जाता है। हत्यारों का स्वागत अब फूल-मालाएं पहना कर होता है।
तब आपको इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मिश्रा के इस निर्णय से बू आने लगेगी कि किसी नाबालिग लड़की के स्तनों को झिंझोड़ना, उसके पाजामे की नाड़ी तोड़ना, उसे खींचकर पुलिया के नीचे ले जाना और उसकी चीखें सुनकर कुछ लोगों द्वारा अपराधियों को ऐसा करते हुए देख लेना बलात्कार या बलात्कार की कोशिश का मामला नहीं बनता।तब आपको जज साहब का यह फैसला सुनने का साहस करना पड़ेगा कि बलात्कार के लिए बलात्कारी नहीं, बलात्कृता जिम्मेदार होती है।तब आपको विश्व हिन्दू परिषद- बजरंग दल आदि हिंदूवादी संगठनों की रोज- रोज की अखिल भारतीय गुंडागर्दी दिखाई देगी।तब आपको रोज -रोज मुसलमानों के साथ ओछा और घृणित व्यवहार करते वे खाते -पीते लोग दिखाई देंगे, जिनके पास सबकुछ है, बस दिल और दिमाग नहीं है।तब इस बात पर हँसी आएगी कि पश्चिम बंगाल की जिस जनता ने भाजपा को उपयुक्त स्थान पर लात मार दी थी, उस जनता के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने की बात भाजपा अध्यक्ष कर रहे हैं।जब मोदी जी कहेंगे कि विपक्ष बेहद नफरत फैला रहा है, तब यह दिखाई देगा कि इनकी नफरती जमात ने इतनी नफरत फैलाई है कि संसार भर में इनकी थू- थू हो रही है, जबकि ये इस झूठ को बार -बार दिखाना चाहते हैं कि मोदी जी के सत्ता में आने के बाद भारत का सम्मान दुनिया भर में बढ़ा है, कि मोदी जी भगवान विष्णु का अवतार हैं, कि वह शिवाजी के अवतार हैं।तब आपको याद आएगा कि इन्होंने भुखमरी में हमें दुनिया के सबसे गरीबतम देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है।
प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में भी हमारा यही हाल कर दिया है।तब दीपावली पर अयोध्या में 12 या 15 लाख दिये- जो सरकारी खर्च पर करोड़ों रुपये फूँक कर जलाए गए थे -उनके पीछे का घना अँधेरा दिखाई देने लगेगा और उसमें गरीब औरतें, मर्द ,बच्चे दियों में बचे हुए तेल की चंद बूँदें बटोरते हुए दिखाई देने लगेंगे ।तब आपको कोरोना के दौर में गंगा किनारे दबी लाशों के वे दृश्य याद आएंगे , जिन्हें लाचार गरीबों के परिजनों की वहां छोड़ दिया था।तब रोज़- रोज़ हिंदू -हिंदू करनेवाले भगवा चोले के उस नेता की सूरत याद आएगी, जब उसने कुंभ में कुचल कर मारे गए हिंदू तीर्थयात्रियों की संख्या छुपाई थी और उनके परिजनों के साथ निकृष्टतम व्यवहार किया था।तब याद आएगा कि यही थे, जो न जुमे की नमाज़ सुकून से पढ़ने दे रहे , न हिंदुओं को होली खुशी से मनाना दे रहे थे। इन्हीं के राज में मस्जिद को तिरपाल से ढंकना पड़ा था। इन्हीं के राज में मस्जिदों पर भगवा फहराने की छूट है।
याद आएगा कि देश के मुखिया ने नोटबंदी करके देश की अर्थव्यवस्था को हमेशा के लिए चौपट कर दिया था।उसके बाद वह कभी ठीक से उठ नही़ं पाई, गिरती ही चली गई। एक बार तो शून्य से भी 27 तक नीचे आ गई थी।तब आपको दिखाई देगा कि 'संविधान दिवस: का नाटक करके ये संविधान की धज्जियां उड़ाने का कुकर्म छुपाना चाहते हैं।तब दिखाई देगा कि हिंदुस्तान की सबसे नाकारा सरकार ने सबसे सफल सरकार की छवि बनाने के लिए दुनिया का वह कौन-सा झूठ है, जो नहीं बोला! आर्थिक मंदी दरवाजा खटखटा रही है और ये औरंगजेब की कब्र मिटाने के लिए दंगे करवा रहे हैं! उस पर शौचालय बनवाने की सिफारिश कर रहे हैं।तब समझ में आएगा कि ये कुछ नहीं हैं, नफ़रत के चौकीदार हैं।देश और देशभक्ति तो इनके लिए सत्ता भोगने का बहाना है।
यह तो जो हुआ है, जो हो रहा है, उसकी एक छोटी सी बानगी है, इसलिए आँखें बंद रखिए मगर आँखें बंद करने से ही काम नहीं चलेगा।कान भी बंद रखने होंगे।ये आँखें जो देख चुकी हैं, ये कान जो सुन चुके हैं, उसे दुनिया के सामने रखने से बचने के लिए मुँह भी बंद रखना होगा।घास चरती गाय, कपड़े कुतरता चूहा, कबूतर या मच्छर जैसा कुछ बनना पड़ेगा।तैयार हैं आप इसके लिए?हैं तो फिर आप इनके बड़े काम के हैं।तब आप आइए और इन्हें चुनाव जिताते चले जाइए।ये बहुत बेचैन हैं। इन्हें बिहार का चुनाव अवश्य जिताइए।2047 में 'विकसित भारत' के झांसे में आकर मोदी मोदी का जाप करते जाइए!
आइए जी मंदिर पर मंदिर बनवाते जाइए और मस्जिदों के नीचे मंदिर ही मंदिर निकालते जाइए।आइए इतनी नफ़रत फैलाइए कि दुनिया में भारत का डंका इतनी जोर -जोर से बजे कि फूट जाए!