कई एशियाई देशों में कोरोना-19 के नए मामले एक बार फिर से बढ़ रहे हैं. हालांकि, भारत में स्थिति को नियंत्रण में बताया जा रहा है.
सिंगापुर में 27 अप्रैल से तीन मई 2025 वाले सप्ताह में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 14,200 नए मामले आए हैं. वहीं इससे पिछले सप्ताह में 11,100 मामले सामने आए थे.
वहीं, थाईलैंड और हांग-कांग के अलावा चीन में भी पिछले कुछ महीनों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स कोरोना के मामलों में तेज़ी से होती वृद्धि के लिए कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के सबवैरिएंट जेएन.1 को ज़िम्मेदार बता रहे हैं. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डैशबोर्ड के अनुसार भारत में फिलहाल कोरोना वायरस के 257 एक्टिव मामले हैं. इनमें से 53 मामले मुंबई में हैं.
जेएन.1 क्या है
इकोनॉमिक टाइम्स की के अनुसार सिंगापुर में अभी तक जिन सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है, उनमें से अधिकांश मामले जेएन.1 वैरिएंट के हैं.
हालांकि, जेएन.1 वैरिएंट एकदम नया नहीं है बल्कि ये ओमिक्रॉन का ही सब वैरिएंट है, जो काफ़ी समय तक दुनियाभर में फैला था.
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर डॉक्टर संजय राय कोविड वैक्सीन (को-वैक्सिन) के ट्रायल के तीनों चरणों के मुख्य शोधकर्ता थे.
कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट पर बीबीसी संवाददाता चंदन जजवाड़े ने डॉक्टर संजय राय से बात की.
उनका कहना है, "जेएन.1 कोरोना के ओमिक्रॉन वायरस का ही एक वैरिएंट है. इसकी पहचान हुए एक साल से ज़्यादा वक़्त हो चुका है. ऐसा नहीं है कि यह कोई नया वायरस है. यह कितना गंभीर है या नहीं है, इसके बारे में हमें सब कुछ पता है."
उनका कहना है, "जेएन.1 वैरिएंट से अभी डरने की कोई ज़रूरत नहीं है. इसका कोई प्रमाण भी नहीं है. इस समय जो प्रमाण हमारे पास है उसके हिसाब से यह कॉमन सर्दी-जुक़ाम की तरह या उससे भी कमज़ोर हो सकता है."
संजय राय कहते हैं, "कॉमन कोल्ड भी कोरोना वायरस ही है यानी उसी फ़ैमिली का है. कोरोना वायरस की हज़ारों फ़ैमिली है, लेकिन इंसानों में केवल सात फ़ैमिली ही समस्या पैदा करती है, जिनमें से चार पहले से मौजूद थे, जो कॉमन कोल्ड से जुड़े हुए थे."
"इसके बाद 2003-04 में चीन से ही सार्स-1आया था. 2012-13 में मिडिल ईस्ट से मर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) आया था. इसके बाद साल 2019 में कोरोना वायरस-2 आया था, जिसे हम कोविड-19 बीमारी कहते हैं."
संजय राय के मुताबिक़ अगर सामान्य सर्दी ज़ुकाम भी किसी एक को होता है तो उनके घर में सबको हो सकता है, लेकिन यह इतना गंभीर नहीं होता है कि किसी की मौत हो सकती है, कोरोना भी इसी तरह का हो चुका है.
सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, "मौजूदा समय में एलएफ़.7 और एनबी 1.8 (जेएन.1 के सब वैरिएंट) ही सिंगापुर में फैल रहे कोविड-19 के प्रमुख वैरिएंट हैं. अब तक जितने मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई हैं, उनमें से दो तिहाई मामले इसी से जुड़े हैं. जेएन.1 वो वैरिएंट भी है, जिसका इस्तेमाल मौजूदा कोविड-19 वैक्सीन के फॉर्मुलेशन में भी किया गया है."
जानकारों का कहना है कि ये पहले के वैरिएंट की तुलना में लोगों को गंभीर बीमार नहीं करेगा लेकिन इसका तेज़ी से फैलना चिंताजनक है.
हालांकि डॉक्टर संजय राय कहते हैं, "जैसे सर्दी ज़ुकाम भी होता है तो एक बार नहीं होता है, वह भी कई बार हो सकता है. कोरोना के भी 10 हज़ार वैरिएंट हैं और यह पूरी तरह से बदल चुका है."
"हमने जब कोविड के दौर में सर्वे किया था तो पाया था कि लगभग हर व्यक्ति में एंटीबॉडी बन चुके थे, यानी लगभग हर किसी को कोविड की बीमारी हुई थी."
कोरोना के ताज़ा मामलों में कुछ लोगों के हॉस्पिटल में भर्ती होने की ख़बरें सामने आई हैं.
महाराष्ट्र के ने कहा है कि मुंबई के एक हॉस्पिटल में कोरोना के दो मरीज़ भर्ती हैं लेकिन इससे डरने की ज़रूरत नहीं है.
संजय राय कहते हैं कि किसी को कॉमन कोल्ड भी होता है तो भी उसे हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ सकता है.
कोरोना वायरस के इस के लक्षण भी ओमिक्रॉन से कुछ खास अलग नहीं हैं.
इससे संक्रमित मरीज़ों में गला खराब, थकान, सिरदर्द और कफ़ इत्यादि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
हालांकि, कई लोगों के स्वास्थ्य और इम्यून सिस्टम पर भी ये लक्षण निर्भर करते हैं.
मगर जेएन.1 के कुछ बड़े लक्षणों में डायरिया या सिरदर्द शामिल हैं.
समाचार एजेंसी के अनुसार सिंगापुर और हांग-कांग में बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में सोमवार को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई.
इस बैठक में नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल, इमरजेंसी मेडिकल रिलीफ़ डिविज़न, डिज़ास्टर मैनेजमेंट सेल, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च और केंद्र सरकार के अस्पतालों के विशेषज्ञ शामिल हुए.
एक आधिकरिक सूत्र के हवाले से पीटीआई ने रिपोर्ट में बताया, "मीटिंग इसी मोड़ पर खत्म हुई कि भारत में कोरोना-19 की मौजूदा स्थिति नियंत्रण में बनी हुई है. भारत में 19 मई 2025 तक कोविड-19 के मामले 257 हैं, जो देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत कम संख्या है. इनमें से लगभग सारे मामले गंभीर नहीं हैं, किसी को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित