बूंदी रेलवे स्टेशन अब हेरिटेज लुक में नजर आएगा, जिसकी भव्यता राजस्थान की वास्तुकला और आधुनिक सुविधाओं का अनूठा संगम बन गई है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 8 करोड़ रुपए की लागत से किए गए पुनर्विकास कार्य के बाद यह स्टेशन अब एयरपोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 मई को इसका वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। स्टेशन पर लगे विशाल तिरंगे, आकर्षक फव्वारा, पारंपरिक बलुआ पत्थर की वास्तुकला, छतरियां और हेरिटेज खिड़कियां इसे भव्य महल का लुक देती हैं।
स्टेशन में चार नए बुकिंग काउंटर, आधुनिक वेटिंग हॉल, पे-एंड-यूज टॉयलेट और नई पार्किंग की व्यवस्था की गई है। बदले हुए लुक से न सिर्फ पर्यटकों की सुविधा बढ़ेगी बूंदी को 'छोटी काशी' और ऐतिहासिक पर्यटन नगरी के नाम से जाना जाता है, जहां देशी-विदेशी पर्यटक यहां के किले, बावड़ियां, पेंटिंग और शैलचित्र देखने आते हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशन का कायाकल्प पर्यटन को नई दिशा देगा। अब यहां शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें रुकेंगी, जिससे दिल्ली, अहमदाबाद और उदयपुर जैसे प्रमुख स्थानों से सीधा संपर्क हो सकेगा। इस बदले स्वरूप से न केवल पर्यटकों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि आवागमन भी आसान होगा, जिसका सीधा लाभ स्थानीय होटल और पर्यटन उद्योग को मिलेगा।
आधुनिकीकरण से मालगाड़ियों की आवाजाही और सुगम होगी
रेलवे स्टेशन के विकास से स्थानीय उद्योग और व्यापार क्षेत्र में भी नए अवसर पैदा होंगे। व्यापारियों और उद्योगपतियों ने इसे बड़ा कदम बताया है। चावल उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया कि बूंदी से बड़ी मात्रा में चावल का निर्यात होता है और स्टेशन के आधुनिकीकरण से मालगाड़ियों की आवाजाही और सुगम हो सकेगी। पूर्व चेयरमैन महावीर मोदी और समाजसेवी भगवान लाडला ने इसे क्षेत्रीय विकास का प्रतीक बताया है। अंडरपास के निर्माण से अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग बिना लंबी दूरी तय किए शहर से जुड़ सकेंगे।
'एक स्टेशन, एक उत्पाद' के स्टॉल भी लगेंगे
'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना के तहत स्टेशन पर स्थानीय उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जिनमें बूंदी की प्रसिद्ध चित्रशाला की पेंटिंग और चावल जैसे कृषि उत्पाद शामिल हैं। इस पहल से स्थानीय कारीगरों और किसानों को रोजगार मिलेगा और बूंदी उत्पादों की पहुंच देशभर के यात्रियों तक बढ़ेगी। वाणिज्य अधिकारी रवि मीना ने बताया कि रेलवे बोर्ड का उद्देश्य स्टेशन को न केवल यात्रा का साधन बनाना है, बल्कि स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार का केंद्र भी बनाना है।
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