महंगाई दर के पिछले कई वर्षों के निचले स्तर पर रहने, अच्छे मानसून की संभावना और कम उम्मीदें रहने के कारण संभावना जाताई जा रही है कि आरबीआई के द्वारा फिर से रेपो रेट में कमी की जा सकती है. 9 अप्रैल 2025 को ही आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की थी. इसके पहले फरवरी 2025 में भी 25 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है. इसके बाद रेपो रेट अब 6% कर दी गई है. रेपो रेट में कटौती की संभावनासार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई के द्वारा यह अनुमान जताया गया है कि जून और अगस्त महीने में आरबीआई के द्वारा फिर से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है. यदि ऐसा हुआ तो फिर से लोन सस्ते हो जाएंगे. लगातार गिर रही महंगाई दर अच्छे मानसून के अनुमान और महंगाई में नरमी के कारण रेपो रेट में कटौती की संभावना की जा रही है. मार्च में महंगाई 67 महीने के निचले स्तर पर आ गई. अच्छे मानसून की संभावना के कारण कृषि क्षेत्र में बेहतर पैदावार की संभावना बढ़ रही है. आरबीआई के द्वारा देश में मांग बढ़ने के लिए भी रेपो रेट में कटौती की जा सकती है. आरबीआई के द्वारा रेपो रेट की इन कटौतियों का लक्ष्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, उधार को सस्ता करना, और उपभोक्ता खर्च व निवेश को प्रोत्साहित करना है. सस्ते हो जाएंगे लोन?यदि आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कटौती की जाती है तो इसका सीधा असर बैंकों की उधार दरों पर पड़ता है. होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन, और अन्य प्रकार के लोन सस्ते हो जाते हैं. रेपो रेट में कटौती के बाद भारतीय स्टेट बैंक के साथ अन्य बैंकों के द्वारा पहले ही उधर में कमी की जा चुकी है. संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में लोन और सस्ते हो सकते हैं. यानी ऐसे लोग जो भविष्य में लोन लेने की तैयारी कर रहे हैं या जिनका पहले से होम लोन कर लोन या अन्य प्रकार का लोन चल रहा है उन्हें फायदा मिल सकता है. MSME को फायदा रेपो रेट कम होने पर लोन की ईएमआई सस्ती हो जाती है जिसे केवल आम आदमी को ही लाभ नहीं मिलता. इससे व्यवसायों के लिए उधार की लागत कम होने से निवेश और विस्तार को बढ़ावा मिलेगा, जो आर्थिक विकास में योगदान देगा. क्या होती है रेपो रेट यह वह रेट होती है जिस पर रिजर्व बैंक के द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को लोन दिया जाता है. यदि आरबीआई के द्वारा कमर्शियल बैंकों को सस्ती दरों पर लोन मुहैया करवाया जाएगा तो उसका असर आम आदमी पर पड़ता है. क्योंकि आरबीआई के द्वारा दारू में कटौती की जाने के बाद बैंक भी अपनी ब्याज दरों में कटौती करते हैं.
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