New Delhi, 5 अक्टूबर . साउथ वेस्ट दिल्ली की साइबर Police ने बेरोजगार युवाओं से ठगी के आरोप में बिजवासन निवासी आरोपी मनोज (33) को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि मनोज पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से मोटी रकम लेने का आरोप है. कई स्थानों पर छापेमारी के बाद आरोपी Police के हत्थे चढ़ा.
Police ने Sunday को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आरोपी खुद को प्रतिष्ठित एयरपोर्ट सेवा कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर नौकरी की तलाश में लगे लोगों से संपर्क करता था.
वह नौकरी के नाम पर रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंटेशन फीस के रूप में पैसे वसूलता था. आरोपी के कब्जे से एक स्मार्टफोन भी बरामद किया गया है, जिसका इस्तेमाल उसने अपराध को अंजाम देने के लिए किया था.
आरके पुरम के सेक्टर 7 के निवासी एस सिंह ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद जांच शुरू की गई. शिकायतकर्ता ने बताया कि मनोज नाम से एक शख्स ने उसे कॉल किया. मनोज ने बीडब्ल्यूएफएस कंपनी में महीने के 35,000 रुपए वेतन वाली नौकरी का ऑफर दिया.
एससिंह नेन नौकरी में दिलचस्पी दिखाते हुए गूगल पे के माध्यम से 5,500 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में ट्रांसफर किए. इसके बाद उन्हें एक फर्जी आईडी कार्ड ईमेल के जरिए मिला और अतिरिक्त 15,000 रुपए जमा करने को कहा गया. जब पैसे भेज दिए गए तो आरोपी ने फोन बंद कर दिया और संपर्क टूट गया.
साइबर Police ने इस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया. इस गंभीर मामले की जांच के लिए एसआई प्रियंका के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई, जिसमें हेड constable जय प्रकाश और constable जीतू राम शामिल थे. यह टीम इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक, एसएचओ साइबर Police स्टेशन और एसीपी विजय पाल तोमर के मार्गदर्शन में काम कर रही थी.
तीन दिन की कड़ी तकनीकी निगरानी और महिपालपुर, रंगपुरी, पलम व बिजवासन में छापेमारी के बाद आखिरकार मनोज को गिरफ्तार किया गया.
पूछताछ में मनोज ने स्वीकार किया कि उसने कई लोगों को धोखा दिया है. वह नौकरी के नाम पर 20 से 25 हजार रुपए तक की रकम वसूल लेता था.
वह आर्थिक रूप से कमजोर और नौकरी की तलाश में लगे लोगों को अपना शिकार बनाता था, क्योंकि वह सोचता था कि इतने कम पैसे होने के कारण वे लोग शिकायत नहीं करेंगे.
मनोज आठवीं कक्षा तक पढ़ा-लिखा है और अविवाहित है. Police ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामला काफी हद तक सुलझा लिया गया है, लेकिन जांच जारी है ताकि और पीड़ितों की पहचान कर उनकी मदद की जा सके.
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वीकेयू/वीसी
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