नई दिल्ली, 27 मई . दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने मंगलवार को कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी. उन्होंने झारखंड के पलामू में शीर्ष नक्सली कमांडर के मारे जाने पर सरकार की रणनीति की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देश नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में निर्णायक कदम उठा चुका है.
प्रवीण खंडेलवाल ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश से वादा किया था कि नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करेंगे. गृह मंत्री अमित शाह ने इस दिशा में लगातार निर्णायक लड़ाई लड़ी है. देश के कई राज्यों से नक्सलवाद लगभग समाप्त हो चुका है और जो थोड़ी बहुत गतिविधियां बची हैं, उन्हें भी जल्द खत्म कर दिया जाएगा. नक्सलियों को समझना चाहिए कि अगर वे मुख्यधारा में नहीं आएंगे, तो उनका अंत निश्चित है.
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत द्वारा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को ‘बारात’ कहे जाने पर खंडेलवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही घटिया मानसिकता है. जब पूरा देश पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट खड़ा है, इस प्रकार की टिप्पणी केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जाती है. सांसदों के डेडिकेशन को ‘बारात’ कहना अपमानजनक है और यह उस पार्टी की मानसिकता दर्शाता है.
पंजाब भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में आप सरकार की 31 मई तक नशा मुक्त पंजाब के वादे को पूरा करने में विफल रहने के लिए आलोचना की. प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पंजाब पहले ही ड्रग्स और शराब के कारण बुरी तरह प्रभावित है. दिल्ली में विफल होने के बाद अब केजरीवाल वही ‘नाटक’ पंजाब में दोहरा रहे हैं. पंजाब की अर्थव्यवस्था पहले ही लड़खड़ा रही है और अब युवाओं का भविष्य भी खतरे में है. लेकिन भाजपा सरकार इस स्थिति को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा 1971 युद्ध में अमेरिका के दबाव में युद्ध रोकने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए खंडेलवाल ने कहा कि यह निश्चित रूप से तथ्यों पर आधारित होगा. भारत का हमेशा यही स्टैंड रहा है कि हम मध्यस्थता नहीं स्वीकारते. पाकिस्तान ने जो पाप किए हैं, उसकी सजा उसे मिलनी चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी यही कर रहे हैं. इस बीच ‘मध्यस्थता’ जैसी बातें केवल भ्रम फैलाने के लिए हैं.
महागठबंधन में एआईएमआईएम की दिलचस्पी को लेकर भी खंडेलवाल ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि महागठबंधन जैसी कोई ठोस इकाई नहीं है. ये केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए कभी इकट्ठा होते हैं और कभी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव में उतरते हैं. यह केवल दिखावा है और इसका कोई स्थायी अस्तित्व नहीं है.
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पीएसके/एकेजे
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