Next Story
Newszop

यूक्रेन ने ख़ुफ़िया ऑपरेशन से रूसी बॉम्बर्स को बनाया निशाना, स्मगलिंग से पहुँचाए थे ड्रोन्स

Send Push
Ukraine Presidential Press Service/EPA-EFE/Shutterstock यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को सिक्योरिटी सर्विस (एसएसयू) के प्रमुख वासिल मालियक ने रूसी सैन्य हवाई अड्डों पर अभियान की जानकारी दी थी

यूक्रेन का दावा है कि उसने एक ड्रोन हमलों में रूस के 40 से अधिक बमवर्षक विमानों या बॉम्बर्स को निशाना बनाया है.

इसे रूस की वायुसेना पर अब तक का सबसे आक्रामक हमला माना जा रहा है. हालांकि यूक्रेन का रूसी वायु सेना पर इतने बड़े पैमाने पर इस तरह का हमला कर पाना किस तरह संभव हुआ, इसे ठीक ढंग से बता पाना मुश्किल है.

बीबीसी यूक्रेन के इन दावों की पुष्टि नहीं कर सकता है कि इन हमलों में 7 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है, हालांकि ये साफ़ है कि 'ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब' कम से कम एक शानदार प्रचार अभियान भी हो सकता है.

रूस ने पांच प्रांतों में यूक्रेनी हमलों की पुष्टि की है और इसे 'आतंकी हरकत' बताया है.

रूस के पूरी तरह से युद्ध छेड़ देने के बाद यूक्रेनी लोग अब इसे दूसरी उल्लेखनीय सैन्य सफलताओं से जोड़कर देख रहे हैं.

यूक्रेन अब तक काला सागर में रूस के प्रमुख युद्धपोत मोस्कवा को डुबोने, साल 2022 में कर्च ब्रिज को तबाह करने और उसी साल सेवास्तोपोल बंदरगाह पर मिसाइल हमले को अपनी उल्लेखनीय सफलताओं में गिनाता आया है.

क्या है 'ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब' image EPA-EFE/Shutterstock दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन ने 18 महीनों की तैयारी के बाद रूस के ख़िलाफ़ ये ऑपरेशन किया है

यूक्रेन की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी एसबीयू ने मीडिया को जो जानकारी लीक की है उसके आंकलन के हिसाब से ताज़ा अभियान अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

इस ऑपरेशन के लिए ये कहा जा रहा है कि उसने इसकी 18 महीनों तक तैयारी की. इसमें कई छोटे ड्रोनों को रूस में स्मगलिंग के ज़रिए पहुंचाया गया.

उन्हें मालवाहक ट्रकों के ख़ास कम्पार्टमेंट में रखा गया. इसके बाद हज़ारों मीलों दूर अलग-अलग चार जगहों पर ले जाकर उन्हें नज़दीकी सैन्य हवाई अड्डों पर रिमोटली लॉन्च किया गया.

रक्षा विश्लेषक सरई कुज़न ने यूक्रेनी टीवी से कहा, "पूरी दुनिया में आज तक ऐसा ख़ुफ़िया ऑपरेशन कभी हुआ ही नहीं है."

उन्होंने कहा, "ये रणनीतिक बॉम्बर्स (बमवर्षक विमान) हम पर लंबी दूरी के हमले करने में सक्षम थे. ये सिर्फ़ 120 हैं जिनमें से हमने 40 को निशाना बना लिया. ये एक अभूतपूर्व आंकड़ा है."

इस नुक़सान का आंकलन करना मुश्किल है, लेकिन यूक्रेनी सैन्य ब्लॉगर ओलेक्सांद्र कोवालेंको कहते हैं कि भले ही बॉम्बर्स और कमांड एंड कंट्रोल एयरक्राफ़्ट तबाह न हुए हों लेकिन इनका प्रभाव बहुत बड़ा है.

उन्होंने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा, "ये नुक़सान इतना बड़ा है कि रूसी मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स अभी हालिया स्थिति में भविष्य में इन्हें फिर से बनाकर रख सके, ये मुश्किल नज़र आता है."

रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में देश के पांच प्रांतों में सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाने की पुष्टि की थी.

हालांकि इसके साथ मंत्रालय ने दावा किया था कि उसने आइवानवा, रायाज़न और आमिर प्रांतों में सैन्य हवाई अड्डों पर 'सभी हमलों को नाकाम कर दिया.'

मंत्रालय ने ये भी बताया कि मिरमंस्क और इरकुत्स्क प्रांतों में नज़दीकी इलाक़ों से ड्रोन उड़ने के बाद 'कई विमानों ने आग पकड़ ली.'

इसमें कहा गया कि सभी आग को बुझा दिया गया और कोई नुक़सान नहीं हुआ है. साथ ही ये भी दावा किया गया कि 'इन आतंकी हमलों में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है.'

किन विमानों को नुक़सान पहुंचने की है चर्चा image Reuters यूक्रेन का दावा है कि इन बॉम्बर्स की मरम्मत कर पाना रूस के लिए मुश्किल होगा

मिसाइल लेकर चलने वाले जिन रणनीतिक बॉम्बर्स की चर्चा है, वो टू-95 (Tu-95), टू-22 (Tu-22) और टू-160 (Tu-160) हैं.

कोवालेंको कहते हैं कि इनको अब नहीं बनाया जा रहा है, इनको ठीक करना मुश्किल होगा और इनको बदल पाना असंभव है.

सुपरसोनिक टू-160 को खो देने को ख़ासतौर पर बहुत शिद्दत से महसूस किया जाएगा.

वो लिखते हैं, "आज रशियन एयरोस्पेस फ़ोर्सेज़ ने न केवल अपने दो दुर्लभ विमान खोए हैं बल्कि वास्तव में वो उसके बेड़े के दो यूनिकॉर्न थे."

रूस को जो नुक़सान पहुंचा हो शायद विश्लेषक उसका आंकलन कर रहे हों या न कर रहे हों लेकिन ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब से एक महत्वपूर्ण संदेश न सिर्फ़ रूस बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों को गया है.

मेरे सहयोगी स्वायातोस्लव खोमनको ने बीबीसी यूक्रेनी सेवा की वेबसाइट पर कीएव में एक सरकारी अफ़सर से हाल में हुई मुलाक़ात के बारे में लिखा है.

वो अफ़सर झुंझलाए हुए थे.

उस अफ़सर ने खोमनको से कहा, "सबसे बड़ी समस्या ये है कि अमेरिकी ये मानकर बैठ गए हैं कि हम पहले ही युद्ध हार चुके हैं. और इसी धारणा को बाक़ी सब मान लेते हैं."

यूक्रेन की रक्षा मामलों की पत्रकार इलिया पोनोमरेनको ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर ओवल ऑफ़िस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के बीच हुई चर्चित बहस का हवाला दिया है.

वो लिखते हैं, "जब कोई एक गौरवशाली राष्ट्र जिस पर हमला हुआ है वो इन सब बातों को नहीं सुनता है तो ऐसा होता है. कहा गया था कि 'यूक्रेन के पास सिर्फ़ छह महीने बचे हैं', 'आपके पास अब पत्ते नहीं बचे हैं', 'शांति के लिए आत्मसमर्पण कर दो, रूस हार नहीं सकता'."

image Reuters ओवल ऑफ़िस में ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच हुई ज़ोरदार बहस की चर्चा दुनियाभर में हुई थी यूक्रेन अभी भी ख़ुद को मानता है मैदान में

बिज़नेस यूक्रेन नामक जर्नल ने भी एक छोटा पोस्ट एक्स पर लिखा, "ये बताता है कि आख़िरकार यूक्रेन के पास कुछ पत्ते बचे हैं. आज ज़ेलेंस्की ने 'किंग ऑफ़ ड्रोन्स' को चल दिया."

ये संदेश कि- यूक्रेन अभी भी जंग में है, यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के पास भी ज़रूर होगा. जो युद्ध विराम की बातचीत के लिए रूसी प्रतिनिधियों के साथ इस्तांबुल में बातचीत करने जा रहा है.

सरकारी अफ़सर ने स्वायातोस्लव खोमनको से कहा कि अमेरिकी 'ऐसे बर्ताव करने लगे हैं जैसे मानो कि उनकी भूमिका हमारे लिए आत्मसमर्पण की सबसे नरम शर्तों पर बातचीत करना हो.'

"और इसके बाद वो इस बात पर नाराज़ हो जाते हैं कि हमने उन्हें शुक्रिया नहीं कहा. हम नहीं मानते हैं कि हम हार चुके हैं."

डोनबास के जंग के मैदान में रूस की सुस्त और कठोर बढ़त के बावजूद यूक्रेन रूस और ट्रंप प्रशासन से कह रहा है कि कीएव की संभावनाओं को आसानी से ख़ारिज नहीं किया जा सकता है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

image
Loving Newspoint? Download the app now