भारत के पड़ोसी देशों का इस्तेमाल लगातार एक खतरनाक लेबोरेट्री की तरह हो रहा है, ताकी भारत को हमेशा अस्थिर रखा जाए। ऐसे में भारत भी लगातार इन खतरनाक चुनौतियों का सामना कर रहा है और पूरी तरह से इसका जवाब दे रहा है।
अब खबर है कि अमेरिका का सी-17 मिलिट्री एयरक्रॉफ्ट अचानक बांग्लादेश में उतरा है। अमेरिका के इस एयरक्रॉफ्ट में 92 सैनिक थे। जिन्हें म्यांमार की सीमा से कुछ दूरी पर बांग्लादेश के चिटगांव में शाह अमानत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतारा गया। लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि लगभग उसी वक्त भारत ने भी अपने 100 सैनिकों को म्यांमार में उतार दिया। अमेरिकी सेना का चुपचाप बांग्लादेश में आना भारत के लिए चिंता का विषय है।
लेकिन भारत भी एक्शन मोड में आ गया है। भारत ने भी घेराबंदी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल ये है कि अमेरिकी सेना अचानक से बांग्लादेश क्यों पहुंची है। क्यों भारत ने अपने सैनिक म्यांमार में भेजे हैं।
शेख हसीना ने जिस बात के लिए चेताया था वो हो गया
अपने तख्तापलट से पहले शेख हसीना ने जिस बात का डर जताया था वो चीज अब बांग्लादेश में होनी शुरू हो गई है। शेख हसीना ने बताया था कि अमेरिका बांग्लादेश के चिटगांव और म्यांमार के कुछ इलाके को लेकर एक नया देश बनाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका इस नए इलाके में अपना मिलिट्री बेस बनाना चाहता है ताकी इस वो इस इलाके में बैठकर भारत और चीन दोनों पर नजर रख सके। शेख हसीना ने ये अमेरिका को करने से रोक दिया था। लेकिन उसके बाद उनकी क्या हालत हुई ये दुनिया को पता है। ऐसे में बांग्लादेश में तख्तापलट कराने के बाद अमेरिकी डीप स्टेट अपने प्लान के दूसरे स्टेज में आ गया है। अमेरिका बांग्लादेश में अपने पैर जमाने के साथ साथ म्यांमार में भी एक बड़ा ऑपरेशन करने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिकी सेना अचानक से बांग्लादेश क्यों पहुंची
सी-130जे सुपर हरक्यूलिस हाल ही में चटगाँव के शाह अमानत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। हरक्यूलिस एक सामरिक परिवहन विमान है जो आमतौर पर जापान में अमेरिकी वायु सेना के योकोटा स्टेशन पर तैनात रहता है। यह अभ्यास तीनों वायु सेनाओं द्वारा चटगाँव स्थित बांग्लादेश वायु सेना के ज़हुरुल हक़ अड्डे पर ‘पैसिफिक एंजेल 25-3’ के प्रक्षेपण की पृष्ठभूमि में हो रहा है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह अभ्यास पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक दशक से भी अधिक समय से आयोजित किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस अभ्यास का उद्देश्य रक्षा सहयोग, अंतर-संचालन और मानवीय प्रतिक्रिया को मज़बूत करना है। रिपोर्टों के अनुसार, इस अभ्यास में भाग लेने वाले विमानों में तीन सी-130जे विमान शामिल हैं, जिनमें से दो अमेरिकी प्रशांत वायु सेना के हैं। बांग्लादेश वायु सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर और अमेरिकी प्रशांत वायु सेना के दो अन्य सी-130जे परिवहन विमान भी शामिल हैं। इस अभ्यास में बांग्लादेश वायु सेना के 150 और अमेरिकी वायु सेना के 92 सहित कम से कम 242 कर्मी भाग ले रहे हैं।
भारत के लिए क्यों चिंता की बात है?
शायद। चटगाँव भारत और म्यांमार की सीमाओं के पास स्थित है, जो इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, कुछ लोग चिंतित हैं कि दक्षिण एशिया से बाहर के देश भारत में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए बांग्लादेश को आधार बना सकते हैं। अमेरिका पर पहले भी उन विरोध प्रदर्शनों में भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था जिनके कारण अगस्त 2024 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटा दिया गया था। ट्रंप ने फरवरी में बांग्लादेश में अमेरिका के किसी भी ‘डीप स्टेट’ के शामिल होने की बात को खारिज कर दिया था। अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले एक आंदोलन ने हफ़्तों तक चले विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप 600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। 76 वर्षीय हसीना भारत भाग गईं और बाद में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। ऐसे दावे हैं कि अमेरिका हसीना से नाखुश था क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था। कुछ लोग पिछले महीने ढाका के एक आलीशान होटल में एक अमेरिकी विशेष बल अधिकारी का शव मिलने की ओर भी इशारा करते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, शव का पोस्टमार्टम किए बिना ही दूतावास के अधिकारियों को सौंप दिया गया था। अख़बार के अनुसार, इस क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति के भू-राजनीतिक निहितार्थ विचारणीय हैं। क्या अमेरिका दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है? अगर ऐसा है, तो इससे क्षेत्र में शक्ति और सुरक्षा का संतुलन बदल सकता है। कुछ लोग यह भी सोच रहे हैं कि इन अभ्यासों और सैन्य तैनाती के पीछे क्या कारण हो सकता है।
सीमा से सटे राज्यों में भारत के लिए खतरा बढ़ सकता
विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं कि क्या बांग्लादेश का इस्तेमाल रसद या खुफिया अभियानों के केंद्र के रूप में किया जा रहा है जिसका भारत पर असर पड़ सकता है। बांग्लादेश में अमेरिकी उपस्थिति बढ़ने से अंतरिम सरकार को वाशिंगटन को खुश रखने के लिए भी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इससे पड़ोसी सरकारों के साथ तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका और चीन भी कथित तौर पर म्यांमार के विद्रोही समूहों से संपर्क साध रहे हैं। इससे म्यांमार की सीमा से सटे राज्यों में भारत के लिए खतरा बढ़ सकता है। इससे उग्रवाद और शरणार्थियों के प्रवाह पर और असर पड़ सकता है। हालांकि, अभी बहुत कुछ अज्ञात है। ऐसा लगता है कि जवाबों से ज़्यादा सवाल हैं।
भारत ने भी किया खेल
अमेरिका जानता है कि आने वाला दशक भारत और चीन का होगा। ऐसे में भारत और चीन पर नजर रखने और दोनों देशों पर दबाव बनाने के लिए इससे बढ़िया इलाका और कोई नहीं हो सकता। लेकिन आपको बता दें कि भारत भी एक्शन मोड में आ गया है। भारत ने भी अपने 100 से ज्यादा सैनिक म्यांमार भेज दिए हैं। भारत ने भी जवाब दिया है कि हम भी म्यांमार में मिलिट्री एक्सरसाइज करने आए हैं। आपको बता दें कि भारत भी बड़े खेल की तैयारी में है। भारत इतनी आसानी से म्यांमार और बांग्लादेश को अमेरिका के शिकंजे में जाने नहीं देगा।
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