धनतेरस से एक दिन पहले शुक्रवार को सोने के दामों में फिर उछाल आया और यह 1,34,800 रुपये प्रति 10 ग्राम (3% जीएसटी सहित) के साथ नए सर्वकालिक रिकॉर्ड पर पहुंच गया। पिछले एक साल में सोना करीब 39 प्रतिशत तक महंगा हुआ है, जिससे इस त्योहारी सीजन में खरीदारी की रफ्तार पर असर पड़ सकता है। शुक्रवार को अकेले एक दिन में सोना 3000 रुपये प्रति 10 ग्राम बढ़ा। वहीं, चांदी में दो दिनों में 7000 रुपये प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई, हालांकि यह अब भी साल-दर-साल 81 प्रतिशत बढ़त पर कायम है। शनिवार को धनतेरस के मौके पर यही भाव लागू होंगे, क्योंकि वीकेंड पर कमोडिटी ट्रेडिंग बंद रहती है।
निवेश की मांग बनी मजबूतज्वेलर्स के अनुसार, इस बार ऊंचे दामों के कारण हल्के वजन और लो कैरेट वाले गहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, सोने के सिक्कों में निवेश की मांग अब भी मजबूत बनी हुई है। Senco Gold के एमडी सुवनकर सेन ने बताया कि इस धनतेरस पर सोने की वॉल्यूम बिक्री में 15–20% की गिरावट आ सकती है, लेकिन वैल्यू सेल्स में 25% तक की वृद्धि की संभावना है।
MMTC-PAMP के एमडी और सीईओ समीत गुहा ने कहा कि 24 कैरेट सोने और चांदी के 999.9 प्लस प्योरिटी वाले सिक्कों और बार्स की मांग पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ी है। कई उपभोक्ता इन्हें निवेश के तौर पर खरीद रहे हैं, जबकि कुछ बाद में इन्हें ज्वेलरी में बदलने की योजना बना रहे हैं।
सोने की कीमतें क्यों बढ़ रहीं हैं?एस्पेक्ट बुलियन एंड रिफाइनरी के सीईओ दर्शन देसी के अनुसार, अमेरिका में संभावित क्रेडिट क्राइसिस की चिंता और डॉलर की कमजोरी सोने की कीमतों में लगातार तेजी का मुख्य कारण हैं। इसके अलावा फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने भी निवेशकों का झुकाव सोने की ओर बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक भू-राजनीतिक हालात सोने के भाव को प्रभावित करते रहेंगे।
चांदी में उतार, पर मांग अब भी ऊंचीचांदी की कीमतों में घरेलू बाजार में कुछ नरमी देखी गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता के अनुसार, चांदी की सप्लाई बढ़ने से इसका प्रिमियम 22,000 रुपये से घटकर 15,000 रुपये प्रति किलो रह गया है।
वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई 31,000 टन है, जबकि मांग 35,700 टन से अधिक पहुंच चुकी है, जिससे 3,345 टन की भारी कमी (डेफिसिट) बन रही है। यह कमी लगातार पांचवें वर्ष भी जारी रहने की संभावना है।
2024 में चांदी का औद्योगिक उपयोग 680.5 मिलियन औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, और 2025 में इसके 700 मिलियन औंस को पार करने का अनुमान है। सोलर, इलेक्ट्रिक व्हीकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में इसकी मांग सबसे ज्यादा है। केवल सोलर फोटोवोल्टिक इंडस्ट्री ही हर साल 200 मिलियन औंस से अधिक चांदी का उपयोग करती है, जो 2030 तक 450 मिलियन औंस तक पहुंच सकती है।
पुरुषों में प्लैटिनम की बढ़ती पसंदइस धनतेरस पर सिर्फ सोना-चांदी ही नहीं, बल्कि प्लैटिनम भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। सोने की तुलना में सस्ता प्लैटिनम 48,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर मिल रहा है। डीपी आभूषण के प्रमोटर विकास कटारिया ने बताया कि इस बार पुरुषों में प्लैटिनम ज्वेलरी की डिमांड 20 प्रतिशत तक बढ़ी है।
त्योहारों के इस मौसम में भले ही सोने-चांदी की कीमतें आसमान छू रही हों, लेकिन निवेशक और उपभोक्ता दोनों ही इस बाजार में सक्रिय हैं। जहां सोना निवेश का प्रतीक बना हुआ है, वहीं चांदी और प्लैटिनम जैसे विकल्प भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। धनतेरस 2025, भारत के ज्वेलरी उद्योग के लिए एक दिलचस्प मोड़ साबित हो सकती है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
निवेश की मांग बनी मजबूतज्वेलर्स के अनुसार, इस बार ऊंचे दामों के कारण हल्के वजन और लो कैरेट वाले गहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, सोने के सिक्कों में निवेश की मांग अब भी मजबूत बनी हुई है। Senco Gold के एमडी सुवनकर सेन ने बताया कि इस धनतेरस पर सोने की वॉल्यूम बिक्री में 15–20% की गिरावट आ सकती है, लेकिन वैल्यू सेल्स में 25% तक की वृद्धि की संभावना है।
MMTC-PAMP के एमडी और सीईओ समीत गुहा ने कहा कि 24 कैरेट सोने और चांदी के 999.9 प्लस प्योरिटी वाले सिक्कों और बार्स की मांग पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ी है। कई उपभोक्ता इन्हें निवेश के तौर पर खरीद रहे हैं, जबकि कुछ बाद में इन्हें ज्वेलरी में बदलने की योजना बना रहे हैं।
सोने की कीमतें क्यों बढ़ रहीं हैं?एस्पेक्ट बुलियन एंड रिफाइनरी के सीईओ दर्शन देसी के अनुसार, अमेरिका में संभावित क्रेडिट क्राइसिस की चिंता और डॉलर की कमजोरी सोने की कीमतों में लगातार तेजी का मुख्य कारण हैं। इसके अलावा फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने भी निवेशकों का झुकाव सोने की ओर बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक भू-राजनीतिक हालात सोने के भाव को प्रभावित करते रहेंगे।
चांदी में उतार, पर मांग अब भी ऊंचीचांदी की कीमतों में घरेलू बाजार में कुछ नरमी देखी गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता के अनुसार, चांदी की सप्लाई बढ़ने से इसका प्रिमियम 22,000 रुपये से घटकर 15,000 रुपये प्रति किलो रह गया है।
वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई 31,000 टन है, जबकि मांग 35,700 टन से अधिक पहुंच चुकी है, जिससे 3,345 टन की भारी कमी (डेफिसिट) बन रही है। यह कमी लगातार पांचवें वर्ष भी जारी रहने की संभावना है।
2024 में चांदी का औद्योगिक उपयोग 680.5 मिलियन औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, और 2025 में इसके 700 मिलियन औंस को पार करने का अनुमान है। सोलर, इलेक्ट्रिक व्हीकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में इसकी मांग सबसे ज्यादा है। केवल सोलर फोटोवोल्टिक इंडस्ट्री ही हर साल 200 मिलियन औंस से अधिक चांदी का उपयोग करती है, जो 2030 तक 450 मिलियन औंस तक पहुंच सकती है।
पुरुषों में प्लैटिनम की बढ़ती पसंदइस धनतेरस पर सिर्फ सोना-चांदी ही नहीं, बल्कि प्लैटिनम भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। सोने की तुलना में सस्ता प्लैटिनम 48,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर मिल रहा है। डीपी आभूषण के प्रमोटर विकास कटारिया ने बताया कि इस बार पुरुषों में प्लैटिनम ज्वेलरी की डिमांड 20 प्रतिशत तक बढ़ी है।
त्योहारों के इस मौसम में भले ही सोने-चांदी की कीमतें आसमान छू रही हों, लेकिन निवेशक और उपभोक्ता दोनों ही इस बाजार में सक्रिय हैं। जहां सोना निवेश का प्रतीक बना हुआ है, वहीं चांदी और प्लैटिनम जैसे विकल्प भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। धनतेरस 2025, भारत के ज्वेलरी उद्योग के लिए एक दिलचस्प मोड़ साबित हो सकती है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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