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वोटिंग परसेंटेज बढ़ने का मतलब हमेशा सत्ता परिवर्तन नहीं-बिहार में हो गया उलटफेर!

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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या के लिए एक लाख रुपये की सुपारी दे दी. पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए आरोपी पति राजू गुप्ता और उसके चार साथियों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस का कहना है कि मृतका 35 वर्षीय पूजा अपने पहले पति की हत्या के मामले में जेल जा चुकी थी. इस समय वह पांच माह की प्रेग्नेंट थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है.

डीसीपी उत्तरी गोपाल कृष्ण चौधरी के अनुसार, राजू गुप्ता की पहली पत्नी का निधन हो चुका था. दो साल पहले उसने पूजा से शादी की थी. शादी के बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ने लगे. पूजा आए दिन झगड़ा करती थी और राजू से पैसों की मांग करती थी. राजू ने पुलिस को बताया कि उसने पूजा के नाम पर दो प्लॉट खरीदे थे और हाल ही में एक प्लॉट बेचकर कर्ज चुकाया था. इसके बाद बाकी रकम को लेकर पूजा उस पर दबाव बना रही थी. इसी बात से तंग आकर राजू ने उसकी हत्या की साजिश रच डाली.

एसीपी सुजीत कुमार दुबे ने बताया कि राजू ने अपने साथी अनीस को इस बारे में बताया, जिसने हत्या की साजिश रचने के लिए शकील, सर्वेश और राजेश से मिलवाया. 31 अक्टूबर को राजू पत्नी पूजा को उसकी 15 साल की बेटी सुमन से मिलवाने के बहाने कपूरथला ले गया, इसके बाद माल क्षेत्र के बसहरी मड़वाना गांव की ओर चला गया, जहां पहले से तीनों आरोपी मौजूद थे. वहां पहुंचने पर झाड़ियों में ले जाकर सभी ने मिलकर पूजा का गला दबाकर हत्या कर दी.

हत्या के बाद पूजा का मोबाइल घटनास्थल पर गिर गया था. अगले दिन आरोपी दोबारा मोबाइल लेने लौटे, लेकिन रास्ता भटक गए. तीन नवंबर को बसहरी गांव के आम के बाग में महिला का शव बरामद हुआ. शव की पहचान सीतापुर निवासी पूजा के रूप में हुई. पूजा की बेटी सुमन की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया है. इस मामले की जांच के बाद राजू सहित पांचों आरोपियों को काकराबाद अंडरपास से गिरफ्तार कर लिया गया.

मतदान प्रतिशत बढ़े या घटे लालू-राबड़ी सत्ता में रहे
जब लालू यादव-राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थे, तब मतदान प्रतिशत बढ़े या घटे, सत्ता उनकी सुरक्षित रही। 1990 में 62.04 फीसदी, 1995 में 61.8 फीसदी और 2000 में 62.5 फीसदी मतदान हुआ था। दो बार लालू यादव की और एक बार राबड़ी देवी की सरकार बनी। वोटर टर्नआउट का यह सबसे अच्छा दौर था।

अक्टूबर 2005 के चुनाव में जब लालू यादव की सत्ता से विदाई और नीतीश कुमार की ताजपोशी हुई तो उस समय 45.8 फीसदी ही मतदान हुआ था। 2010 के विधानसभा चुनाव में 53 फीसदी मतदान हुआ था। 2005 की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ गया था। लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार फिर सत्ता में लौटे।

2015 में 56.6 फीसदी मतदान हुआ। लेकिन इस बार नीतीश कुमार लालू यादव के साथ गठबंधन कर सत्ता में लौटे। इसलिए इस मामले में मतदान प्रतिशत के बढ़ने का सही-सही आंकलन नहीं किया जा सकता।

2020 में पहले चरण में 53 फीसदी वोटिंग
2020 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण के तहत 71 सीटों पर चुनाव हुआ था। उस समय पहले चरण में 53 फीसदी मतदान हुआ था। यहां गौर करने की बात ये है कि यह मतदान प्रतिशत कोविड महामारी के बीच हुए चुनाव का है। इस मतदान प्रतिशत के साथ नीतीश कुमार फिर सत्ता में लौटे। हां, उनकी सीटें जरूर कम हो गयीं। 2025 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण के तहत 121 सीटों पर चुनाव हुआ है। इसलिए हम इस चुनाव और पिछले चुनाव की तुलना नहीं कर सकते।

अभी दूसरे चरण का मतदान है बाकी
गुरुवार को पहले चरण में जिन 121 सीटों पर चुनाव हुआ है, उनमें 61 सीटें महागठबंधन के पास हैं। यानी पिछले चुनाव में महागठबंधन पहले चरण में एनडीए (59) पर आंशिक बढ़त प्राप्त की थी। पिछली बार पहले चरण में 53 फीसदी मतदान हुआ था। आखिर में एनडीए की सरकार बनी। इसलिए जब तक सभी चरण के चुनाव नहीं हो जाते तब तक कुछ कहना ठीक नहीं रहेगा। अगर 2025 में पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मतदान (60 फीसदी से अधिक) हुआ भी तो इसका मतलब ये नहीं है इससे राजनीतिक परिवर्तन हो ही जाएगा।

जैसे 2010 में 2005 की तुलना में करीब 7 फीसदी मतदान ज्यादा हुआ था। लेकिन सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ था। नीतीश कुमार ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनायी थी। 2010 में जदयू को 115 और भाजपा को 91 सीटें मिलीं थीं। यानी एनडीए ने 243 में से 206 सीटें एकतरफा जीत ली थीं।

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