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वक़्फ़ क़ानून पर विवाद के बीच पीएम मोदी का सऊदी अरब दौरा, क्या इस पर भी होगी बात?

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image Getty Images सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सितंबर 2023 में नई दिल्ली आए थे

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अप्रैल को सऊदी अरब के दौरे पर रहेंगे. पीएम मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के न्योते पर रियाद जा रहे हैं.

इससे पहले सितंबर 2023 में भारत में आयोजित जी-20 समिट में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस नई दिल्ली आए थे. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी तीसरी बार सऊदी अरब जा रहे हैं. इससे पहले 2016 और 2019 में मोदी सऊदी अरब गए थे.

पीएम मोदी सऊदी अरब तब जा रहे हैं, जब भारत में वक़्फ़ संशोधन क़ानून को लेकर काफ़ी विवाद है. भारत के मुस्लिम नेतृत्व के साथ-साथ विपक्ष भी इससे ख़फ़ा है. कई राज्यों में इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तो वक़्फ संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत भी हुई है.

वक़्फ़ संशोधन बिल को संसद ने इसी महीने चार अप्रैल को पास किया था. पास होने के बाद यह क़ानून बन गया है और 1995 के वक़्फ़ एक्ट में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. अब वक़्फ़ की संपत्तियों में केंद्र सरकार की भूमिका बढ़ गई है. इस्लामिक क़ानून के मुताबिक़ वक़्फ़ उन संपत्तियों को कहा जाता है, जो ख़ास तौर पर धार्मिक और परोपकार के मक़सद के लिए होती हैं.

इन संपत्तियों के किसी अन्य तरह के इस्तेमाल या इनकी बिक्री पर पाबंदी होती है. देश भर में फैली वक़्फ़ की पर है. आर्म्ड फोर्सेज और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर वक़्फ़ है, जिसके पास सबसे ज़्यादा ज़मीन का मालिकाना हक़ है.

नए क़ानून के मुताबिक़ वक़्फ़ बोर्ड में मु्स्लिम महिला और ग़ैर-मुसलमानों का भी प्रतिनिधित्व होगा. अगर किसी वक़्फ़ संपत्ति की पहचान सरकारी ज़मीन के रूप में होती है, तो उसे वक़्फ़ नहीं माना जाएगा. इसके अलावा वक़्फ़ बोर्ड के पास संपत्तियों की जाँच के लिए जो अधिकार था, उसे भी ले लिया गया है.

image Getty Images नरेंद्र मोदी इससे पहले 2016 और 2019 में सऊदी अरब जा चुके हैं क्या क्राउन प्रिंस से वक़्फ़ पर भी होगी बात?

साथ ही केंद्र सरकार के पास अब रजिस्ट्रेशन, वक़्फ़ के अकाउंट के प्रकाशन और वक़्फ़ बोर्ड की प्रक्रिया के प्रकाशन का भी अधिकार होगा.

केंद्र सरकार अब सीएजी या किसी अन्य अधिकारी को वक़्फ़ के खातों की जाँच का आदेश दे सकती है. सबसे ज़्यादा चिंता इस बात पर जताई जा रही है कि वक़्फ़ बोर्ड की ताक़त को कम कर ज़िले के डीएम को यह अधिकार दे दिया है कि विवादित ज़मीन वक़्फ़ की है या नहीं, वही तय करेगा.

विपक्ष ने वक़्फ़ संशोधन क़ानून को असंवैधानिक और विभाजनकारी बताया है. वहीं मुस्लिम नेताओं का कहना है कि सरकार वक़्फ़ की संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है.

प्रधानमंत्री मोदी ऐसे वक़्त में उस देश का दौरा कर रहे हैं जो दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ख़ास है.

सऊदी अरब में ही मक्का और मदीने की पवित्र मस्जिदें हैं. मक्का पैग़ंबर मोहम्मद का जन्म स्थल है. ऐसे में यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ख़ास हो जाता है.

image BBC

पीएम मोदी के सऊदी अरब दौरे को लेकर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 19 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी. इसी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ब्लूमबर्ग ने मिसरी से सवाल पूछा था- क्या आप इस बात की उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच भारत में वक़्फ़ बोर्ड के विवाद और क़ानून में बदलाव पर भी चर्चा होगी?

इसके जवाब में था, ''मैंने यह नहीं देखा है कि सऊदी अरब की तरफ़ से आधिकारिक रूप या किसी भी सरकारी विभाग ने इस मुद्दे को उठाया है. मैं इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हूँ कि यह मुद्दा दोनों की बातचीत में क्यों आएगा?''

यह बात सही है कि सऊदी अरब ने भारत में वक़्फ़ संशोधन क़ानून पर जारी विवाद को लेकर सार्वजनिक रूप से अब तक कुछ भी नहीं कहा है. सऊदी अरब ऐसे भी किसी देश के आंतरिक मसलों पर टिप्पणी करने से परहेज करता है. सऊदी अरब के दबदबे वाला इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी भारत के मुसलमानों को लेकर आवाज़ उठाता रहा है लेकिन वक़्फ़ को लेकर अभी तक कुछ भी नहीं कहा है.

image Getty Images सऊदी अरब में 26 लाख से ज़्यादा भारतीय कामगार रहते हैं इस्लामिक देशों की प्रतिक्रिया

भारत ओआईसी की आलोचना करता रहा है कि पाकिस्तान इसे अपने हिसाब से इस्तेमाल करता है. ओआईसी कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ भी काफ़ी मुखर था.

19 अप्रैल को विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा कि पाकिस्तान ओआईसी का दुरुपयोग करता है और भारत ने ओआईसी के उन सदस्य देशों के सामने मुद्दा उठाया है, जो भारत के दोस्त और साझेदार हैं.

पिछले हफ़्ते पाकिस्तान ने भारत के नए वक़्फ़ क़ानून को मुसलमानों के आर्थिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह के क़ानून का पास होना बताता है कि भारत बहुसंख्यकवाद की ओर बढ़ रहा है और मुसलमानों को हाशिए पर धकेला जा रहा है.

इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, ''हम पाकिस्तान के इस बयान को सिरे से ख़ारिज करते हैं. भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान के पास कोई अधिकार नहीं है. अच्छा होता कि पाकिस्तान अपने यहाँ अल्पसंख्यकों के अधिकारों की चिंता करता.''

पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश में भारत के वक़्फ़ संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुआ था. बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी ने ढाका में इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था. इसके अलावा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने भारत में मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी.

विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुस्लिम विरोधी होने और सांप्रदायिक राजनीति को हवा देने का आरोप लगाता रहा है लेकिन ये आरोप इस्लामिक देशों से संबंध गहरे करने में अब तक उस तरह से आड़े नहीं आए हैं.

हालांकि जून 2022 में तत्कालीन बीजेपी नेता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिस पर ख़ासा विवाद हुआ था और दुनिया भर के इस्लामिक देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. तब बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर करने का फ़ैसला किया था.

लेकिन मोदी के हिन्दुत्व की विचारधारा अरब के इस्लामिक देशों से संबंध बढ़ाने में आड़े नहीं आई है. इसका एक कारण यह भी है कि इन देशों में राजशाही है और लोगों के पास विरोध-प्रदर्शन का अधिकार नहीं है.

image Getty Images सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान नरेंद्र मोदी को अपना बड़ा भाई कहते हैं हिन्दुत्व की विचारधारा और इस्लामिक देश

दिसंबर 2022 में गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर अहमदाबाद के सरसपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था, ''2014 के बाद से हमने इस्लामिक देश सऊदी अरब, यूएई और बहरीन से दोस्ती मज़बूत की है. इन देशों के सिलेबस में योग को आधिकारिक रूप से शामिल किया गया है. भारत के हिन्दुओं के लिए अबूधाबी और बहरीन में मंदिर भी बन रहा है.''

फ़रवरी 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत के दौर पर आए थे. क्राउन प्रिंस नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुँचे तो उनकी अगवानी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े थे.

क्राउन प्रिंस तब सऊदी अरब के प्रधानमंत्री भी नहीं बने थे.

इसी दौरे में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था, ''हम दोनों भाई हैं. प्रधानमंत्री मोदी मेरे बड़े भाई हैं. मैं उनका छोटा भाई हूँ और उनकी प्रशंसा करता हूँ. अरब प्रायद्वीप से भारत का संबंध हज़ारों साल पुराना है. यहाँ तक कि इतिहास लिखे जाने से पहले से. अरब प्रायद्वीप और भारत के बीच का संबंध हमारे डीएनए में है.''

भारत के दौरे पर आए मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था, ''पिछले 70 सालों से भारत के लोग दोस्त हैं और सऊदी अरब के निर्माण में ये भागीदार रहे हैं.''

2016 के दौरे में पीएम मोदी को सऊदी अरब ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'किंग अब्दुल अज़ीज़ साश' से सम्मानित किया था. इसके बाद पीएम मोदी अक्तूबर 2019 में सऊदी गए थे और इसी साल फ़रवरी में सऊदी क्राउन प्रिंस नई दिल्ली आए थे.

पीएम मोदी के दूसरे दौरे में सऊदी अरब के साथ स्ट्रैटिजिक पार्टनर्शिप काउंसिल की स्थापना के लिए समझौता हुआ था. इस काउंसिल में दो उप-समितियां हैं. एक सियासी, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों के लिए है तो दूसरी आर्थिक, निवेश और तकनीक से जुड़े मुद्दों के लिए है. पीएम मोदी के इस दौरे में स्ट्रैटिजिक पार्टनर्शिप काउंसिल की भी बैठक होगी.

इस दौरे को अहम बताते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सऊदी अरब से भारत की ऊर्जा सुरक्षा जुड़ी है और लाखों की संख्या में भारतीय सऊदी अरब में काम करते हैं. यूएई के बाद सऊदी अरब दूसरे नंबर पर है, जहाँ सबसे ज़्यादा भारतीय प्रवासी कामगार रहते हैं. सऊदी अरब इस्लामिक दुनिया की मज़बूत आवाज़ है और साथ ही वैश्विक राजनीति में उसकी अपनी ख़ास अहमियत है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

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